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प्रभावी संप्रेषण की बाधाएँ एवं उनके समाधान |
प्रभावी संप्रेषण की बाधाएँ एवं उनके समाधान
संप्रेषण (Communication) दो या अधिक व्यक्तियों के बीच विचारों, सूचनाओं और भावनाओं के आदान-प्रदान की प्रक्रिया है। लेकिन कई बार यह प्रक्रिया बाधित हो जाती है, जिससे संदेश का सही प्रकार से संप्रेषण नहीं हो पाता। ये बाधाएँ विभिन्न स्तरों पर उत्पन्न हो सकती हैं और इन्हें मुख्यतः निम्नलिखित वर्गों में विभाजित किया जा सकता है—
1. भौतिक (Physical) बाधाएँ
ये वे बाधाएँ होती हैं जो बाहरी वातावरण के कारण उत्पन्न होती हैं और संचार की प्रक्रिया में व्यवधान डालती हैं।
मुख्य भौतिक बाधाएँ:
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शोर (Noise):
- बाहरी शोर (जैसे गाड़ियों का शोर, मशीनों की आवाज़) संप्रेषण को बाधित कर सकता है।
- आंतरिक शोर (जैसे मानसिक तनाव, ध्यान न देना) भी संचार को प्रभावित करता है।
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अपर्याप्त तकनीकी साधन:
- यदि संचार के लिए सही उपकरण (जैसे टेलीफोन, माइक्रोफोन, प्रोजेक्टर) उपलब्ध नहीं हैं या वे खराब हैं, तो संदेश सही तरीके से नहीं पहुँच पाता।
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भौगोलिक दूरी:
- बहुत अधिक दूरी होने पर यदि उचित संचार साधन उपलब्ध नहीं हैं, तो संदेश स्पष्ट रूप से नहीं पहुँचता।
समाधान:
- कम शोर वाले वातावरण में संचार करना।
- आधुनिक तकनीकी साधनों (जैसे हाई-क्वालिटी माइक्रोफोन, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग टूल) का प्रयोग करना।
- दूरस्थ संचार के लिए ईमेल, ऑनलाइन मीटिंग और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करना।
2. भाषाई (Linguistic) बाधाएँ
भाषा ही संचार का मूल आधार होती है, लेकिन यदि भाषा को सही से नहीं समझा जाए तो संचार बाधित हो सकता है।
मुख्य भाषाई बाधाएँ:
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जटिल शब्दावली (Technical Jargon):
- अत्यधिक तकनीकी या जटिल शब्दों के प्रयोग से आम व्यक्ति के लिए संचार समझना मुश्किल हो जाता है।
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भाषा की भिन्नता:
- जब दो व्यक्ति अलग-अलग भाषाओं में बात करते हैं, तो संप्रेषण में कठिनाई होती है।
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अस्पष्टता (Ambiguity):
- यदि संदेश के अर्थ स्पष्ट नहीं हैं और वह दोहरे अर्थ वाला है, तो भ्रम की स्थिति बन सकती है।
समाधान:
- सरल और स्पष्ट भाषा का प्रयोग करना।
- यदि आवश्यक हो तो संचार के लिए द्विभाषी (Bilingual) दृष्टिकोण अपनाना।
- उदाहरणों और चित्रों के माध्यम से जटिल बातों को समझाना।
3. मनोवैज्ञानिक (Psychological) बाधाएँ
संप्रेषण में प्रेषक और ग्रहणकर्ता की मानसिक स्थिति महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यदि मनोवैज्ञानिक अवरोध उत्पन्न हो जाएँ, तो सही संचार नहीं हो पाता।
मुख्य मनोवैज्ञानिक बाधाएँ:
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पूर्वाग्रह (Prejudices):
- पहले से बनी धारणाएँ या विचारधारा, संप्रेषण को प्रभावित कर सकती हैं।
- उदाहरण: यदि कोई व्यक्ति किसी जाति या वर्ग के प्रति नकारात्मक सोच रखता है, तो वह उनके विचारों को सही से नहीं सुनेगा।
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भावनात्मक स्थिति (Emotional State):
- यदि कोई व्यक्ति अत्यधिक क्रोधित, उदास या तनाव में है, तो वह संदेश को सही से ग्रहण या व्यक्त नहीं कर पाएगा।
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चयनात्मक ग्रहणशीलता (Selective Perception):
- व्यक्ति वही चीज़ें सुनता और समझता है, जो उसके विचारों के अनुकूल होती हैं।
