शिक्षण प्रभावक तत्त्व शिक्षक, सहायक सामग्री, संस्थागत सुविधाएं, शैक्षिक वातावरण उच्च अधिगम संस्थाओं में शिक्षण की पद्धति अध्यापक केंद्रित बनाम शिक्षा
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शिक्षण प्रभावक तत्त्व शिक्षक, सहायक सामग्री, संस्थागत सुविधाएं, शैक्षिक वातावरण उच्च अधिगम संस्थाओं में शिक्षण की पद्धति अध्यापक केंद्रित बनाम शिक्षार्थी केंद्रित पद्धति, ऑफ लाइन बनाम ऑन-लाइन पद्धतियां (स्वयं, स्वयंप्रभा, मूक्स इत्यादि)। |
UGC NET/JRF: शिक्षण प्रभावक तत्त्व
शिक्षक, सहायक सामग्री, संस्थागत सुविधाएं, शैक्षिक वातावरण, उच्च अधिगम संस्थाओं में शिक्षण की पद्धति अध्यापक केंद्रित बनाम शिक्षार्थी केंद्रित पद्धति, ऑफ लाइन बनाम ऑन-लाइन पद्धतियां (स्वयं, स्वयंप्रभा, मूक्स इत्यादि)।
शिक्षण प्रभावक तत्त्वों का विश्लेषण
शिक्षण को प्रभावी बनाने के लिए कई तत्त्व आवश्यक होते हैं। ये तत्त्व शिक्षकों, सहायक सामग्री, संस्थागत सुविधाओं और शैक्षिक वातावरण से मिलकर बनते हैं।
1. शिक्षक
शिक्षण प्रक्रिया का सबसे महत्वपूर्ण घटक शिक्षक होता है। एक शिक्षक का ज्ञान, कौशल, शैक्षणिक योग्यता, शिक्षण विधियाँ और व्यक्तिगत गुण सभी शिक्षार्थियों की सीखने की प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं।
- ज्ञान एवं दक्षता: शिक्षक को विषयवस्तु में प्रवीण होना चाहिए और नवीनतम शोधों से अपडेट रहना चाहिए।
- शिक्षण शैली: शिक्षक की व्याख्या की शैली, प्रश्न पूछने की क्षमता, संवाद कौशल, और उदाहरणों का प्रयोग शिक्षण को प्रभावी बनाते हैं।
- प्रेरणादायक व्यक्तित्व: शिक्षक को शिक्षार्थियों में सीखने की जिज्ञासा उत्पन्न करने और उनके संदेहों को हल करने में सक्षम होना चाहिए।
- तकनीकी दक्षता: वर्तमान में शिक्षकों के लिए डिजिटल माध्यमों (जैसे PPT, वीडियो, LMS प्लेटफॉर्म) का उपयोग आवश्यक हो गया है।
2. सहायक सामग्री
शिक्षण को रोचक और प्रभावी बनाने में सहायक सामग्री महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- पाठ्यपुस्तकें: विषयवस्तु की मूलभूत जानकारी प्रदान करती हैं।
- ऑडियो-विजुअल सामग्री: वीडियो, पॉडकास्ट, एनिमेशन आदि शिक्षण को रोचक और व्यावहारिक बनाते हैं।
- ऑनलाइन संसाधन: स्वयं, स्वयंप्रभा, मूक्स जैसे ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म शिक्षार्थियों को अतिरिक्त सहायता प्रदान करते हैं।
- सिमुलेशन एवं प्रयोगशालाएं: विज्ञान और तकनीकी विषयों के लिए सिमुलेशन और प्रयोगशालाएं व्यावहारिक समझ को बढ़ाती हैं।
3. संस्थागत सुविधाएं
एक शिक्षण संस्थान में उपलब्ध सुविधाएं भी शिक्षण की गुणवत्ता को प्रभावित करती हैं।
- पुस्तकालय: शोध और अध्ययन के लिए आवश्यक है।
- डिजिटल संसाधन: स्मार्ट क्लासरूम, प्रोजेक्टर, कंप्यूटर लैब्स आदि आधुनिक शिक्षण के लिए अनिवार्य हैं।
- शोध एवं नवाचार केंद्र: उच्च शिक्षा में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए शोध प्रयोगशालाओं और वित्तीय सहायता की आवश्यकता होती है।
- इंटरनेट एवं टेक्नोलॉजी एक्सेस: छात्रों के लिए डिजिटल संसाधनों तक पहुँच आवश्यक है।
4. शैक्षिक वातावरण
