भर्तृहरि नीति शतक हिन्दी अनुवाद सहित free download
भर्तृहरि नीति शतक हिन्दी अनुवाद सहित free download भर्तृहरि का नीतिशतक अनेक नैतिक सिद्धांतों का प्रतिपादन करने वाला उत…
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neetishatak 12 साहित्यसङ्गीतकलाविहीनः साक्षात्पशुः पुच्छविषाणहीनः । तृणं न खादन्नपि जीवमान- स्तद्भागधेयं प…
नीतिशतक श्लोक संख्या ११ शक्यो वारयितुं जलेन हुतभुक् छत्रेण सूर्यातपौ नागेन्द्रो निशताङ्कुशेन समदो दण्डेन …
neetishatak 10 शिरः शार्वं स्वर्गात् पशुपतिशिरस्तः क्षितिधरं महीध्रादुत्तुङ्गादवनिमवनेश्चापि जलधिम् । अधोऽधो गङ्गेयं पद…
bhagwat darshan कृमिकुलचितं लालाक्लिन्नं विगन्धि जुगुप्सितं निरुपमरसं प्रीत्या खादन्नरास्थि निरामिषम् । सुरपतिमपि श्वा …
neetishatak 8 यदा किञ्चिज्ज्ञोऽहंंद्विप इव मदान्धः समभवं तदा सर्वज्ञोऽस्मीत्यभवदलिप्तं मम मनः । यदा किञ्चित्किञ्चिद् बु…
neetishatak 7 स्वायत्तमेकान्तगुणं विधात्रा विनिर्मितं छादनमज्ञतायाः । विशेषतः सर्वविदां समाजे विभूषणं मौनमपण्डितानाम् ॥…
neetishatak 6 व्यालं बालमृणालतन्तुभिरसौ रोद्धुंसमुज्जृम्भते छेत्तुं वज्रमणिं शिरीषकुसुमप्रान्तेन संनह्यते । माधुर्यं मध…
नीतिशतक श्लोक संख्या ५ लभेत सिकतासु तैलमपि यत्नतः पीडयन् पिबेच्च मृगतृष्णिकासु सलिलं पिपासार्दितः । कदाचिदपि पर्यटञ्छशव…
नीतिशतक श्लोक संख्या ४ प्रसह्य मणिमुद्धरेन्मकरवक्त्रदंष्ट्रान्तरात् समुद्रमपि सन्तरेत् प्रचलदूर्मिमालाकुलम् । भुजङ्ग…
neetishatak 2 बोद्धारो मत्सरग्रस्ताः प्रभवः स्मयदूषिताः । अबोधोपहताश्चान्ये जीर्णमङ्गे सुभाषितम् ।।२।। हिन्दी अनुवाद …
नीतिशतक श्लोक संख्या १ दिक्कालाद्यनवच्छिन्नानन्तचिन्मात्रमूर्तये । स्वानुभूत्येकमानाय नमः शान्ताय तेजसे ॥१॥ …
नीतिशतक में छ्न्द प्रयोग नीतिशतक में कवि ने अनेक छन्दों का प्रयोग किया है । यथा- आर्या, अनुष्टुप्, पृथ्वी…
neetishatak भर्तृहरि का नीतिशतक अनेक नैतिक सिद्धांतों का प्रतिपादन करने वाला उत्कृष्ट ग्रंथ है । इसमें प्रतिपादित सभी न…
भर्तृहरि की रचनाएं भर्तृहरि के नाम से चार रचनाएं कहीं जाती हैं - १. नीतिशतक(१११श्लोक) …
bhartrihari भर्तृहरि के जीवन परिचय के विषय में जनश्रुतियां ही आधार हैं । इसके आधार पर यह स्वीकार किया जाता है कि महार…
भर्तृहरि का समय निर्धारण प्रचलित भारतीय जनश्रुति महाराज भर्तृहरि को विक्रम संवत् के संस्थापक…
bhartrihari ? स्वनामधन्य संस्कृत कवियों की परंपरा अपने विषय में अपरिचित ही रही है । इसी श्रृंखला में भर्तृहरि जी ने भ…