![धन मद मत्त परम बाचाला। उग्रबुद्धि उर दंभ बिसाला॥ जदपि रहेउँ रघुपति रजधानी। तदपि न कछु महिमा तब जानी॥](https://4.bp.blogspot.com/-O3EpVMWcoKw/WxY6-6I4--I/AAAAAAAAB2s/KzC0FqUQtkMdw7VzT6oOR_8vbZO6EJc-ACK4BGAYYCw/w680/nth.png)
धन मद मत्त परम बाचाला। उग्रबुद्धि उर दंभ बिसाला॥ जदपि रहेउँ रघुपति रजधानी। तदपि न कछु महिमा तब जानी॥
काकभुशुण्डि जी कहते हैं कि - मैं धन के मद से मतवाला, बहुत ही बकवादी और उग्रबुद्धि वाला था, मेरे हृदय में बड़ा भारी दं…
काकभुशुण्डि जी कहते हैं कि - मैं धन के मद से मतवाला, बहुत ही बकवादी और उग्रबुद्धि वाला था, मेरे हृदय में बड़ा भारी दं…
भगवान कहते हैं कि मेरे दर्शन का परम अनुपम फल यह है कि जीव अपने स्वरूप को प्राप्त हो जाता है । भगवान् के दर्शन होना औ…
भगवान शिव जी माता जी से कहते हैं कि पार्वती मैं अपना निजी अनुभव कहता हूँ, सत्य हरि है, हरि का भजन है। जगत् तो एक सपना …
जिसके हृदय में जैसी भक्ति और प्रीति होती है, प्रभु वहाँ (उसके लिए) सदा उसी रीति से प्रकट होते हैं। भगवान् सब जगह हैं …
माया (विषयों की ममता-आसक्ति) को छोड़कर परलोक का सेवन (भगवान के दिव्य धाम की प्राप्ति के लिए भगवत्सेवा रूप साधन) करना च…
राम नाम के बिना वाणी शोभा नहीं पाती, मद-मोह को छोड़, विचारकर देखो। हे देवताओं के शत्रु सब गहनों से सजी हुई सुंदरी स्त्…
काम' और 'क्रोध' के बाद जिस प्रमुख विकार की निन्दा की गयी है, उस क्रम में तीसरे विकार के रूप में 'लोभ&…
लोभी-लालची सुंदर कीर्ति चाहे, कामी मनुष्य निष्कलंकता (चाहे तो) क्या पा सकता है? जैसे गरुड़ का भाग कौआ चाहे, सिंह क…
हनुमान जी और अंगद जी दोनों ही समुद्र लाँघने में सक्षम थे, फिर पहले हनुमान जी लंका क्यों गए ? अंगद जी बुद्धि और बल में …
जो गुरु शिष्य का धन हरण करता है, पर शोक नहीं हरण करता, वह घोर नरक में पड़ता है। माता-पिता बालकों को बुलाकर वही धर्म सि…
मनुष्य शरीर के समान कोई शरीर नहीं है। चर-अचर सभी जीव उसकी याचना करते हैं। वह मनुष्य शरीर नरक, स्वर्ग और मोक्ष की सीढ़…
'जगत में चार प्रकार के (आर्त, अर्थार्थी, जिज्ञासु और ज्ञानी) रामभक्त है और चारों ही पुण्यात्मा, पापरहित और उदार ह…
जाति, पाँति, कुल, धर्म, बड़ाई, धन, बल, कुटुम्ब, गुण और चतुरता- इन सबके होने पर भी भक्ति से रहित मनुष्य कैसा लगता है, …
राम की कथा हाथ की सुंदर ताली है, जो संदेहरूपी पक्षियों को उड़ा देती है। फिर रामकथा कलियुगरूपी वृक्ष को काटने के लिए क…
अर्थात्, जब दक्ष को प्रजापति का अधिकार मिला तो उसके मन में अत्याधिक घमंड आ गया। संसार में ऐसा किसी ने जन्म नही लिया ज…
manas mantra यदि श्रीराम जी की कृपा से इस प्रकार का संयोग बन जाए तो ये सब रोग नष्ट हो जाएँ। सद्गुरु रूपी वैद्य के वचन…
वे अर्थात् प्रभु चराचरमय (चराचर में व्याप्त) होते हुए ही सबसे रहित हैं और विरक्त हैं (उनकी कहीं आसक्ति नहीं है); व…
जो आनंद के समुद्र और सुख की राशि हैं, जिस के एक कण से तीनों लोक सुखी होते हैं, उन का नाम 'राम' है, जो सुख का …