![ईश्वर के सिवा जो कुछ भी दिखायी देता है,वह असत्य है ?](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg3gnLUkHypuZryiTHXmliaHJ-cYZVip42Lll7DLV4IqtfvSSXjOr-HtifXYYujfejqPuxho1TmniBcaM-YLXhYrjQ8Yt9chf2_CArOKZ2jR9Oenkr9M-HE3RPPudRcSpFpJeXQZkNsW4U8C1I-L0-9yhnPEJznN2lAMRtR-Nb_dcZfX2b4mgZ-ui3ouu4/w72-h72-p-k-no-nu/channels4_profile.jpg)
ईश्वर के सिवा जो कुछ भी दिखायी देता है,वह असत्य है ?
भागवत दर्शन ईश्वर के सिवा जो कुछ भी दिखायी देता है,वह असत्य है। अस्तित्व न होने पर भी जो दिखाई देता है और सभी में व्या…
भागवत दर्शन ईश्वर के सिवा जो कुछ भी दिखायी देता है,वह असत्य है। अस्तित्व न होने पर भी जो दिखाई देता है और सभी में व्या…
ईस्वर अंस जीव अबिनासी। चेतन अमल सहज सुख रासी॥ ईश्वर न तो दूर है और न अत्यंत दुर्लभ ही है, बोध स्वरूप एकरस अपना आत्मा…
पुराने समय में एक राजा था। राजा के पास सभी सुख-सुविधाएं और असंख्य सेवक-सेविकाएं हर समय उनकी सेवा उपलब्ध रहते थे। उन्ह…
ओउम् (ॐ) या ओंकार का नामान्तर प्रणव है। यह ईश्वर का वाचक है। ईश्वर के साथ ओंकार का वाच्य-वाचक-भाव सम्बन्ध नित्य है, स…
मैं अरु मोर तोर तैं माया। जेहिं बस कीन्हे जीव निकाया॥ गो गोचर जहँ लगि मन जाई। सो सब माया जानेहु भाई॥ मैं और मेरा, तू …
भावी काहू न दही, भावी देह भगवान। भावी ऐसी प्रबल है, कहि "रहीम" यह जान।। अर्थ — भावी अर्थात प्रारब्ध को कोई …
दृष्टि अलग होती है, और दृष्टिकोण अलग होता है। "दृष्टि तो उसे कहते हैं, जो हम आंखों से बाह्य स्थूल पदार्थों को दे…
"आपके मन के अलावा कोई भी अन्य आपको परेशान नहीं कर सकता। भले ही आपको प्रतीत हो कि कोई आपको परेशान कर रहा है, लेकिन…
एक बार नारद जी ने भगवान से प्रश्न किया कि प्रभु आपके भक्त गरीब क्यों होते हैं ? भगवान बोले–"नारद जी ! मेरी कृपा …
अभिमन्यु के पुत्र, राजा परीक्षित थे। राजा परीक्षित के बाद उन के पुत्र जन्मजेय राजा बने। एक दिन जन्मेजय वेदव्यास ज…
एक दिन एक व्यक्ति ऑटो से रेलवे स्टेशन जा रहा था। ऑटो वाला बड़े आराम से ऑटो चला रहा था। एक कार अचानक ही पार्किंग से नि…
मनुष्य, देव और असुर यह तीनों वर्ग माने गये हैं। यों वर्णनकर्ताओं ने इनकी आकृति का भी अंतर किया है, पर वह आलंकारिक है।…
बहुत समय पहले की बात है, किसी नगर में एक बेहद प्रभावशाली महंत रहते थे। उनके पास शिक्षा लेने हेतु दूर-दूर से शिष्य आते…
धर्म के 10 लक्षण हैं - धृतिक्षमः दमोस्तेयः शौचमिन्द्रियनिग्रहः। धीर्विद्या सत्यमक्रोधो दशकं धर्मलक्षणम्॥ …
एक घड़ी आधी घड़ी, आधी की पुनि आध । तुलसी संगत साधु की ,काटे कोटि अपराध॥ साधु जीवन में कितना ज़रूरी है इस बात को समझने…
आत्मा की अमरता का विश्वास सचमुच भू-लोक का अमृत है। इसे पान करने के उपरांत मनुष्य की दिव्य दृष्टि खुलती है। वह कल्पना …
विभिन्न योनियों में बन्दी जीव परमेश्वर के अंश हैं, मायावादी दार्शनिक जीव को परमात्मा समझने की भूल कर बैठते हैं, वास्तव…
'धर्म मृत्यु की विधि से जीवन को पाने का द्वार है ।'-----संत हरिदास ने यह बात अपने शिष्य तानसेन से कहीं । पूर्…