शिक्षण का प्रभाव शैक्षिक वातावरण पर निर्भर करता है, जिसमें कई कारक शामिल होते हैं।
- सकारात्मक संवाद: शिक्षक और शिक्षार्थी के बीच स्वस्थ संवाद होना चाहिए।
- प्रेरणादायक माहौल: संस्थान को ऐसा वातावरण बनाना चाहिए जो शोध, नवाचार और स्वतंत्र सोच को प्रोत्साहित करे।
- समावेशिता: सभी छात्रों को समान अवसर मिलें, भले ही वे किसी भी सामाजिक या आर्थिक पृष्ठभूमि से हों।
- सहयोगी संस्कृति: समूह कार्य, परियोजनाएँ और सह-पाठ्यक्रम गतिविधियाँ छात्रों के सीखने के अनुभव को बढ़ाती हैं।
उच्च अधिगम संस्थाओं में शिक्षण की पद्धति
1. अध्यापक-केंद्रित बनाम शिक्षार्थी-केंद्रित पद्धति
(क) अध्यापक-केंद्रित पद्धति
- शिक्षण व्याख्यान पद्धति पर आधारित होता है।
- शिक्षार्थियों की भागीदारी सीमित होती है।
- विषयवस्तु को व्यवस्थित रूप से प्रस्तुत किया जाता है।
- परीक्षा और मूल्यांकन पर अधिक जोर दिया जाता है।चुनौतियाँ:
- छात्रों में आत्मनिर्भरता और आलोचनात्मक सोच विकसित नहीं हो पाती।
- संवाद और रचनात्मकता पर कम ध्यान दिया जाता है।
(ख) शिक्षार्थी-केंद्रित पद्धति
- संवाद और चर्चा आधारित शिक्षण होता है।
- छात्र अपनी जिज्ञासा और समस्या समाधान क्षमता को विकसित करते हैं।
- समूह कार्य, परियोजनाएँ और केस स्टडी का अधिक प्रयोग किया जाता है।लाभ:
- छात्रों में आत्मविश्वास, स्वतंत्र चिंतन और नवाचार को बढ़ावा मिलता है।
- वास्तविक जीवन की समस्याओं को हल करने की क्षमता विकसित होती है।
2. ऑफलाइन बनाम ऑनलाइन शिक्षण पद्धतियाँ
(क) ऑफलाइन शिक्षण
- सीधा संवाद और तत्काल संदेह निवारण।
- समूह में कार्य करने की अधिक संभावनाएँ।
- व्यावहारिक विषयों के लिए अधिक प्रभावी।चुनौतियाँ:
- सीमित संसाधनों के कारण सभी छात्रों तक समान अवसर नहीं पहुँच पाते।
- अधिक समय और संसाधन खर्च होते हैं।
(ख) ऑनलाइन शिक्षण
तकनीक के विकास के साथ ऑनलाइन शिक्षण लोकप्रिय हो गया है। इसमें कई प्लेटफ़ॉर्म शामिल हैं:
- स्वयं: यह भारत सरकार का ई-लर्निंग प्लेटफ़ॉर्म है, जो मुफ्त ऑनलाइन पाठ्यक्रम प्रदान करता है।
- स्वयंप्रभा: यह 34 डीटीएच चैनलों का एक समूह है, जो 24x7 उच्च शिक्षा सामग्री प्रसारित करता है।
- MOOCs (Massive Open Online Courses): यह विभिन्न अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों द्वारा प्रदान किए जाने वाले ऑनलाइन पाठ्यक्रम हैं।
लाभ:
- कहीं भी, कभी भी सीखने की सुविधा।
- स्व-अध्ययन की आदत विकसित होती है।
- उच्च गुणवत्ता वाले शिक्षकों और सामग्री तक पहुँच।चुनौतियाँ:
- स्व-अनुशासन की आवश्यकता होती है।
- तकनीकी समस्याएँ और इंटरनेट की उपलब्धता आवश्यक होती है।
निष्कर्ष
शिक्षण को प्रभावी बनाने के लिए शिक्षक, सामग्री, सुविधाएँ और वातावरण सभी आवश्यक हैं। आधुनिक शिक्षा में शिक्षार्थी-केंद्रित और ऑनलाइन शिक्षण को अधिक महत्व दिया जा रहा है, लेकिन पारंपरिक पद्धतियाँ भी अपनी जगह बनाए हुए हैं। संतुलित और मिश्रित (ब्लेंडेड) शिक्षण पद्धति अपनाने से सर्वश्रेष्ठ परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं।
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