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क्रियात्मक अनुसंधान (Action Research) |
क्रियात्मक अनुसंधान (Action Research)
परिचय:
क्रियात्मक अनुसंधान (Action Research) एक व्यवहारिक और समस्या-समाधान उन्मुख अनुसंधान पद्धति है, जिसका उद्देश्य किसी विशेष क्षेत्र में सुधार लाना और वास्तविक समस्याओं का व्यावहारिक समाधान खोजना होता है। यह शिक्षकों, प्रबंधकों, समाजशास्त्रियों, चिकित्सकों, और अन्य पेशेवरों द्वारा अपनाई जाने वाली एक प्रणालीबद्ध प्रक्रिया है, जिसमें अनुसंधानकर्ता स्वयं अनुसंधान का सक्रिय भागीदार होता है।
यह अनुसंधान विधि न केवल अकादमिक अध्ययन तक सीमित है, बल्कि इसे व्यावहारिक कार्यान्वयन में भी प्रयोग किया जाता है। यह निरंतर सुधार (Continuous Improvement) की प्रक्रिया को बढ़ावा देती है और अनुसंधान के दौरान प्राप्त निष्कर्षों को सीधे कार्यक्षेत्र में लागू करने की अनुमति देती है।
क्रियात्मक अनुसंधान की परिभाषाएँ:
विभिन्न विद्वानों ने क्रियात्मक अनुसंधान की परिभाषाएँ दी हैं:
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कर्ट लेविन (Kurt Lewin, 1946):
"क्रियात्मक अनुसंधान एक चक्रीय प्रक्रिया है, जिसमें अनुसंधानकर्ता स्वयं समस्या का अध्ययन करता है, कार्रवाई करता है, परिणामों का विश्लेषण करता है और फिर सुधार के लिए अगला कदम उठाता है।"
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जॉन इलियट (John Elliott, 1991):
"क्रियात्मक अनुसंधान का मुख्य उद्देश्य शिक्षण और अधिगम प्रक्रिया में सुधार लाना है, जिसमें शिक्षक और शिक्षार्थी दोनों सक्रिय रूप से भाग लेते हैं।"
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स्टिफन केरी (Stephen Corey, 1953):
"क्रियात्मक अनुसंधान वह प्रक्रिया है, जिसमें शिक्षकों को अपने स्वयं के अनुभवों के आधार पर शिक्षण विधियों में सुधार लाने का अवसर मिलता है।"
इन परिभाषाओं से स्पष्ट है कि क्रियात्मक अनुसंधान किसी समस्या का समाधान करने और उसमें निरंतर सुधार लाने की एक चक्रीय प्रक्रिया है।
क्रियात्मक अनुसंधान की विशेषताएँ:
क्रियात्मक अनुसंधान की कुछ महत्वपूर्ण विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
1. समस्या-समाधान उन्मुखता (Problem-Solving Orientation)
- इसका मुख्य उद्देश्य किसी विशेष समस्या की पहचान करना और उसके समाधान हेतु प्रभावी रणनीति विकसित करना है।
- यह अनुसंधान शिक्षकों, प्रशासकों, चिकित्सकों, और अन्य व्यावसायिक क्षेत्रों में समस्याओं के व्यावहारिक समाधान खोजने में सहायक होता है।
2. चक्रीय प्रक्रिया (Cyclical Process)
- क्रियात्मक अनुसंधान एक पुनरावृत्त प्रक्रिया (Iterative Process) है, जिसमें अनुसंधानकर्ता किसी समस्या की पहचान करता है, उस पर कार्य करता है, परिणामों का विश्लेषण करता है और फिर पुनः सुधारात्मक कदम उठाता है।
- यह अनुसंधान "योजना – क्रियान्वयन – अवलोकन – विश्लेषण – पुनर्निर्माण" के चक्र में चलता रहता है।
3. सहभागिता (Participation)
- इसमें संबंधित लोग (शिक्षक, विद्यार्थी, कर्मचारी, प्रबंधक आदि) सक्रिय रूप से भाग लेते हैं।
- यह अनुसंधान केवल शोधकर्ता तक सीमित नहीं होता, बल्कि प्रभावित व्यक्तियों का भी योगदान महत्वपूर्ण होता है।
4. लचीलापन (Flexibility)
- यह अनुसंधान कठोर नियमों से बंधा नहीं होता।
- शोध के दौरान आवश्यकतानुसार अनुसंधान पद्धति और तकनीकों में बदलाव किया जा सकता है।
5. व्यवहारिकता (Practicality)
- इसका उद्देश्य केवल सैद्धांतिक ज्ञान अर्जित करना नहीं है, बल्कि इसे व्यवहार में लागू करना भी है।
