कहानी: पिता की वैल्यू, शिक्षाप्रद कहानियाँ, हमारी विरासत, आधुनिक समाज, भागवत दर्शन, सूरज कृष्ण शास्त्री।
कहानी: पिता की वैल्यू
दीवान 45 वर्ष का एक मेहनती व्यक्ति था, जो हमेशा अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष करता रहा। उसने अपने जीवन का हर क्षण अपने बच्चों और पत्नी की खुशियों के लिए समर्पित कर दिया था, लेकिन उसकी मेहनत और त्याग को कभी किसी ने समझा ही नहीं।
नौकरी और संघर्ष
दीवान को हाल ही में उसकी नौकरी से निकाल दिया गया था। यह पिछले एक साल में तीसरी बार था जब वह बेरोजगार हुआ था। वह कोई कामचोर व्यक्ति नहीं था, बल्कि अपने काम को पूरी ईमानदारी से करता था। लेकिन तेजी से बदलती तकनीक और बढ़ते कंप्यूटर के उपयोग ने उसे कमजोर बना दिया था। उसने कंप्यूटर चलाना सीख तो लिया था, लेकिन नई पीढ़ी की तरह दक्ष नहीं था, जिससे गलतियाँ हो जाती थीं और नतीजतन, उसे बार-बार नौकरी से निकाल दिया जाता था।
उस दिन भी जब वह ऑफिस से निकला, तो निराश और परेशान होकर अपने दोस्तों को फोन लगाने लगा, ताकि कोई उसे किसी नौकरी के बारे में बता सके। लेकिन हर तरफ से निराशा ही हाथ लगी। हताश मन से वह एक पेड़ के नीचे रखी बेंच पर बैठ गया। उसे घर जाने का मन नहीं कर रहा था।
घर की कड़वी सच्चाई
दीवान कुछ नहीं बोला। उसने अब बहस करना छोड़ दिया था।
दीवान चुप ही रहा।
दीवान उसे क्या जवाब देता? उसी मोबाइल के लिए एडवांस मांगने पर ही बॉस ने उसे नौकरी से निकाल दिया था।
दीवान के पास कहने को बहुत कुछ था, लेकिन उसने चुप रहना सीख लिया था।
बेटे की बेरुखी और जिम्मेदारी का बोझ
थका हुआ दीवान रसोई में गया, खुद अपनी थाली निकाली और चुपचाप खाना खाने लगा। तभी उसका 24 वर्षीय बेटा बाहर से गाना गुनगुनाता हुआ आया। दीवान ने गौर किया कि उसके कदम लड़खड़ा रहे थे। वह समझ गया कि बेटा दोस्तों के साथ बैठकर शराब पीकर आया है।
पहले जब बेटा पीकर आता था, तो दीवान उसे बहुत डांटता था, लेकिन एक दिन जब उसने बेटे को थप्पड़ मारने की कोशिश की, तो बेटे ने उसका हाथ पकड़ लिया और गुस्से से आँखें दिखाने लगा। उस दिन के बाद से दीवान ने उसे कुछ भी कहना बंद कर दिया था।
उस रात जब वह अपने कमरे में गया, तो पत्नी की शिकायतें फिर शुरू हो गईं। लेकिन अब वह इन सबसे दूर होकर सो जाना चाहता था।
जिंदगी की आखिरी सुबह
अगली सुबह, दीवान जल्दी उठकर नौकरी की तलाश में निकल पड़ा। वह जानता था कि अगर उसने जल्दी कोई काम नहीं पकड़ा, तो घर का खर्च चलाना मुश्किल हो जाएगा।
वह भूखा-प्यासा पूरे दिन इधर-उधर दफ्तरों के चक्कर लगाता रहा। लेकिन कोई काम नहीं मिला।
भूख और थकान के कारण उसकी शुगर लो हो गई थी। शरीर सुन्न-सा होने लगा था।
वह गहरी सोच में डूबा हुआ सड़क पर चल रहा था, तभी अनजाने में फुटपाथ से मुख्य सड़क पर आ गया। अचानक एक तेज़ रफ्तार ट्रक आया और उसे कुचलता चला गया।
दीवान को तड़पने का भी मौका नहीं मिला।
वहीं सड़क पर उसके प्राण पखेरू उड़ गए।
पिता के जाने के बाद
उसके बेटे, बेटी और पत्नी ने बिलखते हुए उसका अंतिम संस्कार किया। लेकिन उसके बाद घर का पूरा माहौल बदल गया।
- जिनसे कर्ज लिया था, वे रोज घर के चक्कर लगाने लगे।
- रिश्तेदारों ने फोन उठाना बंद कर दिया।
- घर का वाईफाई कनेक्शन कट गया। अब नेट चलना बंद हो गया।
- बेटी और बेटा अब खाने में कोई शिकायत नहीं करते थे। जो भी मिलता, खाकर पानी पी लेते।
- बेटा अब एक कपड़े की दुकान में मात्र ₹7000 महीने की नौकरी करने लगा।
- बेटी ₹5000 महीने पर एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने लगी।
- पत्नी के लिए भी सब कुछ बदल गया। माथे का सिंदूर मिटते ही वह सजना-संवरना छोड़ चुकी थी।
- अब वह घंटों शीशे के सामने खड़ी नहीं होती थी।
- पति को देखते ही जो किच-किच शुरू कर देती थी, अब उसकी आवाज़ सुनने को तरस गई थी।
- पहले वह निश्चिंत होकर सो जाती थी, लेकिन अब रातभर नींद नहीं आती थी।
अब पूरे परिवार को अहसास हो गया था कि दीवान उनके लिए क्या था—
वह उनका सुख-चैन था। वह उनकी नींद था। वह रोटी, कपड़ा और मकान था। वह पूरे बाजार की तरह था, उनकी हर ख्वाहिशों का आधार था।
लेकिन अफसोस, उसकी कदर जीते जी किसी ने नहीं की।
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