समाधान:
- खुले दिमाग से विचारों को सुनना और समझने का प्रयास करना।
- मानसिक रूप से स्थिर और सकारात्मक स्थिति में संचार करना।
- ध्यानपूर्वक सुनने (Active Listening) की आदत डालना।
4. सामाजिक-सांस्कृतिक (Socio-Cultural) बाधाएँ
संस्कृति और समाज की भिन्नता भी संप्रेषण की बाधा बन सकती है।
मुख्य सामाजिक-सांस्कृतिक बाधाएँ:
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संस्कृति में अंतर:
- विभिन्न संस्कृतियों में संप्रेषण के तरीके अलग-अलग होते हैं, जिससे गलतफहमी हो सकती है।
- उदाहरण: कुछ देशों में आँखों में आँखें डालकर बात करना सम्मानजनक माना जाता है, जबकि कुछ संस्कृतियों में इसे अशिष्टता समझा जाता है।
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सामाजिक पदानुक्रम (Social Hierarchy):
- समाज में विभिन्न स्तरों (जैसे उच्च पदाधिकारी और कर्मचारी) के बीच संचार में अंतर हो सकता है।
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लिंग आधारित बाधाएँ (Gender Barriers):
- कभी-कभी पुरुष और महिलाएँ संचार को अलग-अलग तरीके से समझते हैं, जिससे बाधाएँ उत्पन्न होती हैं।
समाधान:
- सांस्कृतिक विविधताओं को समझने और सम्मान देने की आदत डालना।
- संवाद को अधिक समावेशी (Inclusive) और पारदर्शी बनाना।
5. संगठनात्मक (Organizational) बाधाएँ
व्यवसायिक या संस्थागत वातावरण में संचार बाधाओं का प्रमुख कारण संगठन की नीतियाँ और कार्यप्रणाली होती हैं।
मुख्य संगठनात्मक बाधाएँ:
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अत्यधिक औपचारिकता (Excessive Formality):
- यदि संचार बहुत जटिल और औपचारिक हो जाए, तो स्पष्टता कम हो जाती है।
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गलत संप्रेषण माध्यम (Wrong Communication Channel):
- यदि जानकारी सही व्यक्ति तक सही माध्यम से नहीं पहुँचती, तो संचार प्रभावी नहीं होता।
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फीडबैक की कमी (Lack of Feedback):
- यदि संचार एकतरफा हो और प्रतिक्रिया प्राप्त न हो, तो प्रभावशीलता कम हो जाती है।
समाधान:
- संगठन के भीतर खुला और पारदर्शी संवाद बनाए रखना।
- सही माध्यम (ईमेल, मीटिंग, डायरेक्ट कम्युनिकेशन) का उपयोग करना।
- नियमित फीडबैक लेने की प्रक्रिया अपनाना।
6. तकनीकी (Technical) बाधाएँ
आधुनिक युग में डिजिटल संचार की बढ़ती भूमिका के कारण तकनीकी बाधाएँ भी एक प्रमुख चुनौती बन गई हैं।
मुख्य तकनीकी बाधाएँ:
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नेटवर्क समस्या:
- इंटरनेट या टेलीफोन कनेक्शन की समस्या के कारण संचार बाधित हो सकता है।
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सूचना की अधिकता (Information Overload):
- अत्यधिक जानकारी मिलने से व्यक्ति उसे सही से ग्रहण नहीं कर पाता।
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डिजिटल साक्षरता की कमी:
- यदि व्यक्ति तकनीकी उपकरणों का सही से उपयोग नहीं कर पाता, तो संचार प्रभावित होता है।
समाधान:
- उच्च गुणवत्ता वाले तकनीकी साधनों का उपयोग करना।
- डिजिटल साक्षरता बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण देना।
- केवल आवश्यक जानकारी को ही साझा करना, ताकि संचार प्रभावी बना रहे।
निष्कर्ष:
संप्रेषण की बाधाएँ कई प्रकार की हो सकती हैं, लेकिन यदि इन बाधाओं को पहचाना जाए और उपयुक्त समाधान अपनाया जाए, तो संप्रेषण अधिक प्रभावी, स्पष्ट और उद्देश्यपूर्ण हो सकता है। संचार की सफलता इस पर निर्भर करती है कि हम कितनी कुशलता से अपने विचारों को स्पष्टता, सरलता और पारदर्शिता के साथ प्रस्तुत करते हैं।
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