ADR REPORT 2025: भारत में विधायकों की संपत्ति: राजनीति और धन का अटूट संबंध, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR), आज का समाचार, भागवत दर्शन सूरज
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ADR REPORT 2025: भारत में विधायकों की संपत्ति: राजनीति और धन का अटूट संबंध |
भारत में विधायकों की संपत्ति: राजनीति और धन का अटूट संबंध
भारत में राजनीति और धन का गहरा रिश्ता है। हाल ही में एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की रिपोर्ट में यह बात फिर से सामने आई है कि भारत के विधायकों की संपत्ति आम नागरिकों की तुलना में कई गुना अधिक है। इस रिपोर्ट में 28 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों के 4,092 विधायकों की संपत्ति का विश्लेषण किया गया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि राजनीति में आर्थिक असमानता किस हद तक बढ़ चुकी है।
विधायकों की कुल संपत्ति
रिपोर्ट के अनुसार, सभी विधायकों की कुल संपत्ति ₹73,000 करोड़ से अधिक है। इस रकम से 91 लाख iPhone 16 खरीदे जा सकते हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक, एक विधायक की औसत संपत्ति ₹15.7 करोड़ है, जबकि भारत में एक औसत युवा की संपत्ति ₹14.2 लाख (2022 के आंकड़ों के अनुसार) आंकी गई थी। इस तुलना से यह पता चलता है कि विधायकों की संपत्ति आम भारतीय नागरिकों से 100 गुना अधिक है।
राज्यवार विधायकों की संपत्ति
विधायकों की संपत्ति राज्यों के अनुसार काफी अलग-अलग है। दक्षिण भारतीय राज्यों के विधायक सबसे धनी हैं, केवल केरल को छोड़कर। इस सूची में सबसे ऊपर आंध्र प्रदेश के विधायक हैं, जिनकी औसत संपत्ति ₹65 करोड़ है। इसके बाद कर्नाटक के विधायकों की औसत संपत्ति ₹63 करोड़, महाराष्ट्र के विधायकों की औसत संपत्ति ₹43 करोड़, गुजरात के विधायकों की औसत संपत्ति ₹25 करोड़ और मध्य प्रदेश के विधायकों की औसत संपत्ति ₹22 करोड़ बताई गई है।
वहीं, सबसे कम औसत संपत्ति वाले विधायक त्रिपुरा के हैं, जहां विधायकों की संपत्ति अन्य राज्यों की तुलना में काफी कम है।
राजनीतिक दलों के विधायकों की संपत्ति
यदि विधायकों की संपत्ति को उनकी पार्टी के आधार पर देखा जाए, तो तेलुगु देशम पार्टी (TDP) के विधायक सबसे अधिक संपत्ति वाले हैं। इस पार्टी के विधायकों की औसत संपत्ति ₹68 करोड़ है। इसके बाद कांग्रेस (INC) के विधायकों की औसत संपत्ति ₹26.9 करोड़ और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के विधायकों की औसत संपत्ति ₹15.9 करोड़ बताई गई है।
इस रिपोर्ट से यह भी पता चला कि 80% से अधिक विधायक करोड़पति हैं और इनमें से 10,159 विधायकों की संपत्ति 10 करोड़ से अधिक है। वहीं, लगभग आधे से अधिक विधायकों की संपत्ति 1 करोड़ से 10 करोड़ के बीच है। इसके अलावा, 3% विधायक ऐसे भी हैं जिनकी संपत्ति 100 करोड़ से अधिक है।
भारत के सबसे अमीर और सबसे गरीब विधायक
भारत के सबसे अमीर विधायक पराग शाह (BJP, महाराष्ट्र) हैं, जिनकी कुल संपत्ति ₹3,383 करोड़ है। उनके बाद डी. के. शिवकुमार (INC, कर्नाटक) का स्थान आता है, जिनकी संपत्ति ₹1,413 करोड़ है।
वहीं, देश के सबसे गरीब विधायक निर्मल कुमार धारा (BJP, पश्चिम बंगाल) हैं, जिनकी कुल संपत्ति मात्र ₹1,700 है। इनके अलावा निर्दरपाल सिंह की संपत्ति ₹18,000 के करीब बताई गई है।
क्या राजनीति केवल अमीरों के लिए रह गई है?
यह रिपोर्ट भारत में बढ़ती आर्थिक असमानता और राजनीति में धन के प्रभाव को उजागर करती है। सवाल यह उठता है कि जब 80% से अधिक विधायक करोड़पति हैं, तो क्या आम नागरिक के लिए राजनीति में स्थान बनाना कठिन हो गया है?
चुनावों में भारी खर्च और धनबल का प्रभाव इतना अधिक हो चुका है कि अब गरीब या मध्यम वर्ग के लोगों के लिए राजनीति में आना लगभग असंभव सा हो गया है। ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या राजनीति अब केवल अमीरों तक सीमित रह गई है?
संभावित समाधान और सुधार
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चुनावी खर्च पर सख्त नियंत्रण:चुनाव आयोग को चुनाव प्रचार और खर्च पर कड़े नियम लागू करने चाहिए ताकि केवल धनवान लोग ही चुनाव न लड़ सकें।
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राजनीति में पारदर्शिता:सभी विधायकों की संपत्ति के स्रोतों की जांच होनी चाहिए और उनकी आय के स्रोत सार्वजनिक किए जाने चाहिए।
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समान अवसर:आम नागरिकों को राजनीति में आने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु सरकार को नई योजनाएँ लानी चाहिए।
निष्कर्ष
इस रिपोर्ट से यह स्पष्ट होता है कि भारत में राजनीति और धन का गहरा संबंध बन चुका है। जब विधायक आम नागरिकों से 100 गुना अधिक संपत्ति रखते हैं, तो यह सवाल उठता है कि क्या वे आम जनता की समस्याओं को सही से समझ सकते हैं?
क्या राजनीति केवल धनी लोगों के लिए रह गई है? या फिर आम नागरिक भी इसमें अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर सकते हैं? इस विषय पर आपकी क्या राय है?
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