Small Modular Reactors (SMRs): भारत के स्वच्छ ऊर्जा भविष्य की दिशा में एक क्रांति, Science,आविष्कार,अनुसन्धान,Research techniques, bhagwat darshan so.
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Small Modular Reactors (SMRs): भारत के स्वच्छ ऊर्जा भविष्य की दिशा में एक क्रांति |
Small Modular Reactors (SMRs): भारत के स्वच्छ ऊर्जा भविष्य की दिशा में एक क्रांति
1. भारत की बढ़ती ऊर्जा आवश्यकता और परमाणु ऊर्जा का महत्व
भारत तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था और जनसंख्या के कारण ऊर्जा की बढ़ती मांग से जूझ रहा है। वर्तमान में भारत में कुल स्थापित विद्युत उत्पादन क्षमता लगभग 420 गीगावाट (GW) है, जिसमें परमाणु ऊर्जा का योगदान केवल 2-3% है।
हालांकि, ऊर्जा की इस मांग को पूरा करने के लिए कोयला और पेट्रोलियम जैसे पारंपरिक स्रोतों पर निर्भरता पर्यावरणीय समस्याओं को जन्म दे रही है। इसके समाधान के लिए, भारत सरकार नवीकरणीय ऊर्जा (सौर, पवन) और परमाणु ऊर्जा को बढ़ावा दे रही है।
परमाणु ऊर्जा का एक प्रमुख लाभ यह है कि यह बिना किसी ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के निरंतर बिजली उत्पादन प्रदान करती है। इसीलिए, भारत ने 2047 तक परमाणु ऊर्जा क्षमता को 1,00,000 मेगावाट (100 GW) तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है।
2. Small Modular Reactors (SMRs) क्या होते हैं?
Small Modular Reactors (SMRs) छोटे, मॉड्यूलर और उन्नत परमाणु रिएक्टर होते हैं। पारंपरिक बड़े परमाणु संयंत्रों की तुलना में SMRs की क्षमता कम होती है (10 से 300 मेगावाट तक), लेकिन ये अधिक सुरक्षित, किफायती और लचीले होते हैं।
SMRs की प्रमुख विशेषताएँ:
- छोटे आकार के कारण आसान निर्माण और स्थापना – SMRs को फैक्ट्री में असेंबल करके विभिन्न स्थानों पर आसानी से स्थापित किया जा सकता है।
- कम लागत और तीव्र निर्माण – पारंपरिक परमाणु संयंत्रों की तुलना में SMRs 50% तक सस्ते और तेजी से तैयार होने वाले होते हैं।
- सुरक्षित डिजाइन – SMRs में "Passive Cooling System" होता है, जो बिना बिजली के भी रिएक्टर को ठंडा रख सकता है, जिससे दुर्घटनाओं की संभावना बहुत कम हो जाती है।
- बहुपयोगी – इन्हें दूरदराज के क्षेत्रों, औद्योगिक परिसरों और द्वीपों में बिजली आपूर्ति के लिए प्रयोग किया जा सकता है।
- पर्यावरण के अनुकूल – ये ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन नहीं करते, जिससे भारत के "Net Zero Carbon Emission" लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
3. भारत SMRs पर क्यों जोर दे रहा है?
