ज्योतिष: नक्षत्र की परिभाषा, ज्योतिष: नक्षत्र की परिभाषा और परिचय, भागवत दर्शन सूरज कृष्ण शास्त्री। संक्षिप्त परिभाषा (आधुनिक एवं शास्त्रीय समन्वय)
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ज्योतिष: नक्षत्र की परिभाषा और परिचय |
ज्योतिष: नक्षत्र की परिभाषा और परिचय
यहाँ पर हम "नक्षत्र की परिभाषा" एक व्यवस्थित रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं:
नक्षत्र परिभाषा (शास्त्रीय आधार पर):
हिन्दी भावार्थ:
संक्षिप्त परिभाषा (आधुनिक एवं शास्त्रीय समन्वय):
“आकाश में स्थित वे ज्योतिर्मय बिंदु (तारे), जो परस्पर स्थिर दूरी और स्थिति में रहते हैं, नक्षत्र कहलाते हैं। ये सौरमंडल के बाहर स्थित दूरस्थ तारागण हैं, जिनकी तुलना में ग्रह गतिशील होते हैं।”
विशेषताएँ:
- नक्षत्र सौरमंडल से बाहर स्थित हैं।
- ये स्थिर प्रतीत होते हैं क्योंकि इनका आपसी परिप्रेक्ष्य में स्थान नहीं बदलता।
- वैदिक ज्योतिष में 27 प्रमुख नक्षत्र माने जाते हैं (कुछ मतों में 28)।
- प्रत्येक नक्षत्र की एक विशेष राशि पर स्थित सीमा होती है।
- नक्षत्रों के आधार पर व्यक्ति की जन्मकुंडली में जन्म नक्षत्र, दशा, एवं गुण मिलान आदि निर्धारित होते हैं।
🌌 २७ नक्षत्रों का विस्तृत चार्ट
क्रम | नक्षत्र नाम | देवता | प्रतीक | स्वभाव / गुण | उपयोग व प्रभाव क्षेत्र |
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1 | अश्विनी | अश्विनीकुमार | घोड़े का सिर | शीघ्रगामी, आरोग्यदायक | उपचार, चिकित्सा, आरंभ |
2 | भरणी | यम | यंत्र, गर्भ | रहस्यमयी, नियंत्रणशील | अनुशासन, सर्जरी, कर्ज |
3 | कृतिका | अग्नि | अग्नि, छुरा | तीव्र, साहसी | शुद्धि, निर्णय, न्याय |
4 | रोहिणी | ब्रह्मा | रथ, बैल | सौंदर्य, आकर्षण | कला, प्रेम, कृषि |
5 | मृगशिरा | सोम | हिरण का सिर | खोजी, चंचल | यात्रा, अनुसंधान |
6 | आर्द्रा | रुद्र | आँसू, जलकण | विद्रोही, गहन | परिवर्तन, विज्ञान |
7 | पुनर्वसू | अदिति | धनुष, घर | पुनर्निर्माण | परिवार, समर्पण |
8 | पुष्य | बृहस्पति | गाय का थन, कमल | पोषक, शुभ | शिक्षण, यज्ञ, दीक्षा |
9 | अश्लेषा | सर्प | कुण्डली, नाग | रहस्यमयी, चतुर | तंत्र, मन्त्र, चिकित्सा |
10 | मघा | पितर | सिंहासन, राजमुकुट | गरिमामयी | वंश, राजनीति |
11 | पूर्वाफाल्गुनी | भगा (सूर्य का आदित्य) | खाट, प्रेम | भोगप्रधान, रचनात्मक | विवाह, कला, मनोरंजन |
12 | उत्तराफाल्गुनी | आर्यमा | पलंग, विवाह बंधन | संयमी, स्थिर | दीर्घकालिक संकल्प |
13 | हस्त | सविता | हाथ, हथेली | दक्ष, कुशल | दस्तकारी, व्यापार |
14 | चित्रा | विश्वकर्मा | माणिक, मोती | सृजनशील | वास्तु, कला, सौंदर्य |
15 | स्वाति | वायु | पौधा, तलवार | स्वतंत्र | वाणी, वाणिज्य |
16 | विशाखा | इन्द्र-अग्नि | त्रिशूल, मेघ | महत्वाकांक्षी | प्रतियोगिता, शक्ति |
17 | अनुराधा | मित्र | कमल, मालिका | मिलनसार | मित्रता, सहयोग |
18 | ज्येष्ठा | इन्द्र | रत्न, छड़ी | प्रभावशाली | वरिष्ठता, आत्मरक्षा |
19 | मूल | निरृति (विनाश की देवी) | जड़, माला | परिवर्तनकारी | गूढ़ साधना, विनाश-उत्थान |
20 | पूर्वाषाढ़ा | अपः (जल-देवी) | हाथी का दाँत | विजयी, उत्साही | विवाद में सफलता |
21 | उत्तराषाढ़ा | विश्वदेव | गदा, स्तम्भ | दृढ़, धर्मपरायण | स्थायित्व, नेतृत्व |
22 | श्रवण | विष्णु | कान, शंख | ध्यानशील, अनुशासित | शिक्षण, उपदेश, धर्म |
23 | धनिष्ठा | वसु | ढोल, वीणा | ध्वनिप्रिय, समर्पित | संगीत, समाजकार्य |
24 | शतभिषा | वरुण | वृत्त, सौ चक्र | रहस्यमयी | औषधि, गोपनीयता |
25 | पूर्वाभाद्रपद | अज एकपाद | तलवार, अग्नि | उग्र, आदर्शवादी | तपस्या, गूढ़ ध्यान |
26 | उत्तराभाद्रपद | अहिर्बुध्न्य | युग्म, गदा | गम्भीर | अंतर्दृष्टि, आध्यात्म |
27 | रेवती | पूषन | मछली, डमरू | शांत, पोषणकारी | सुरक्षा, यात्रा, समापन |
🌟 नक्षत्रों का उपयोग (उपयुक्त कर्म)
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सौम्य नक्षत्र (जैसे रोहिणी, पुष्य, हस्त): विवाह, शुभारम्भ, विद्या
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क्रूर नक्षत्र (जैसे मूल, अश्लेषा, आर्द्रा): तंत्र, चिकित्सा, शत्रुनाश
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मिश्र नक्षत्र (जैसे स्वाति, विशाखा): व्यापार, वाणी, संवाद
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स्थिर नक्षत्र (जैसे उत्तराषाढ़ा, श्रवण): संपत्ति, व्रत, धर्मकर्म
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