रामायण के चित्र
लंका दहन

लंका दहन

सुन्दरकांड में श्रीहनुमान जी ने लंका का दहन किया परन्तु श्रीराम जी ने तो ऐसा कोई आदेश उन्हें नहीं दिया था। फिर भी श्र…

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तुलसी’ असमय के सखा, साहस धर्म विचार।  सुकृत, सील, सुभाव रिजु, राम-चरन-आधार॥

तुलसी’ असमय के सखा, साहस धर्म विचार। सुकृत, सील, सुभाव रिजु, राम-चरन-आधार॥

तुलसी कहते हैं कि भगवान् राम के चरण भक्तों के लिए दु:ख के दिनों में साथी हैं। ये उत्साह, धर्म, विचार, पुण्य, सुशीलता…

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तुलसीदास जी के शिक्षाप्रद दोहे

तुलसीदास जी के शिक्षाप्रद दोहे

1. तुलसी इस संसार में, भांति भांति के लोग।     सबसे हस मिल बोलिए, नदी नाव संजोग॥ अर्थ:- तुलसीदास जी कहते हैं, इस संसार…

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क्या हनुमान जी बन्दर थे ?

वानर किसे कहते हैं ? वानर- वने भवं वानम्, राति (रा आदाने) गृह्णाति ददाति वा।  वानं वन सम्बन्धिनं फल…

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 माँ के दूध की ताकत

माँ के दूध की ताकत

रावण वध हो चुका था। राम पूरे वानर व विभीषण के नेतृत्व में गणमान्य रक्ष नागरिकों के साथ अयोध्या की ओर लौट रहे थे। रास्…

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जननी जनक बंधु सुत दारा ।  तनु धनु भवन सुहृद परिवारा ॥  सब कै ममता ताग बटोरी।  मम पद मनहि बाधँ बरि डोरी॥

जननी जनक बंधु सुत दारा । तनु धनु भवन सुहृद परिवारा ॥ सब कै ममता ताग बटोरी। मम पद मनहि बाधँ बरि डोरी॥

माता-पिता, भाई-बंधु, स्त्री-पुत्र, अपना शरीर, धन, मकान, मित्र और परिवार ये ही सब ममता के आस्पद हैं।     माता, पिता, …

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श्रीहनुमान जी की जन्म वृत्तांत

sri hanuman ji     पुराणों के अनुसार स्वयम्भू शिव जी का ग्यारहवां अवतार है चिरंजीवी श्रीहनुमान जी। कहते हैं कि भग…

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लक्ष्मण रेखा

लक्ष्मण रेखा कंत समुझि मन तजहु कुमतिही। सोह न समर तुम्हहि रघुपतिही॥ रामानुज    लघु     रेख    खचाई।  सोउ …

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आधुनिक परिप्रेक्ष्य में रामचरितमानस पाठ की विसंगति

आधुनिक परिप्रेक्ष्य में रामचरितमानस पाठ की विसंगति

सिय राम मय सब जग जानी ।  करहु प्रणाम जोरी जुग पानी ॥   पूरे संसार में श्री राम का निवास है, सबमें भगवान हैं और हमें उन…

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नवनि नीच कै अति दुखदाई। जिमि अंकुस धनु उरग बिलाई ॥ भयदायक खल कै प्रिय बानी। जिमि अकाल के कुसुम भवानी ॥ नीचका झुकना (नम्रता) भी अत्यन्त दुःखदायी होता है ।

navani neech kai ati dukhdai     नीचका झुकना (नम्रता) भी अत्यन्त दुःखदायी होता है । जैसे अंकुश, धनुष, साँप और बिल्ली…

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सोइ जानइ जेहि देहु जनाई। जानत तुम्हहि तुम्हइ होइ जाई ।। तुम्हरिहि कृपाँ तुम्हहि रघुनंदन। जानहिं भगत भगत उर चंदन॥

ramcharitmanas chupai    हे प्रभु! वही आपको जानता है, जिसे आप जना देते हैं और जानते ही वह आपका ही स्वरूप बन जाता है। …

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राम रसायन तुम्हारे पासा सदा रहो रघुपति के दासा - एक वैज्ञानिक विश्लेषण

ramcharit manas   तुलसीदासजी लिखते हैं कि यदि हमें जीवन में हनुमानजी की भांति दास्य भाव लाकर भगवान की भक्ति करनी है त…

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