(क) ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए
भारत की 80% ऊर्जा की आवश्यकता कोयला और तेल पर निर्भर है, जिनका आयात हमें महंगा पड़ता है। SMRs के माध्यम से भारत अपनी ऊर्जा आत्मनिर्भरता (Energy Independence) को बढ़ा सकता है।
(ख) औद्योगिक विकास और ग्रामीण विद्युतीकरण के लिए
SMRs को विशेष रूप से उन स्थानों पर स्थापित किया जा सकता है जहाँ ग्रिड कनेक्टिविटी सीमित है, जिससे दूरदराज के इलाकों में भी बिजली आपूर्ति सुनिश्चित हो सकेगी।
(ग) हरित ऊर्जा (Green Energy) को बढ़ावा देने के लिए
2050 तक भारत की ऊर्जा मांग 80-150% तक बढ़ने का अनुमान है। अगर इस मांग को पर्यावरण के अनुकूल तरीके से पूरा करना है, तो परमाणु ऊर्जा और SMRs महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
(घ) कोयला-आधारित बिजली संयंत्रों का स्थान लेने के लिए
वर्तमान में भारत की 60% बिजली उत्पादन कोयले से होता है। इसे कम करने के लिए SMRs का उपयोग किया जा सकता है, जिससे कार्बन उत्सर्जन को कम किया जा सकेगा।
4. SMRs के प्रमुख लाभ
- लागत में कमी: पारंपरिक परमाणु संयंत्रों की तुलना में SMRs 50% तक सस्ते होते हैं।
- सुरक्षा: इनमें स्वचालित सुरक्षा प्रणालियाँ (Passive Safety Systems) होती हैं, जिससे ये पारंपरिक रिएक्टरों से अधिक सुरक्षित होते हैं।
- गति: SMRs को तेजी से (3-5 वर्षों में) स्थापित किया जा सकता है, जबकि बड़े परमाणु संयंत्रों को बनने में 10-15 वर्ष लगते हैं।
- लचीलापन: इन्हें औद्योगिक प्लांट्स, रिमोट एरिया और रक्षा ठिकानों पर भी स्थापित किया जा सकता है।
- पर्यावरणीय लाभ: ये ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन नहीं करते, जिससे जलवायु परिवर्तन से लड़ने में मदद मिलेगी।
5. भारत सरकार की SMR नीति और बजट
2024-25 के बजट में सरकार ने "Bharat Small Reactors (BSR)" के तहत SMRs के लिए ₹20,000 करोड़ आवंटित किए हैं। इसके तहत,
- Nuclear Power Corporation of India Limited (NPCIL) और निजी कंपनियाँ मिलकर इनका विकास करेंगी।
- 2033 तक भारत में कम से कम 5 SMRs स्थापित किए जाएंगे।
- 2050 तक परमाणु ऊर्जा का उत्पादन 1,00,000 मेगावाट (100 GW) तक पहुँचाने का लक्ष्य।
6. वैश्विक स्तर पर SMRs की स्थिति
अर्जेंटीना, कनाडा, चीन, रूस, दक्षिण कोरिया और अमेरिका जैसे देश SMRs का निर्माण और लाइसेंसिंग कर रहे हैं। भारत भी फ्रांस, अमेरिका और रूस के साथ मिलकर SMRs विकसित करने की योजना बना रहा है।
SMRs विकसित करने वाले प्रमुख देश:
- अमेरिका: NuScale Power ने पहला व्यावसायिक SMR डिजाइन विकसित किया है।
- रूस: रूस का "Akademik Lomonosov" दुनिया का पहला तैरता हुआ SMR है।
- चीन: चीन SMRs के विकास में तेजी से आगे बढ़ रहा है और "HTR-PM" नामक SMR का परीक्षण कर रहा है।
7. SMRs से भारत को संभावित लाभ
- ऊर्जा आत्मनिर्भरता: भारत ऊर्जा उत्पादन में आत्मनिर्भर बन सकेगा।
- औद्योगिक क्रांति: बड़े उद्योगों और ग्रामीण क्षेत्रों को स्थिर ऊर्जा मिलेगी।
- रोजगार: SMRs के विकास और निर्माण से नई नौकरियों का सृजन होगा।
- जलवायु परिवर्तन का समाधान: भारत के "Net Zero Emission" लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
8. निष्कर्ष: भारत के ऊर्जा क्षेत्र में SMRs की महत्वपूर्ण भूमिका
Small Modular Reactors भारत के ऊर्जा क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला सकते हैं। ये सुरक्षित, किफायती और पर्यावरण के अनुकूल हैं, जो भारत को हरित ऊर्जा (Green Energy) और ऊर्जा आत्मनिर्भरता (Energy Independence) की दिशा में आगे बढ़ाने में मदद करेंगे।
अगर भारत अपने SMR लक्ष्यों को पूरा करता है, तो यह वैश्विक परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में एक प्रमुख शक्ति बन सकता है। SMRs औद्योगिक विकास, ग्रामीण विद्युतीकरण और ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
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