जगन्नाथ पुरी धाम: एक चमत्कारी और दिव्य स्थल, पुरी धाम का भौगोलिक विवरण, मंदिर की अद्भुत विशेषताएँ, विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा, धार्मिक स्थल भगवत दर्शन सू
जगन्नाथ पुरी धाम: एक चमत्कारी और दिव्य स्थल
पुरी (ओडिशा) स्थित जगन्नाथ पुरी धाम हिन्दू धर्म के चार प्रमुख धामों में से एक है। यह स्थल भगवान जगन्नाथ (श्रीकृष्ण), बलभद्र (बलराम) और सुभद्रा देवी को समर्पित है। यहाँ प्रतिवर्ष भव्य रथयात्रा का आयोजन होता है, जिसे देखने के लिए लाखों श्रद्धालु एकत्रित होते हैं। इस मंदिर की कई अद्भुत और रहस्यमयी विशेषताएँ इसे विशेष बनाती हैं।
पुरी धाम का भौगोलिक विवरण
मंदिर की अद्भुत विशेषताएँ
1. मंदिर के गुंबद की रहस्यमयी छाया
- मंदिर के मुख्य गुंबद की छाया दिन के किसी भी समय अदृश्य रहती है।
- आश्चर्यजनक रूप से मंदिर के पास खड़े रहकर उसका गुंबद देख पाना असंभव है।
2. हवा के विपरीत लहराता ध्वज
- मंदिर के शीर्ष पर स्थित लाल ध्वज हमेशा हवा की विपरीत दिशा में लहराता है।
- प्रतिदिन सायंकाल इसे एक पुजारी द्वारा उल्टा चढ़कर बदला जाता है।
- इस ध्वज पर भगवान शिव का चंद्र बना होता है, जो इसकी पवित्रता को दर्शाता है।
3. चमत्कारिक सुदर्शन चक्र (नीलचक्र)
- मंदिर के शीर्ष पर स्थित सुदर्शन चक्र को किसी भी दिशा से देखने पर यह हमेशा सामने प्रतीत होता है।
- यह अष्टधातु से निर्मित है और अत्यंत पावन माना जाता है।
4. समुद्री हवा की विचित्र दिशा
- सामान्यतः समुद्री तटों पर हवा समुद्र से भूमि की ओर आती है, परंतु पुरी में इसका उल्टा होता है।
- यहाँ हवा भूमि से समुद्र की ओर बहती है।
5. मंदिर के ऊपर नहीं उड़ते पक्षी
- मंदिर के शिखर के आसपास अब तक कोई भी पक्षी उड़ता हुआ नहीं देखा गया।
- जबकि अन्य मंदिरों के ऊपर पक्षी बैठे या उड़ते हुए देखे जाते हैं।
- इसके ऊपर से विमान भी नहीं उड़ाया जा सकता!
6. दुनिया का सबसे बड़ा रसोईघर
- मंदिर में स्थित विशाल रसोईघर में 500 रसोइए और 300 सहयोगी भोजन तैयार करते हैं।
- यहाँ मुख्य रूप से भात (चावल) का प्रसाद चढ़ाया जाता है।
- कहा जाता है कि यहाँ बनाया गया भोजन हजारों के लिए हो या लाखों के लिए, यह कभी कम नहीं पड़ता।
- यहाँ भोजन पकाने की अद्भुत विधि अपनाई जाती है:
- सात बर्तनों को एक-दूसरे के ऊपर रखा जाता है।
- सब कुछ लकड़ी के ईंधन पर पकाया जाता है।
- आश्चर्य की बात यह है कि सबसे ऊपर रखे बर्तन का भोजन पहले पकता है, फिर क्रमशः नीचे के बर्तनों का!
7. समुद्र की ध्वनि का अद्भुत प्रभाव
- जब आप सिंहद्वार (मुख्य प्रवेश द्वार) से मंदिर के अंदर प्रवेश करते हैं, तो समुद्र की लहरों की आवाज पूरी तरह बंद हो जाती है।
- जैसे ही आप बाहर आते हैं, यह आवाज पुनः सुनाई देने लगती है।
- इसे विशेष रूप से संध्या समय स्पष्ट रूप से अनुभव किया जा सकता है।
8. मूर्तियों का रहस्यमयी रूप (नव कलेवर)
- भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा की मूर्तियाँ काष्ठ (लकड़ी) की बनी होती हैं।
- प्रत्येक 12 वर्षों में इनका नव कलेवर (नई मूर्तियों का निर्माण) किया जाता है।
- नई मूर्तियाँ पुराने आकार और रूप में ही बनाई जाती हैं, किंतु इनमें कुछ अदृश्य और दिव्य परिवर्तन भी होते हैं।
- मान्यता है कि इन मूर्तियों की पूजा नहीं होती, बल्कि केवल दर्शनार्थ रखी जाती हैं।
विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा
- जगन्नाथपुरी की रथयात्रा विश्व की सबसे बड़ी रथयात्राओं में से एक है।
- आषाढ़ माह में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा रथों पर सवार होकर अपनी मौसी रानी गुंडिचा के घर जाते हैं।
- यह यात्रा 5 किमी की होती है।
- भगवान 8 दिन अपनी मौसी के घर रहते हैं और फिर वापस मंदिर लौटते हैं।
- रथों के नाम:
- भगवान जगन्नाथ का रथ: नंदीघोष
- देवी सुभद्रा का रथ: दर्पदलन
- भगवान बलभद्र का रथ: रक्ष तल ध्वज
- रथयात्रा के दौरान पुरी के गजपति महाराज सोने की झाड़ू से सफाई करते हैं, जिसे छेरा पहरा कहा जाता है।
भगवान जगन्नाथ की समुद्र से रक्षा करने वाले हनुमानजी
- प्राचीन मान्यता के अनुसार, समुद्र ने तीन बार भगवान जगन्नाथ के मंदिर को तोड़ दिया था।
- तब भगवान जगन्नाथ ने हनुमानजी को समुद्र को नियंत्रित करने की जिम्मेदारी सौंपी।
- लेकिन हनुमानजी जब भी मंदिर में भगवान के दर्शन करने जाते, समुद्र भी उनके पीछे मंदिर में प्रवेश कर जाता।
- इससे बचने के लिए भगवान जगन्नाथ ने हनुमानजी को स्वर्ण बेड़ियों से बांध दिया।
- यह स्थल आज भी बेड़ी हनुमान मंदिर के रूप में प्रसिद्ध है, जहाँ भक्तजन दर्शन करने आते हैं।
उपसंहार
जगन्नाथ पुरी धाम अपनी धार्मिक, ऐतिहासिक और चमत्कारी विशेषताओं के कारण हिन्दू श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत पवित्र स्थल है। यहाँ आने वाले भक्त आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त करते हैं और भगवान जगन्नाथ की अद्भुत महिमा के दर्शन करते हैं।
जय जगन्नाथ!
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