UGC NET/JRF: मूल्यांकन प्रणालियाँ - संपूर्ण अध्ययन, मूल्यांकन प्रणालियां : मूल्यांकन के तत्त्व और प्रकार,उच्च शिक्षा में विकल्प आधारित क्रेडिट प्रणाली
UGC NET/JRF: मूल्यांकन प्रणालियाँ - संपूर्ण अध्ययन
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UGC NET/JRF: मूल्यांकन प्रणालियाँ - संपूर्ण अध्ययन |
मूल्यांकन (Assessment) किसी भी शिक्षण प्रक्रिया का एक अभिन्न हिस्सा है। यह न केवल छात्रों की सीखने की प्रगति को समझने में मदद करता है, बल्कि शिक्षकों और संस्थानों को भी अपनी शिक्षण पद्धतियों में सुधार करने का अवसर देता है। मूल्यांकन के कई प्रकार होते हैं, जो शिक्षण उद्देश्यों और सीखने की आवश्यकताओं के अनुसार विकसित किए जाते हैं।
1. मूल्यांकन के तत्त्व और प्रकार
1.1 मूल्यांकन के तत्त्व
मूल्यांकन प्रणाली को प्रभावी बनाने के लिए इसमें कुछ महत्वपूर्ण तत्त्व शामिल किए जाते हैं:
- स्पष्ट उद्देश्य (Clear Objective) – मूल्यांकन का मुख्य उद्देश्य छात्रों की प्रगति, उनकी अवधारणात्मक स्पष्टता और व्यावहारिक कौशल का विश्लेषण करना है।
- मापनीयता (Measurability) – मूल्यांकन की प्रक्रिया ऐसी होनी चाहिए कि वह सटीक रूप से छात्रों की योग्यता को माप सके।
- निरंतरता (Continuity) – प्रभावी मूल्यांकन के लिए यह आवश्यक है कि यह एक सतत प्रक्रिया हो और केवल अंतिम परीक्षा तक सीमित न रहे।
- सत्यता (Validity) – मूल्यांकन विधि को इस प्रकार विकसित किया जाना चाहिए कि वह उन विषयों और कौशलों को मापे, जिनका परीक्षण किया जाना है।
- विश्वसनीयता (Reliability) – मूल्यांकन के परिणाम बार-बार करने पर एक समान होने चाहिए, जिससे निष्पक्षता बनी रहे।
- प्रतिक्रिया (Feedback) – छात्रों को उनके प्रदर्शन पर सार्थक प्रतिक्रिया मिलनी चाहिए, जिससे वे अपनी कमजोरियों को सुधार सकें।
1.2 मूल्यांकन के प्रकार
मूल्यांकन को उसकी प्रकृति, उद्देश्य और समय के आधार पर विभिन्न प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है:
(क) उद्देश्य आधारित मूल्यांकन
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रचनात्मक मूल्यांकन (Formative Assessment)
- शिक्षण प्रक्रिया के दौरान किया जाता है।
- लघु परीक्षाएँ, असाइनमेंट, कक्षा चर्चा, प्रस्तुति आदि शामिल होते हैं।
- उद्देश्य: छात्रों की समझ और प्रगति का सतत आकलन।
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संज्ञात्मक मूल्यांकन (Summative Assessment)
- कोर्स या विषय के अंत में किया जाता है।
- वार्षिक परीक्षाएँ, सेमेस्टर परीक्षाएँ, थीसिस रक्षा (Viva) आदि आते हैं।
- उद्देश्य: संपूर्ण ज्ञान और दक्षता का मूल्यांकन।
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नैदानिक मूल्यांकन (Diagnostic Assessment)
- छात्र की प्रारंभिक योग्यता और सीखने की कठिनाइयों को पहचानने के लिए।
- उद्देश्य: व्यक्तिगत शिक्षण आवश्यकताओं का निर्धारण।
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प्राकृतिक मूल्यांकन (Authentic Assessment)
- वास्तविक जीवन की स्थितियों और व्यावहारिक समस्याओं को हल करने की क्षमता को मापता है।
- उद्देश्य: व्यावहारिक ज्ञान और समस्या-समाधान कौशल का परीक्षण।
(ख) मूल्यांकन की पद्धति के आधार पर वर्गीकरण
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आंतरिक मूल्यांकन (Internal Assessment)
- शिक्षकों द्वारा किया जाता है।
- कक्षा परीक्षाएँ, असाइनमेंट, समूह चर्चा, प्रोजेक्ट आदि शामिल होते हैं।
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बाह्य मूल्यांकन (External Assessment)
- बाहरी एजेंसियों या संस्थानों द्वारा किया जाता है।
- बोर्ड परीक्षाएँ, प्रतियोगी परीक्षाएँ आदि।
