युक्ति के प्रकार: निगमनात्मक और आगमनात्मक युक्ति का विश्लेषण,UGC NET/JRF,PAPER I,UNIT VI,POINT II, bhagwat darshan, sooraj krishna shastri, Deductive
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युक्ति के प्रकार: निगमनात्मक और आगमनात्मक युक्ति का विश्लेषण |
युक्ति के प्रकार: निगमनात्मक और आगमनात्मक युक्ति का विश्लेषण
मानव मस्तिष्क का प्रमुख कार्य विचार करना और निष्कर्ष निकालना है। यह कार्य मुख्यतः दो प्रकार की युक्तियों के माध्यम से किया जाता है—निगमनात्मक (Deductive) और आगमनात्मक (Inductive) युक्ति। दोनों प्रकार की युक्तियाँ विचार प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं और ज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में प्रयोग की जाती हैं।
1. निगमनात्मक युक्ति (Deductive Reasoning)
निगमनात्मक युक्ति वह प्रक्रिया है जिसमें सामान्य नियमों या सिद्धांतों के आधार पर विशेष निष्कर्ष निकाला जाता है। इसमें निष्कर्ष पहले से दिए गए कथनों पर पूरी तरह निर्भर करता है और यदि प्रारंभिक कथन सत्य हैं तथा तर्क विधि उचित है, तो निष्कर्ष भी निस्संदेह सत्य होगा।
निगमनात्मक युक्ति की विशेषताएँ
- सार्वत्रिकता से विशिष्टता – यह सामान्य नियमों से विशिष्ट मामलों पर निष्कर्ष निकालती है।
- निश्चित निष्कर्ष (Certain Conclusion) – यदि आधारभूत कथन सत्य हैं, तो निष्कर्ष भी अवश्य सत्य होगा।
- तर्क संरचना पर आधारित – निष्कर्ष की सत्यता केवल कथनों की सत्यता पर निर्भर नहीं होती, बल्कि उनके मध्य तर्कसंगति पर निर्भर करती है।
- पूर्वज्ञान आधारित – इसमें कोई नया ज्ञान नहीं जोड़ा जाता, बल्कि पूर्व ज्ञान को व्यवस्थित रूप से प्रस्तुत किया जाता है।
उदाहरण:
(क) गणितीय निगमनात्मक युक्ति
(ख) दार्शनिक निगमनात्मक युक्ति
निगमनात्मक युक्ति का मूल्यांकन
✔ सकारात्मक पक्ष:
- यदि आधारभूत कथन सत्य और तर्क विधि उचित है, तो निष्कर्ष गलत नहीं हो सकता।
- यह स्पष्ट और सुनिश्चित निष्कर्ष प्रदान करती है।
- इसका उपयोग गणित, तर्कशास्त्र और कानूनी तर्कों में किया जाता है।
✖ नकारात्मक पक्ष:
- यह नवीन ज्ञान उत्पन्न नहीं करती, बल्कि पूर्व ज्ञान को ही व्यवस्थित रूप से प्रस्तुत करती है।
- यदि आधारभूत कथन गलत हैं, तो निष्कर्ष भी गलत होगा, चाहे तर्क विधि उचित हो।
2. आगमनात्मक युक्ति (Inductive Reasoning)
आगमनात्मक युक्ति वह प्रक्रिया है जिसमें विशेष उदाहरणों या प्रेक्षणों के आधार पर सामान्य निष्कर्ष निकाला जाता है। इसमें निष्कर्ष संभाव्य (Probable) होता है, निश्चित नहीं।
आगमनात्मक युक्ति की विशेषताएँ
- विशेष से सामान्य की ओर – यह व्यक्तिगत या सीमित अनुभवों के आधार पर व्यापक निष्कर्ष निकालती है।
- संभाव्यता पर आधारित – निष्कर्ष पूर्णतः निश्चित नहीं होता, बल्कि संभावना पर आधारित होता है।
- नवीन ज्ञान उत्पन्न होता है – यह नए निष्कर्ष निकालने में सहायक होती है, जिससे वैज्ञानिक और दार्शनिक सिद्धांत विकसित होते हैं।
- पर्यवेक्षण और परीक्षण पर आधारित – इसका उपयोग वैज्ञानिक अनुसंधान, सामाजिक अध्ययन और सांख्यिकीय विश्लेषण में किया जाता है।
उदाहरण:
(क) वैज्ञानिक आगमनात्मक युक्ति
प्रेक्षण:
- जल 100°C पर उबलता है।
- कई बार परीक्षण करने पर भी जल 100°C पर ही उबलता है।निष्कर्ष: संभवतः जल का क्वथनांक (Boiling Point) 100°C ही होता है।
(ख) सामाजिक आगमनात्मक युक्ति
प्रेक्षण:
- भारत में अधिकतर लोग चावल और गेहूँ खाते हैं।
- अन्य देशों में भी गेहूँ और चावल लोकप्रिय आहार हैं।निष्कर्ष: संभवतः गेहूँ और चावल मानव आहार के मुख्य स्रोतों में से हैं।
