संस्कृत श्लोक: "रहस्यभेदो याच्ञा च नैष्ठुर्यं चलचित्तता" का अर्थ और हिन्दी अनुवाद, सुभाषितानि,सुविचार,संस्कृत श्लोक, भागवत दर्शन सूरज कृष्ण शास्त्री।
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संस्कृत श्लोक: "रहस्यभेदो याच्ञा च नैष्ठुर्यं चलचित्तता" का अर्थ और हिन्दी अनुवाद |
संस्कृत श्लोक: "रहस्यभेदो याच्ञा च नैष्ठुर्यं चलचित्तता" का अर्थ और हिन्दी अनुवाद
शाब्दिक विश्लेषण
- रहस्यभेदः – गोपनीय बातें उजागर करना (षष्ठी तत्पुरुष समास)
- याच्ञा – बार-बार माँगने की प्रवृत्ति
- नैष्ठुर्यम् – निष्ठुरता, कठोरता
- चलचित्तता – मन का अस्थिर होना
- क्रोधः – गुस्सा, अत्यधिक क्रोध करना
- निःसत्यता – असत्य बोलने की प्रवृत्ति
- द्यूतम् – जुआ खेलना
- एतत् – ये सभी
- मित्रस्य – मित्र के (षष्ठी विभक्ति)
- दूषणम् – दोष या अवगुण
व्याकरणीय विश्लेषण
- रहस्यभेदो, याच्ञा, नैष्ठुर्यं, चलचित्तता, क्रोधः, निःसत्यता, द्यूतम् – ये सभी कर्ता पद हैं (प्रथमा विभक्ति, एकवचन)।
- मित्रस्य – षष्ठी विभक्ति (मित्र का)।
- दूषणम् – द्वितीया विभक्ति, एकवचन (दोष के रूप में प्रयुक्त)।
आधुनिक संदर्भ में व्याख्या
यह श्लोक बताता है कि एक अच्छे मित्र में कौन-कौन से दोष नहीं होने चाहिए।
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गोपनीयता का उल्लंघन (रहस्यभेदः)
- मित्र वह होता है जिस पर हम विश्वास कर सकें।
- यदि कोई व्यक्ति आपकी निजी बातें दूसरों को बताता है, तो वह सच्चा मित्र नहीं है।
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बार-बार माँगना (याच्ञा)
- मित्रता में स्वाभाविक रूप से सहायता का भाव होना चाहिए, परंतु बार-बार माँगने की प्रवृत्ति मित्रता को कमजोर कर देती है।
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निष्ठुरता (नैष्ठुर्यम्)
- मित्र को सहृदय और संवेदनशील होना चाहिए।
- कठोर व्यवहार मित्रता को समाप्त कर सकता है।
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अस्थिर चित्त होना (चलचित्तता)
- एक अच्छे मित्र में दृढ़ता और स्थिरता होनी चाहिए।
- जो व्यक्ति हर समय अस्थिर रहता है, उसकी मित्रता टिकाऊ नहीं होती।
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क्रोध (क्रोधः)
- क्रोधी व्यक्ति मित्रता निभाने में असफल होता है।
- बार-बार गुस्सा करने वाला मित्र अपने संबंधों को खराब कर सकता है।
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झूठ बोलना (निःसत्यता)
- सच्ची मित्रता सत्य पर आधारित होती है।
- जो मित्र झूठ बोलता है, वह भरोसेमंद नहीं होता।
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जुआ खेलना (द्यूतम्)
- जुए की आदत वाला व्यक्ति मित्रता में विश्वासघात कर सकता है।
- महाभारत में भी दुर्योधन और शकुनि ने जुए के कारण ही पांडवों से छल किया।
व्यावहारिक शिक्षा
- मित्रता में भरोसा, सहृदयता, और स्थिरता होनी चाहिए।
- यदि कोई मित्र गोपनीयता भंग करता है, बार-बार माँगता है, कठोर होता है, क्रोधी या असत्यभाषी होता है, या जुए की आदत रखता है, तो वह सच्चा मित्र नहीं हो सकता।
- अच्छे मित्र सहयोगी, ईमानदार और धैर्यवान होते हैं।
संक्षिप्त निष्कर्ष
सच्ची मित्रता विश्वास, सहृदयता और स्थिरता पर आधारित होती है। जो मित्र गोपनीयता भंग करता है, बार-बार माँगता है, क्रोधी, असत्यभाषी या जुआरी होता है, वह मित्रता के योग्य नहीं होता।
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