- यह अनुसंधान शिक्षण, चिकित्सा, प्रबंधन, सामाजिक विज्ञान, और उद्योग में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।
6. परिवर्तन-उन्मुखता (Change-Oriented)
- इसका उद्देश्य अनुसंधान के निष्कर्षों के आधार पर किसी क्षेत्र में सुधार लाना और सकारात्मक परिवर्तन सुनिश्चित करना है।
क्रियात्मक अनुसंधान की प्रक्रिया (Steps of Action Research)
1. समस्या की पहचान (Identifying the Problem)
- किसी विशेष क्षेत्र में मौजूद समस्या का विश्लेषण करना।
- उदाहरण: यदि किसी विद्यालय में छात्र गणित विषय में कमजोर हैं, तो इस समस्या को पहचानना।
2. योजना बनाना (Planning the Action)
- समस्या के संभावित समाधान खोजकर एक विस्तृत कार्ययोजना तैयार करना।
- उदाहरण: गणित विषय में सुधार के लिए नए शिक्षण उपकरण या तकनीकों का प्रयोग करने की योजना बनाना।
3. क्रियान्वयन (Implementing the Plan)
- कार्ययोजना को व्यवहार में लाना और उसका पालन करना।
- उदाहरण: छात्रों को गणित के कठिन विषयों को समझाने के लिए नई शिक्षण विधियों का उपयोग करना।
4. अवलोकन और डेटा संग्रह (Observation & Data Collection)
- प्रक्रिया के दौरान प्राप्त परिणामों और प्रतिक्रियाओं को दर्ज करना।
- उदाहरण: छात्र नई शिक्षण विधियों पर किस प्रकार प्रतिक्रिया दे रहे हैं, इसे रिकॉर्ड करना।
5. विश्लेषण और मूल्यांकन (Analysis & Reflection)
- एकत्र किए गए डेटा का अध्ययन कर यह देखना कि क्या परिवर्तन हुए हैं।
- उदाहरण: क्या छात्रों के गणितीय कौशल में सुधार हुआ है?
6. पुनर्निर्माण (Reconstruction or Revision)
- यदि आवश्यक हो तो प्रक्रिया में बदलाव कर इसे और अधिक प्रभावी बनाना।
- उदाहरण: यदि नई विधि प्रभावी नहीं है, तो दूसरी शिक्षण विधियों को अपनाना।
शिक्षा में क्रियात्मक अनुसंधान के उदाहरण:
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शिक्षण विधियों में सुधार:
- यदि कोई शिक्षक देखता है कि उसके छात्र व्याकरण में कमजोर हैं, तो वह नए शिक्षण तरीकों का प्रयोग कर सकता है और उनके प्रभाव का मूल्यांकन कर सकता है।
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छात्रों की भागीदारी बढ़ाना:
- यदि कक्षा में छात्रों की सक्रिय भागीदारी कम है, तो शिक्षक विभिन्न संवादात्मक तकनीकों (जैसे- समूह चर्चा, रोल प्ले) का उपयोग कर सकता है और इसका प्रभाव देख सकता है।
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कक्षा अनुशासन में सुधार:
- यदि छात्रों में अनुशासनहीनता की समस्या है, तो शिक्षक अनुशासन के नए तरीकों को लागू कर उनके प्रभाव का अध्ययन कर सकता है।
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मूल्यांकन प्रणाली में सुधार:
- यदि किसी विद्यालय में परीक्षा प्रणाली प्रभावी नहीं है, तो इसे सुधारने के लिए नया मूल्यांकन मॉडल अपनाया जा सकता है और इसके प्रभावों का विश्लेषण किया जा सकता है।
निष्कर्ष:
क्रियात्मक अनुसंधान एक प्रभावी अनुसंधान पद्धति है, जो शिक्षकों, शोधकर्ताओं, प्रशासकों और अन्य पेशेवरों को अपने कार्यक्षेत्र में सुधार लाने और व्यावहारिक समस्याओं का समाधान निकालने में मदद करता है। यह अनुसंधान सिद्धांत और व्यवहार को जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण माध्यम है।
यह अनुसंधान न केवल ज्ञान वृद्धि करता है, बल्कि तत्काल सुधार लाने में भी सहायक होता है। इस कारण, यह शिक्षा, समाजशास्त्र, व्यवसाय प्रबंधन और अन्य क्षेत्रों में एक महत्वपूर्ण अनुसंधान विधि के रूप में जाना जाता है।
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