प्रभावी संप्रेषण: वाचिक एवं गैर-वाचिक संप्रेषण, अंतःसांस्कृतिक एवं सामूहिक संप्रेषण, कक्षा संप्रेषण, UGC NET/JRF,PAPER I,UNIT IV,POINT II, bhagwat dar
प्रभावी संप्रेषण: वाचिक एवं गैर-वाचिक संप्रेषण, अंतःसांस्कृतिक एवं सामूहिक संप्रेषण, कक्षा संप्रेषण
परिचय
संप्रेषण (Communication) मनुष्यों के बीच विचारों, भावनाओं, जानकारियों एवं अनुभवों को साझा करने की एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। जब यह संप्रेषण स्पष्ट, सार्थक एवं प्रभावी होता है, तो इसे प्रभावी संप्रेषण (Effective Communication) कहा जाता है।
प्रभावी संप्रेषण केवल शब्दों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह शरीर की भाषा, चेहरे के भाव, आवाज़ की गति, एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि जैसी कई चीज़ों से प्रभावित होता है। एक शिक्षक के लिए प्रभावी संप्रेषण आवश्यक है क्योंकि यह शिक्षण प्रक्रिया की गुणवत्ता को बढ़ाता है और छात्रों की समझ को बेहतर बनाता है।
प्रभावी संप्रेषण को चार प्रमुख श्रेणियों में बाँटा जा सकता है:
- वाचिक एवं गैर-वाचिक संप्रेषण
- अंतःसांस्कृतिक संप्रेषण
- सामूहिक संप्रेषण
- कक्षा संप्रेषण
अब हम इन चारों पहलुओं को विस्तृत रूप से समझेंगे।
1. वाचिक एवं गैर-वाचिक संप्रेषण
संप्रेषण के दो प्रमुख प्रकार होते हैं:
(क) वाचिक संप्रेषण (Verbal Communication)
वाचिक संप्रेषण वह प्रक्रिया है जिसमें भाषा का प्रयोग करके संवाद किया जाता है। यह संप्रेषण मौखिक (Oral) और लिखित (Written) दोनों रूपों में हो सकता है।
(i) मौखिक संप्रेषण (Oral Communication)
मौखिक संप्रेषण में संवाद सीधे शब्दों के माध्यम से होता है।
विशेषताएँ:
- यह संवाद की सबसे सहज और सामान्य विधि है।
- इसमें त्वरित प्रतिक्रिया प्राप्त होती है।
- इसमें आवाज़ की गुणवत्ता, लय, एवं उच्चारण महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
उदाहरण:
- शिक्षक का कक्षा में व्याख्यान देना।
- छात्र-छात्राओं का प्रश्न पूछना।
- समूह चर्चा या बहस।
- टेलीफोन या वीडियो कॉल।
(ii) लिखित संप्रेषण (Written Communication)
लिखित संप्रेषण में विचारों एवं सूचनाओं को शब्दों में लिखकर व्यक्त किया जाता है।
विशेषताएँ:
- यह स्थायी होता है और भविष्य के संदर्भ के लिए सुरक्षित किया जा सकता है।
- यह अधिक औपचारिक होता है और इसे स्पष्ट एवं संक्षिप्त रखना आवश्यक होता है।
- इसमें व्याकरण एवं वर्तनी की शुद्धता का ध्यान रखना आवश्यक होता है।
उदाहरण:
- पुस्तकों और पाठ्यक्रम की सामग्री।
- ई-मेल एवं पत्राचार।
- शोध-पत्र एवं रिपोर्ट।
- नोट्स एवं लेख।
(ख) गैर-वाचिक संप्रेषण (Non-verbal Communication)
गैर-वाचिक संप्रेषण वह प्रक्रिया है जिसमें संवाद बिना शब्दों के होता है, जैसे – शारीरिक संकेत, हाव-भाव, चेहरे के भाव, नेत्र संपर्क, एवं शारीरिक मुद्रा।
मुख्य घटक:
- शारीरिक संकेत (Body Language) – हाथों के इशारे, खड़े होने या बैठने की मुद्रा, सिर हिलाना।
- चेहरे के भाव (Facial Expressions) – मुस्कुराना, त्योरी चढ़ाना, विस्मय प्रकट करना।
- नेत्र संपर्क (Eye Contact) – आत्मविश्वास या झिझक को दर्शाना।
