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UGC NET/JRF: शोधः अर्थ, प्रकार और विशेषताएँ, प्रत्यक्षवाद एवं उत्तर-प्रत्यक्षवाद शोध के उपागम |
UGC NET/JRF: शोधः अर्थ, प्रकार और विशेषताएँ, प्रत्यक्षवाद एवं उत्तर-प्रत्यक्षवाद शोध के उपागम
1. शोध का अर्थ (Meaning of Research)
शोध (Research) एक व्यवस्थित और वैज्ञानिक प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से नए तथ्यों की खोज, मौजूदा ज्ञान का पुनः परीक्षण और व्यावहारिक समस्याओं का समाधान किया जाता है। यह किसी भी विषय पर गहन अध्ययन करने और सत्यापन योग्य निष्कर्ष निकालने का एक तरीका है।
शोध को ज्ञान प्राप्ति का साधन माना जाता है, जिसमें किसी विशेष समस्या या प्रश्न का व्यवस्थित अध्ययन किया जाता है। इसमें वैज्ञानिक विधियों का उपयोग करके प्रमाणों (evidence) को इकट्ठा किया जाता है और उनका विश्लेषण करके निष्कर्ष निकाले जाते हैं।
2. शोध के प्रकार (Types of Research)
शोध को विभिन्न आधारों पर वर्गीकृत किया जाता है।
(क) उद्देश्य के आधार पर शोध के प्रकार:
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मौलिक शोध (Fundamental Research) या बेसिक रिसर्च
- यह शोध नए सिद्धांतों, नियमों और अवधारणाओं को विकसित करने पर केंद्रित होता है।
- इसका कोई तात्कालिक व्यावहारिक उपयोग नहीं होता, बल्कि यह ज्ञान के विस्तार के लिए किया जाता है।
- उदाहरण: न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण के नियम, आइंस्टीन का सापेक्षता का सिद्धांत।
-
अनुप्रयुक्त शोध (Applied Research)
- यह शोध किसी विशिष्ट समस्या के व्यावहारिक समाधान के लिए किया जाता है।
- इसका उद्देश्य मौलिक शोध में विकसित ज्ञान को वास्तविक जीवन की समस्याओं में लागू करना होता है।
- उदाहरण: कैंसर का इलाज विकसित करने के लिए किया गया शोध, नई तकनीकों का विकास।
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क्रिया शोध (Action Research)
- यह शोध विशेष रूप से शिक्षण, प्रशासन, और सामाजिक विज्ञान में किया जाता है।
- इसमें किसी समस्या को हल करने और तुरंत बदलाव लाने पर ध्यान दिया जाता है।
- उदाहरण: शिक्षा प्रणाली में सुधार के लिए शिक्षकों द्वारा किया गया शोध।
(ख) डेटा संग्रह के आधार पर शोध के प्रकार:
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प्रायोगिक शोध (Experimental Research)
- इसमें नियंत्रण और निष्कर्ष की पुष्टि के लिए प्रयोग किए जाते हैं।
- यह मुख्य रूप से विज्ञान और चिकित्सा के क्षेत्रों में किया जाता है।
- उदाहरण: दवाइयों की प्रभावशीलता का परीक्षण।
-
सर्वेक्षण शोध (Survey Research)
- इसमें किसी विशेष जनसंख्या या समूह से संबंधित जानकारी एकत्र की जाती है।
- यह प्रश्नावली, साक्षात्कार और फील्ड अध्ययन पर आधारित होता है।
- उदाहरण: चुनाव पूर्व सर्वेक्षण, बाजार अनुसंधान।
-
ऐतिहासिक शोध (Historical Research)
- यह अतीत की घटनाओं और तथ्यों का अध्ययन करता है।
- इसमें प्राचीन दस्तावेजों, अभिलेखों और ऐतिहासिक स्रोतों का उपयोग किया जाता है।
- उदाहरण: भारत के स्वतंत्रता संग्राम पर शोध।
-
वर्णनात्मक शोध (Descriptive Research)
- यह किसी घटना, व्यक्ति या स्थिति का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करता है।
- यह मात्रात्मक और गुणात्मक दोनों हो सकता है।
- उदाहरण: समाज में लैंगिक असमानता पर शोध।
3. शोध की विशेषताएँ (Characteristics of Research)
- संगठित (Systematic) – शोध एक निश्चित पद्धति और योजना के अनुसार किया जाता है।
- तथ्य-आधारित (Fact-based) – यह प्रमाणों और तर्कों पर आधारित होता है, न कि व्यक्तिगत विचारों पर।
