यदि ब्रह्मांड के सभी ग्रहों को जोड़कर एक नया सुपर ग्रह बना दिया जाए, तो क्या वह सूर्य का चक्कर लगा पाएगा?Interesting Scientific Facts,रोचक तथ्य, भागवत
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यदि ब्रह्मांड के सभी ग्रहों को जोड़कर एक नया सुपर ग्रह बना दिया जाए, तो क्या वह सूर्य का चक्कर लगा पाएगा? |
यदि ब्रह्मांड के सभी ग्रहों को जोड़कर एक नया सुपर ग्रह बना दिया जाए, तो क्या वह सूर्य का चक्कर लगा पाएगा?
यदि ब्रह्मांड के सभी ग्रहों (कम से कम सौरमंडल के ग्रहों) को मिलाकर एक सुपर ग्रह बनाया जाए, तो क्या वह सूर्य की परिक्रमा कर पाएगा? इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए हमें कुछ महत्वपूर्ण कारकों को समझना होगा:
1. सुपर ग्रह का द्रव्यमान और आकार
सौरमंडल के सभी ग्रहों (बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, यूरेनस, और नेपच्यून) को जोड़ने पर कुल द्रव्यमान लगभग 446.7 पृथ्वी द्रव्यमान (Earth Masses) होगा, जिसमें से 99% से अधिक बृहस्पति और शनि का योगदान होगा।
- यह नया सुपर ग्रह बृहस्पति से लगभग 140 गुना अधिक भारी होगा।
- यदि इसे एक गोलाकार ग्रह के रूप में संकुचित कर दिया जाए, तो इसका व्यास कई लाख किलोमीटर हो सकता है।
क्या यह ग्रह एक तारा बन सकता है?
यदि सुपर ग्रह का द्रव्यमान 80 गुना बृहस्पति के द्रव्यमान से अधिक हो जाता है, तो उसके अंदर इतना गुरुत्वाकर्षण दबाव होगा कि उसमें नाभिकीय संलयन (Nuclear Fusion) शुरू हो सकता है। यानी, यह सुपर ग्रह एक छोटा तारा (जैसे, लाल बौना - Red Dwarf) में बदल सकता है।
2. क्या यह सूर्य की परिक्रमा कर पाएगा?
सूर्य के चारों ओर किसी भी पिंड की कक्षा उसकी केंद्रीय गुरुत्वाकर्षण शक्ति और गति पर निर्भर करती है।
(क) सूर्य और सुपर ग्रह के बीच गुरुत्वाकर्षण संतुलन
- वर्तमान में, सूर्य का द्रव्यमान 333,000 पृथ्वी द्रव्यमान है, जो इस नए सुपर ग्रह से लगभग 750 गुना अधिक रहेगा।
- इसका मतलब है कि यह सुपर ग्रह, भले ही बहुत भारी हो, सूर्य के चारों ओर परिक्रमा कर सकता है, लेकिन इसकी कक्षा में बड़े बदलाव हो सकते हैं।
(ख) क्या यह सूर्य को प्रभावित करेगा?
- चूँकि यह सुपर ग्रह बहुत भारी होगा, इसका गुरुत्वाकर्षण प्रभाव सूर्य को हल्का झटका दे सकता है, जिससे सूर्य की स्थिति थोड़ी बदल सकती है।
- इसकी कक्षा शायद वर्तमान बृहस्पति या उससे बड़ी होगी (लगभग 5-10 AU या उससे अधिक)।
(ग) क्या यह सूर्य की परिक्रमा में बना रहेगा?
- यदि यह सुपर ग्रह पर्याप्त प्रारंभिक वेग (Orbital Velocity) से आगे बढ़ता है, तो यह सूर्य की स्थिर कक्षा में रह सकता है।
- लेकिन अगर द्रव्यमान बहुत अधिक बढ़ जाता है, तो गुरुत्वीय गड़बड़ियों के कारण इसकी कक्षा अस्थिर हो सकती है।
3. सुपर ग्रह के अन्य प्रभाव
(क) सौरमंडल में अन्य ग्रहों पर प्रभाव
- यह सुपर ग्रह अपने विशाल गुरुत्वाकर्षण के कारण सौरमंडल के अन्य पिंडों (पृथ्वी, मंगल आदि) की कक्षाओं में गड़बड़ियाँ कर सकता है।
- यह छोटे ग्रहों को अपनी ओर खींच सकता है, जिससे सौरमंडल में महाविनाशकारी टकराव (Collisions) की संभावना बढ़ सकती है।
(ख) पृथ्वी और जीवन पर प्रभाव
- यदि यह सुपर ग्रह सूर्य के पास आ जाता है, तो यह पृथ्वी को सूर्य से दूर धकेल सकता है या उसे अपनी ओर खींच सकता है।
- इससे पृथ्वी की कक्षा अस्थिर हो सकती है, जिससे जीवन के लिए खतरा बढ़ जाएगा।
4. क्या यह सुपर ग्रह ब्रह्मांड के अन्य ग्रहों को भी जोड़कर बना सकता है?
- यदि हम ब्रह्मांड के अन्य ग्रहों (Exoplanets) को भी इसमें शामिल करें, तो इसका द्रव्यमान हजारों गुना बढ़ सकता है।
- इतनी अधिक द्रव्यमान वाला पिंड निश्चित रूप से एक तारा में बदल जाएगा और सूर्य के साथ एक द्वितीयक तारा प्रणाली (Binary Star System) बना सकता है।
- इसका मतलब यह होगा कि सौरमंडल अब एक एकल तारा प्रणाली (Single Star System) नहीं रहेगा, बल्कि दो तारों वाला एक नया सिस्टम बन जाएगा।
निष्कर्ष
- यदि हम केवल सौरमंडल के ग्रहों को मिलाकर एक सुपर ग्रह बनाते हैं, तो वह सूर्य की परिक्रमा कर सकता है, लेकिन इसकी कक्षा और गुरुत्वीय प्रभाव सौरमंडल में बड़ी गड़बड़ियाँ उत्पन्न करेंगे।
- यदि इसका द्रव्यमान 80 गुना बृहस्पति से अधिक हो जाता है, तो यह एक तारा बन जाएगा और सौरमंडल एक द्वितीयक तारा प्रणाली में बदल सकता है।
- यदि यह सुपर ग्रह बहुत अधिक विशाल हो जाता है, तो यह पूरे सौरमंडल की स्थिरता को बिगाड़ सकता है और पृथ्वी के लिए खतरा पैदा कर सकता है।
अंततः, एक सुपर ग्रह बनाना सौरमंडल के लिए बहुत बड़ा बदलाव होगा, और यह संभवतः पूरे ब्रह्मांड में एक नया गुरुत्वीय संतुलन बना देगा।
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