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Mahashivratri: महाशिवरात्रि की व्रत-कथा
भूमिका
उत्तर में भगवान शिव ने 'शिवरात्रि व्रत' का महत्व बताते हुए यह कथा सुनाई।
कथा
शिकारी का जीवन और ऋण बंधन
एक गाँव में एक शिकारी रहता था, जो पशुओं का शिकार कर अपने परिवार का पालन-पोषण करता था। वह एक साहूकार का ऋणी था, परंतु समय पर ऋण चुका न सका। क्रोधित होकर साहूकार ने उसे शिवमठ में बंदी बना लिया। संयोगवश, वह दिन शिवरात्रि का था।
शिवमठ में रहते हुए शिकारी ने शिव संबंधी धार्मिक वार्तालाप सुने और चतुर्दशी के दिन शिवरात्रि की कथा भी सुनी। संध्या होते ही साहूकार ने उसे बुलाया और ऋण चुकाने की बात की। शिकारी ने अगले दिन ऋण लौटाने का वचन दिया, जिससे वह बंधन से मुक्त हो गया।
बेलवृक्ष पर पड़ाव और अनजाने में शिव पूजन
बंदीगृह में दिनभर भूखे-प्यासे रहने के कारण शिकारी अत्यंत व्याकुल था। वह शिकार के लिए जंगल की ओर चला गया और एक तालाब के किनारे स्थित बेलवृक्ष पर पड़ाव बनाने लगा। वृक्ष के नीचे शिवलिंग स्थित था, किंतु शिकारी इससे अनजान था।
वह जैसे-जैसे टहनियाँ तोड़ता गया, वे संयोग से शिवलिंग पर गिरती गईं। इस प्रकार उसका उपवास भी हो गया और शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पण भी हो गए।
पहली मृगी—गर्भवती होने का विनम्र निवेदन
शिकारी ने उसकी बात मानकर उसे जाने दिया।
दूसरी मृगी—अपने प्रिय से मिलने की याचना
शिकारी ने उसे भी जाने दिया।
तीसरी मृगी—मातृत्व का करुण निवेदन
मृगी की दीनता देखकर शिकारी ने उसे भी जीवनदान दिया।
मृग का आगमन और शिकारी का हृदय परिवर्तन
मृग की बात सुनते ही शिकारी की आँखें खुल गईं। पूरी रात की घटनाएँ उसके मन-मस्तिष्क में घूम गईं। उसने मृग को पूरी कथा सुनाई।
शिव कृपा से शिकारी का अंतःकरण शुद्ध
रात्रि जागरण, उपवास, और शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने के प्रभाव से शिकारी का हृदय निर्मल हो गया। उसमें भगवद् शक्ति का वास हो गया। उसके हाथ से धनुष-बाण स्वतः गिर पड़े। वह अपने अतीत के पापों को याद कर पश्चाताप की अग्नि में जलने लगा।
कुछ ही देर में मृग अपने परिवार सहित शिकारी के समक्ष उपस्थित हो गया। किंतु उनकी सत्यनिष्ठा, सात्विकता और पारिवारिक प्रेमभावना देखकर शिकारी का मन करुणा से भर गया।
उसकी आँखों से आँसू बहने लगे। उसने सदैव के लिए हिंसा का त्याग कर दिया और कोमल व दयालु हृदय वाला बन गया।
देवताओं की कृपा और मोक्ष प्राप्ति
इस अद्भुत घटना को देव समाज देख रहा था। जैसे ही शिकारी ने अहिंसा और दया का मार्ग अपनाया, समस्त देवताओं ने पुष्प वर्षा की। भगवान शिव की कृपा से शिकारी तथा मृग परिवार को मोक्ष की प्राप्ति हुई।
शिवरात्रि व्रत का महत्त्व
उपसंहार
इस कथा से हमें भक्ति, उपवास, सत्य, अहिंसा और दया के महत्व का बोध होता है। शिवरात्रि के व्रत के प्रभाव से सबसे कठोर हृदय भी कोमल हो सकता है और अंततः परमात्मा की कृपा प्राप्त कर सकता है।
हर-हर महादेव!
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