- उद्देश्यपरक (Objective) – शोधकर्ता को निष्पक्ष रहकर अध्ययन करना चाहिए।
- नई खोज (Innovative) – शोध का मुख्य उद्देश्य नए विचारों और तथ्यों की खोज करना होता है।
- परिमाणात्मक और गुणात्मक (Quantitative & Qualitative) – शोध डेटा-आधारित (संख्यात्मक) और अनुभव-आधारित (गुणात्मक) दोनों हो सकता है।
- सत्यापन योग्य (Verifiable) – शोध के परिणामों की पुष्टि की जा सकती है।
- निरंतरता (Continuity) – शोध एक सतत प्रक्रिया है, जिससे ज्ञान में लगातार वृद्धि होती रहती है।
4. प्रत्यक्षवाद (Positivism) एवं उत्तर-प्रत्यक्षवाद (Post-Positivism) शोध के उपागम
(क) प्रत्यक्षवाद (Positivism) का शोध उपागम
प्रत्यक्षवाद (Positivism) वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित एक अनुसंधान पद्धति है, जो अनुभवजन्य (Empirical) प्रमाणों और तर्कसंगत विश्लेषण पर बल देती है।
प्रत्यक्षवाद की विशेषताएँ:
- अनुभवजन्य प्रमाण (Empirical Evidence) – केवल वे तथ्य स्वीकार किए जाते हैं, जो प्रत्यक्ष अनुभव और आंकड़ों से प्रमाणित हो सकते हैं।
- निष्पक्षता (Objectivity) – शोधकर्ता के व्यक्तिगत विचारों का प्रभाव नहीं होना चाहिए।
- मात्रात्मक डेटा (Quantitative Data) – संख्यात्मक विश्लेषण और सांख्यिकीय विधियाँ अपनाई जाती हैं।
- विज्ञान-आधारित दृष्टिकोण (Scientific Approach) – वैज्ञानिक विधियों का उपयोग किया जाता है, जैसे कि प्रयोग, सर्वेक्षण और सांख्यिकीय परीक्षण।
- नियमबद्धता (Regularity) – प्रत्यक्षवाद यह मानता है कि समाज में नियमबद्ध पैटर्न मौजूद होते हैं, जिन्हें खोजा जा सकता है।
प्रत्यक्षवाद शोध विधियाँ:
- सर्वेक्षण (Surveys)
- प्रयोगात्मक अध्ययन (Experimental Studies)
- सांख्यिकीय विश्लेषण (Statistical Analysis)
(ख) उत्तर-प्रत्यक्षवाद (Post-Positivism) का शोध उपागम
उत्तर-प्रत्यक्षवाद (Post-Positivism) प्रत्यक्षवाद की सीमाओं को स्वीकार करता है और यह मानता है कि ज्ञान पूर्णतः वस्तुनिष्ठ नहीं हो सकता। यह एक अधिक लचीला दृष्टिकोण अपनाता है और सामाजिक संदर्भों को भी महत्व देता है।
उत्तर-प्रत्यक्षवाद की विशेषताएँ:
- सत्य की सापेक्षता (Relativity of Truth) – सत्य एक सामाजिक और सांस्कृतिक निर्माण हो सकता है।
- गुणात्मक और मात्रात्मक दोनों विधियाँ (Mixed Methods) – केवल संख्यात्मक आंकड़ों पर निर्भर रहने के बजाय गुणात्मक तत्वों को भी शामिल किया जाता है।
- शोधकर्ता की भूमिका (Researcher’s Role) – शोधकर्ता का दृष्टिकोण भी अध्ययन को प्रभावित कर सकता है।
- सामाजिक संदर्भों का महत्व (Contextual Understanding) – शोध में सामाजिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संदर्भों को शामिल किया जाता है।
- बहु-विधि दृष्टिकोण (Multiple Methods Approach) – विभिन्न शोध तकनीकों का संयोजन किया जाता है।
उत्तर-प्रत्यक्षवाद शोध विधियाँ:
- केस स्टडी (Case Studies)
- मिश्रित विधि (Mixed Methods)
- साक्षात्कार (Interviews)
- प्रतिभागी अवलोकन (Participant Observation)
5. निष्कर्ष (Conclusion)
शोध ज्ञान की खोज और समस्याओं के समाधान का एक महत्वपूर्ण साधन है। प्रत्यक्षवाद और उत्तर-प्रत्यक्षवाद दो प्रमुख शोध दृष्टिकोण हैं, जिनमें प्रत्यक्षवाद वैज्ञानिक विधियों और मात्रात्मक डेटा पर जोर देता है, जबकि उत्तर-प्रत्यक्षवाद सामाजिक संदर्भों और गुणात्मक दृष्टिकोण को स्वीकार करता है। आधुनिक शोध में दोनों दृष्टिकोणों का संयोजन किया जा रहा है, जिससे अधिक व्यापक और प्रभावी निष्कर्ष प्राप्त हो सकते हैं।
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