- आवाज की टोन (Tone & Pitch) – गहरी आवाज़ से गंभीरता, धीमी आवाज़ से संकोच व्यक्त करना।
- सांस्कृतिक प्रतीक (Cultural Symbols) – विभिन्न संस्कृतियों में भिन्न संकेतों का अर्थ।
उदाहरण:
- शिक्षक का आँखों से छात्रों को प्रेरित करना।
- निराशा प्रकट करने के लिए सिर झुका लेना।
- हाथ मिलाना या सिर झुकाकर अभिवादन करना।
गैर-वाचिक संप्रेषण वाचिक संप्रेषण को प्रभावी बनाने में सहायक होता है।
2. अंतःसांस्कृतिक संप्रेषण (Intercultural Communication)
अर्थ एवं महत्व
अंतःसांस्कृतिक संप्रेषण तब होता है जब विभिन्न संस्कृतियों के लोग आपस में संवाद करते हैं।
मुख्य विशेषताएँ:
- यह वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण होता जा रहा है।
- इसमें सांस्कृतिक मतभेदों को समझना आवश्यक होता है।
- इसमें भाषा, परंपरा, सामाजिक मूल्यों एवं व्यवहारों को ध्यान में रखा जाता है।
उदाहरण:
- विदेशी छात्रों का भारतीय कक्षा में अध्ययन।
- अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में विचार-विमर्श।
- विभिन्न धर्मों एवं समुदायों के बीच संवाद।
3. सामूहिक संप्रेषण (Mass Communication)
सामूहिक संप्रेषण (Mass Communication) वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से एक संदेश को एक बड़े जनसमूह तक पहुँचाया जाता है।
माध्यम:
- मुद्रित संचार (Print Media) – समाचार पत्र, पत्रिकाएँ, पुस्तकें।
- इलेक्ट्रॉनिक संचार (Electronic Media) – टेलीविजन, रेडियो।
- डिजिटल संचार (Digital Media) – सोशल मीडिया, ई-पत्रिकाएँ, वेबसाइट्स।
महत्व:
- यह जनमत निर्माण में सहायक होता है।
- यह शिक्षा, मनोरंजन एवं सूचना के प्रसार का प्रभावी माध्यम है।
- यह सामाजिक जागरूकता बढ़ाने में सहायक होता है।
उदाहरण:
- शैक्षिक टेलीविजन कार्यक्रम।
- अखबार में प्रकाशित लेख।
- सोशल मीडिया पर शैक्षिक पोस्ट।
4. कक्षा संप्रेषण (Classroom Communication)
कक्षा में प्रभावी संप्रेषण शिक्षण प्रक्रिया को अधिक रोचक और प्रभावी बनाता है।
मुख्य घटक:
- शिक्षक का संप्रेषण कौशल – स्पष्ट उच्चारण, आत्मविश्वास, सहजता।
- छात्रों की भागीदारी – प्रश्न पूछना, चर्चा करना, गतिविधियों में शामिल होना।
- दृश्य-श्रव्य साधनों का उपयोग – पावरपॉइंट, चार्ट, मॉडल।
- शिक्षण विधियाँ – संवादात्मक शिक्षण, कहानी विधि, प्रश्नोत्तर पद्धति।
कक्षा संप्रेषण को प्रभावी बनाने के उपाय:
- छात्रों को प्रोत्साहित करना।
- भाषा को सरल और बोधगम्य रखना।
- गैर-वाचिक संकेतों का प्रभावी उपयोग।
- संप्रेषण को दो-तरफ़ा बनाए रखना।
उदाहरण:
- शिक्षक का आँखों के संपर्क से छात्रों को प्रेरित करना।
- समूह चर्चा में छात्रों को भाग लेने के लिए प्रेरित करना।
निष्कर्ष
प्रभावी संप्रेषण केवल भाषा तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें हाव-भाव, संकेत, सांस्कृतिक पृष्ठभूमि एवं तकनीकी साधनों का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है। शिक्षकों एवं शिक्षार्थियों के लिए यह आवश्यक है कि वे प्रभावी संप्रेषण की कला को समझें और उसे अपने शिक्षण एवं संवाद कौशल में समाहित करें। इससे शिक्षण प्रक्रिया अधिक प्रभावी, संवादमूलक एवं रोचक बन सकती है।
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