हिन्दी साहित्य
राघव चरन रहे उर धारी

राघव चरन रहे उर धारी

राघव चरण रहे उर धारी। सुभग चरन मन मोर बसैं नित ध्यावैं जेहि त्रिपुरारी।। व्याकुल चित्त नित्य प्रति हेरैं नैन रहें नित प…

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बाल साहित्य की दशा और सम्भावनाएं

बाल साहित्य की दशा और सम्भावनाएं

बच्चे हमारी धरोहर हैं,वे हमारे समाज के भविष्य की नींव के पत्थर भी हैं । बच्चे जितने विचारशील,परिपक्व और गहनसोच के हों…

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मुंशी प्रेमचंद की एक गुमनाम  कालजयी कहानी "जिहाद"

मुंशी प्रेमचंद की एक गुमनाम कालजयी कहानी "जिहाद"

कथा व उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की एक गुमनाम  कालजयी कहानी जिहाद जिसका नाम भी बहुत कम लोगों ने सुना होगा, आखिर  इस…

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