आगमनात्मक युक्ति का मूल्यांकन
✔ सकारात्मक पक्ष:
- यह विज्ञान और अनुसंधान में उपयोगी होती है।
- यह नए सिद्धांतों के विकास में सहायक होती है।
- यह वास्तविक जीवन की परिस्थितियों में अधिक प्रासंगिक होती है।
✖ नकारात्मक पक्ष:
- इसमें निष्कर्ष पूर्णतः निश्चित नहीं होता; वह केवल संभाव्य होता है।
- यदि कोई नया प्रेक्षण विपरीत आ जाता है, तो पूरा निष्कर्ष असत्य सिद्ध हो सकता है।
निगमनात्मक और आगमनात्मक युक्ति के बीच अंतर
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दिशा का अंतर:
- निगमनात्मक युक्ति में सामान्य नियम से विशेष निष्कर्ष निकाला जाता है।
- आगमनात्मक युक्ति में विशेष अनुभवों से सामान्य निष्कर्ष बनाया जाता है।
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निष्कर्ष की निश्चितता:
- निगमनात्मक युक्ति में निष्कर्ष निश्चित (Certain) होता है, यदि प्रारंभिक कथन सत्य हैं।
- आगमनात्मक युक्ति में निष्कर्ष संभाव्य (Probable) होता है, पूर्णतः निश्चित नहीं।
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ज्ञान की प्रकृति:
- निगमनात्मक युक्ति पहले से ज्ञात तथ्यों को व्यवस्थित रूप से प्रस्तुत करती है, लेकिन नया ज्ञान उत्पन्न नहीं करती।
- आगमनात्मक युक्ति नए निष्कर्ष उत्पन्न करती है, जिससे वैज्ञानिक सिद्धांत बनते हैं।
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उदाहरण:
- निगमनात्मक युक्ति: "सभी धातु विद्युत का संचालन करती हैं। तांबा एक धातु है। इसलिए तांबा विद्युत का संचालन करेगा।" (यह निष्कर्ष निश्चित है।)
- आगमनात्मक युक्ति: "मैंने अभी तक जितने भी हंस देखे हैं, वे सफेद थे। इसलिए संभवतः सभी हंस सफेद होते हैं।" (यह निष्कर्ष निश्चित नहीं, बल्कि संभावित है।)
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उपयोग:
- निगमनात्मक युक्ति का उपयोग गणित, तर्कशास्त्र, और कानूनी निष्कर्षों में किया जाता है।
- आगमनात्मक युक्ति विज्ञान, अनुसंधान, और सांख्यिकी में प्रयोग होती है।
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कमजोरी:
- निगमनात्मक युक्ति में यदि प्रारंभिक कथन गलत हैं, तो निष्कर्ष भी गलत होगा।
- आगमनात्मक युक्ति में नए प्रेक्षण आने पर निष्कर्ष बदल सकता है।
संक्षेप में, निगमनात्मक युक्ति सुनिश्चित होती है, जबकि आगमनात्मक युक्ति संभाव्य होती है।
विशिष्टीकरण (Specification) एवं व्यावहारिक उपयोग
(1) निगमनात्मक युक्ति का प्रयोग:
- गणित और तर्कशास्त्र में
- कानूनी दलीलों में
- दार्शनिक चिंतन में
(2) आगमनात्मक युक्ति का प्रयोग:
- विज्ञान और अनुसंधान में
- सामाजिक विज्ञानों में
- सांख्यिकी और भविष्यवाणी में
युक्ति का सही उपयोग कब करें?
- यदि हमें पूर्ण निश्चितता चाहिए, तो निगमनात्मक युक्ति का उपयोग करें।
- यदि हमें संभावित निष्कर्ष निकालने हैं या नए सिद्धांत विकसित करने हैं, तो आगमनात्मक युक्ति अधिक उपयुक्त होगी।
निष्कर्ष
निगमनात्मक और आगमनात्मक युक्तियाँ दोनों ही विचार प्रक्रिया के महत्वपूर्ण साधन हैं। जहाँ निगमनात्मक युक्ति सुनिश्चित निष्कर्ष देती है, वहीं आगमनात्मक युक्ति नवीन ज्ञान और संभावनाओं को जन्म देती है। वैज्ञानिक अनुसंधान, तर्कशास्त्र, और सामाजिक अध्ययन में दोनों युक्तियों का उपयुक्त प्रयोग आवश्यक होता है। इसलिए, बुद्धिमान व्यक्ति वही है जो स्थिति के अनुसार उचित युक्ति का चयन करे और निष्कर्ष निकालते समय सावधानीपूर्वक विचार करे।
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