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स्व-मूल्यांकन (Self-Assessment)
- छात्र स्वयं अपने ज्ञान और कौशल का मूल्यांकन करते हैं।
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सहकर्मी मूल्यांकन (Peer-Assessment)
- छात्र अपने सहपाठियों की कार्यशैली और उत्तरों का मूल्यांकन करते हैं।
2. उच्च शिक्षा में विकल्प आधारित क्रेडिट प्रणाली (CBCS) में मूल्यांकन
विकल्प आधारित क्रेडिट प्रणाली (Choice Based Credit System - CBCS) उच्च शिक्षा में पारंपरिक अंकों और ग्रेडिंग सिस्टम की जगह ली जा रही है। यह छात्रों को लचीलापन प्रदान करती है और उन्हें अपनी रुचि के अनुसार विषयों का चयन करने की अनुमति देती है।
CBCS में मूल्यांकन की विशेषताएँ
- क्रेडिट आधारित मूल्यांकन – प्रत्येक विषय को क्रेडिट दिए जाते हैं, और छात्रों को डिग्री प्राप्त करने के लिए आवश्यक क्रेडिट पूरे करने होते हैं।
- ग्रेडिंग प्रणाली – छात्रों को ग्रेड के रूप में मूल्यांकन किया जाता है, जिससे निष्पक्षता और पारदर्शिता बनी रहती है।
- मल्टी-डिसिप्लिनरी लर्निंग – छात्र अपने मुख्य विषयों के अलावा वैकल्पिक विषयों का चयन कर सकते हैं।
- निरंतर मूल्यांकन – सेमेस्टर परीक्षाएँ, असाइनमेंट, शोध परियोजनाएँ, व्यावहारिक परीक्षा आदि का समावेश।
- समग्र विकास – छात्रों की योग्यता को केवल लिखित परीक्षा से नहीं, बल्कि प्रायोगिक कार्य और कौशल आधारित गतिविधियों से भी मापा जाता है।
3. कंप्यूटर आधारित परीक्षा (Computer-Based Testing - CBT)
CBT एक आधुनिक मूल्यांकन पद्धति है, जिसमें परीक्षाएँ डिजिटल रूप से आयोजित की जाती हैं।
CBT की विशेषताएँ
- तेज़ परिणाम – उत्तरों की जाँच स्वचालित रूप से होती है, जिससे त्वरित मूल्यांकन संभव होता है।
- सुरक्षित परीक्षा प्रणाली – पेपर लीक जैसी समस्याओं को कम करता है।
- लचीलापन – छात्र किसी भी स्थान से परीक्षा दे सकते हैं।
- विविध प्रश्न प्रकार – MCQ, केस स्टडी, समस्या-समाधान आधारित प्रश्न।
- समान अवसर – तकनीकी माध्यम से परीक्षा निष्पक्ष और मानकीकृत होती है।
4. मूल्यांकन पद्धतियों में नवाचार
शिक्षा प्रणाली में पारंपरिक परीक्षा प्रणाली के अलावा अब कई नवीन मूल्यांकन पद्धतियाँ अपनाई जा रही हैं:
4.1 प्रमुख नवाचार
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ओपन बुक परीक्षा (Open Book Examination - OBE)
- छात्र परीक्षा के दौरान संदर्भ पुस्तकों और नोट्स का उपयोग कर सकते हैं।
- उद्देश्य: छात्रों की विश्लेषणात्मक और समस्या-समाधान क्षमता बढ़ाना।
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प्रोजेक्ट और असाइनमेंट आधारित मूल्यांकन
- छात्रों को वास्तविक जीवन की समस्याओं पर शोध और विश्लेषण करने के लिए प्रेरित करता है।
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ई-पोर्टफोलियो (E-Portfolio)
- छात्रों के असाइनमेंट, शोध पत्र, व्याख्यान और परियोजनाओं का डिजिटल रिकॉर्ड।
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सिमुलेशन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित मूल्यांकन
- व्यावहारिक ज्ञान और जटिल समस्याओं के हल निकालने की क्षमता को मापने के लिए।
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प्रत्यक्ष सहभागिता मूल्यांकन (Experiential & Participatory Assessment)
- ग्रुप डिस्कशन, केस स्टडी, रोल प्ले आदि।
निष्कर्ष
शिक्षा में मूल्यांकन केवल परीक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह छात्रों की संपूर्ण प्रगति को मापने और शिक्षकों को शिक्षण में सुधार करने का अवसर प्रदान करता है। आधुनिक मूल्यांकन प्रणालियाँ, जैसे CBCS, CBT, नवाचार-आधारित मूल्यांकन, उच्च शिक्षा को अधिक प्रभावी और समावेशी बना रही हैं।
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