होली छन्द: खेलत बसन्त राजाधिराज, होली की ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएं, होली छन्द: खेलत बसन्त राजाधिराज, हिन्दी व्याख्या के साथ, होली पर्व,भारतीय पर्व।
![]() |
होली छन्द: खेलत बसन्त राजाधिराज, हिन्दी व्याख्या के साथ |
होली छन्द: खेलत बसन्त राजाधिराज, हिन्दी व्याख्या के साथ
खेलत बसन्त राजाधिराज
देखत नभ कौतुक सुर-समाज
सोहैं सखा-अनुज रघुनाथ साथ
झोलिन्ह अबीर, पिचकारि हाथ
बाजहिं मृदङ्ग, डफ, ताल, बेनु
छिरकैं सुगन्ध भरे मलय-रेनु
उत जुबति-जूथ जानकी सङ्ग
पहिरे पट भूषन सरस रङ्ग
लिये छरी बेन्त सोन्धैं बिभाग
चाँचरि झूमक कहैं सरसराग
नूपुर-किङ्किनि-धुनि अति सोहाइ
ललना-गन जब जेहि धरैँ धाइ
लोचन आँजहिं फगुआ मनाइ
छाड़हिं नचाइ, हाहा कराइ
चढ़े खरनि बिदूषक स्वाँग साजि
करैं कूटि, निपट गई लाज भाजि
नर-नारि परसपर गारि देत
सुनि हँसत राम भाइन समेत
बरषत प्रसून बर-बिबुध-बृन्द
जय-जय दिनकर-कुल-कुमुदचन्द
ब्रह्मादि प्रसंसत अवध बास
गावत कलकीरति तुलसिदास
व्याख्या:
यह पद्यांश गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित एक अनुपम काव्य रचना है, जिसमें भगवान श्रीराम के राज्य में मनाए जा रहे होली उत्सव का सुंदर वर्णन किया गया है।
१. खेलत बसन्त राजाधिराज, देखत नभ कौतुक सुर-समाज
बसंत ऋतु के आगमन पर अयोध्या में होली का उत्सव मनाया जा रहा है। श्रीराम, जो राजाओं के भी राजा हैं, स्वयं इस रंगोत्सव में सम्मिलित हो रहे हैं। उनके इस हास्य-विलास को देखने के लिए देवताओं की मंडली आकाश से यह अनुपम दृश्य देख रही है और हर्षित हो रही है।
२. सोहैं सखा-अनुज रघुनाथ साथ, झोलिन्ह अबीर, पिचकारि हाथ
श्रीराम अपने छोटे भाइयों और मित्रों के साथ होली खेल रहे हैं। उनके हाथों में अबीर से भरी झोलियाँ हैं और पिचकारियाँ भी हैं, जिससे वे परस्पर रंगों की बौछार कर रहे हैं। यह दृश्य अत्यंत मनोरम प्रतीत हो रहा है।
३. बाजहिं मृदङ्ग, डफ, ताल, बेनु, छिरकैं सुगन्ध भरे मलय-रेनु
होली के इस उल्लासमय अवसर पर मृदंग, डफ, ताल और बांसुरी बज रहे हैं। मलयगिरि से आई सुगंधित वायु और अबीर-गुलाल वातावरण को और भी अधिक सुरभित और रंगीन बना रहे हैं।
४. उत जुबति-जूथ जानकी सङ्ग, पहिरे पट भूषन सरस रङ्ग
उधर माता सीता अपनी सखियों के साथ इस आनंदमय होली उत्सव में रहीं हैं। उन्होंने सुंदर रंग-बिरंगे वस्त्र और गहने धारण कर रखे हैं, जिससे उनका रूप और अधिक अलौकिक प्रतीत हो रहा है।
५. लिये छरी बेन्त सोन्धैं बिभाग, चाँचरि झूमक कहैं सरसराग
स्त्रियाँ अपनी-अपनी टोलियों में बाँस की पतली छड़ियाँ (छरी) लेकर नृत्य कर रही हैं। वे चांचरि (एक प्रकार का नृत्य) कर रही हैं और उनके झूमते हुए आभूषणों की झंकार से एक मधुर संगीत उत्पन्न हो रहा है।
६. नूपुर-किङ्किनि-धुनि अति सोहाइ, ललना-गन जब जेहि धरैँ धाइ
स्त्रियों के पैरों की पायल और करधनी की ध्वनि अत्यंत मधुर प्रतीत हो रही है। जब वे किसी पर रंग डालने के लिए दौड़ती हैं, तो उनके गहनों की झंकार वातावरण में एक मनमोहक माधुर्य घोल देती है।
७. लोचन आँजहिं फगुआ मनाइ, छाड़हिं नचाइ, हाहा कराइ
लोग अपने नेत्रों में गुलाल और अबीर लगा रहे हैं, जिससे आँखें रंगीन हो गई हैं। वे परस्पर एक-दूसरे को पकड़कर नचा रहे हैं और असीम आनंद में हँसी-मजाक कर रहे हैं।
८. चढ़े खरनि बिदूषक स्वाँग साजि, करैं कूटि, निपट गई लाज भाजि
बिदूषक (विदूषक, हास्य कलाकार) विभिन्न प्रकार के वेश धारण कर हास्य-परिहास कर रहे हैं। वे अपनी चतुराई और हाव-भाव से लोगों को हँसा रहे हैं, जिससे लोक-लाज भी हट गई है और लोग पूर्णतः आनंदमग्न हो गए हैं।
९. नर-नारि परसपर गारि देत, सुनि हँसत राम भाइन समेत
इस होली उत्सव में हँसी-ठिठोली करते हुए नर-नारी एक-दूसरे को परिहासवश गालियाँ (हास्यपूर्ण ताने) दे रहे हैं। इसे सुनकर श्रीराम और उनके सभी भाई हँस रहे हैं और इस आनंदमय क्षण का भरपूर रसास्वादन कर रहे हैं।
१०. बरषत प्रसून बर-बिबुध-बृन्द, जय-जय दिनकर-कुल-कुमुदचन्द
स्वर्गीय देवगण प्रसन्न होकर पुष्पवर्षा कर रहे हैं और सूर्यवंश के चंद्रमा श्रीराम की जय-जयकार कर रहे हैं। यह दृश्य अत्यंत दिव्य और भक्तिमय प्रतीत हो रहा है।
११. ब्रह्मादि प्रसंसत अवध बास, गावत कलकीरति तुलसिदास
ब्रह्मा आदि देवता अयोध्या की पावन भूमि की प्रशंसा कर रहे हैं, जहाँ स्वयं भगवान श्रीराम निवास करते हैं। तुलसीदास जी इस होली उत्सव का गुणगान कर रहे हैं और प्रभु श्रीराम की लीला का गान करते हुए उनकी महिमा को बखान रहे हैं।
निष्कर्ष:
यह काव्यांश अयोध्या में मनाए जा रहे होली उत्सव का एक दिव्य चित्र प्रस्तुत करता है। श्रीराम, माता सीता, उनके भाई, सखाएँ, नगरवासी – सभी आनंद में मग्न हैं। हँसी-ठिठोली, संगीत, नृत्य, रंगों की छटा और देवताओं की पुष्पवर्षा – इन सभी तत्वों से यह होली महोत्सव अद्वितीय बन जाता है। तुलसीदास जी ने इस प्रसंग में भक्तिरस, श्रृंगाररस और हास्यरस का अद्भुत समावेश किया है, जिससे यह वर्णन अत्यंत प्रभावशाली और सरस बन पड़ा है।
🌺🌺होली की ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएं🌺🌺
COMMENTS