भागवत महापुराण के पाँच प्रमुख गीतों का वर्णन, वेणु गीत (Venu Geet) – (स्कंध 10, अध्याय 21), युगल गीत (Yugal Geet) – (स्कंध 10, अध्याय 35), गोपी गीत...
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भागवत महापुराण के पाँच प्रमुख गीतों का वर्णन |
भागवत महापुराण के पाँच प्रमुख गीतों का वर्णन
भागवत महापुराण के दशम और एकादश स्कंध में कई महत्वपूर्ण गीत आते हैं, जो भक्ति, प्रेम, ज्ञान और वैराग्य का संदेश देते हैं। ये गीत न केवल भक्तों के लिए प्रेरणादायक हैं, बल्कि इनमें गहरी दार्शनिक व्याख्या भी मिलती है।
1. वेणु गीत (Venu Geet) – (स्कंध 10, अध्याय 21)
विषय-वस्तु:
वेणु गीत गोपियों द्वारा गाया गया एक अत्यंत मधुर गीत है, जिसमें वे भगवान श्रीकृष्ण की बांसुरी की ध्वनि के जादुई प्रभाव का वर्णन करती हैं। यह गीत बताता है कि किस प्रकार श्रीकृष्ण की बांसुरी की ध्वनि केवल मनुष्यों ही नहीं, बल्कि पशु-पक्षियों, पेड़ों, नदियों और सभी वन्य जीवों को भी मोहित कर देती है।
मुख्य भाव:
- श्रीकृष्ण जब अपनी बांसुरी बजाते हैं, तो गोकुल का सारा वातावरण भक्तिमय हो जाता है।
- गोपियाँ इस ध्वनि को सुनकर मुग्ध हो जाती हैं और श्रीकृष्ण के सौंदर्य, उनकी चाल-ढाल, वंशी-ध्वनि और उनके प्रभाव की चर्चा करती हैं।
- यह गीत गोपियों के हृदय में श्रीकृष्ण के प्रति अपार प्रेम और उनकी अनुपस्थिति में विरह की अनुभूति को दर्शाता है।
उदाहरण (श्लोक अंश):
2. युगल गीत (Yugal Geet) – (स्कंध 10, अध्याय 35)
विषय-वस्तु:
युगल गीत गोपियों द्वारा गाया गया एक विरह गीत है, जिसमें वे श्रीकृष्ण की अनुपस्थिति में उनकी याद में तड़पती हैं। जब श्रीकृष्ण गोकुल छोड़कर मथुरा चले जाते हैं, तो गोपियाँ उनके साथ बिताए मधुर क्षणों को स्मरण करती हैं और अपने हृदय की पीड़ा व्यक्त करती हैं।
मुख्य भाव:
- श्रीकृष्ण के बिना गोपियाँ अधूरी महसूस करती हैं और उनके लौटने की प्रतीक्षा करती हैं।
- वे श्रीकृष्ण की विभिन्न लीलाओं, उनकी मधुर मुस्कान, उनकी शरारतों और उनके प्रेममय व्यवहार को याद करती हैं।
- यह गीत प्रेम, भक्ति और समर्पण की चरम सीमा को दर्शाता है।
उदाहरण (श्लोक अंश):
वामबाहुकृतवामकपोलो
वल्गितभ्रुरधरार्पितवेणुम् ।
कोमलाङ्गुलिभिराश्रितमार्ग
गोप्य ईरयति यत्र मुकुन्दः ॥ २ ॥
गोपियों ने कहा- जब मुकुन्द अपने होंठों पर रखी बाँसुरी के छेदों को अपनी सुकुमार अँगुलियों से बन्द करके उसे बजाते हैं, तो वे अपने बाएँ गाल को अपनी बाईं बाँह पर रखकर अपनी भौंहों को नचाने लगते हैं।
3. गोपी गीत (Gopi Geet) – (स्कंध 10, अध्याय 31)
विषय-वस्तु:
गोपियाँ जब श्रीकृष्ण को रासलीला में खोजती हैं और वे नहीं मिलते, तब वे उनके प्रेम में व्याकुल होकर यह गीत गाती हैं। यह गीत श्रीकृष्ण के विरह की तीव्रता को दर्शाता है और प्रेम की गहनता को प्रकट करता है।
मुख्य भाव:
- गोपियाँ श्रीकृष्ण से प्रार्थना करती हैं कि वे उनके हृदय में सदैव बसें।
- उनका प्रेम सांसारिक प्रेम नहीं, बल्कि पूर्ण आत्मसमर्पण और अनन्य भक्ति का प्रतीक है।
- यह गीत भक्ति मार्ग में प्रेम-भाव की पराकाष्ठा को दर्शाता है।
उदाहरण (श्लोक अंश):
4. भ्रमर गीत (Bhramara Geet) – (स्कंध 10, अध्याय 47)
विषय-वस्तु:
भ्रमर गीत उस समय गाया जाता है जब उद्धव, जो श्रीकृष्ण के संदेशवाहक बनकर वृंदावन आते हैं, गोपियों को कृष्ण का संदेश सुनाते हैं। इसमें विशेष रूप से एक गोपी (संभावित रूप से श्रीराधा) एक भ्रमर (भौंरा) से संवाद करती हैं और कृष्ण के प्रेम की गूढ़ता को व्यक्त करती हैं।
मुख्य भाव:
- यह गीत प्रेम में समर्पण और विरह की पीड़ा को व्यक्त करता है।
- गोपी भ्रमर को श्रीकृष्ण का संदेशवाहक मानकर उससे शिकायत करती हैं कि श्रीकृष्ण ने उन्हें छोड़ दिया है।
- यह गीत प्रेम के विभिन्न स्तरों – संयोग (मिलन) और वियोग (विरह) – को दर्शाता है।
उदाहरण (श्लोक अंश):
श्लोक 1
मधुप कितवबन्धो मा स्पृशङ्घ्रिं सपत्न्याः
कुचविलुलितमाला कुङ्कुमश्मश्रुभिर्नः ।
वहतु मधुपतिस्तन् मानिनीनां प्रसादं
यदुसदसि विडम्ब्यं यस्य दूतस्त्वमीदृक् ।।
गोपी ने कहा—रे मधुप! तू कपटी का सखा है; इसलिये तू भी कपटी है। तू हमारे पैरों को मत छू। झूठे प्रणाम करके हमसे अनुनय-विनय मत कर। हम देख रही हैं कि श्रीकृष्ण की जो वनमाला हमारी सौतों के वक्षःस्थल के स्पर्श से मसली हुई है, उसका पीला-पीला कुंकुम तेरी मूछों पर भी लगा हुआ है। तू स्वयं भी तो किसी कुसुम से प्रेम नहीं करता, यहाँ—से-वहाँ उड़ा करता है। जैसे तेरे स्वामी, वैसा ही तू! मधुपति श्रीकृष्ण मथुरा की मानिनी नायिकाओं को मनाया करें, उनका वह कुंकुमरूप कृपा-प्रसाद, जो यदुवंशियों की सभा में उपहास करने योग्य है, अपने ही पास रखे। उसे तेरे द्वारा यहाँ भेजने की क्या आवश्यकता है ?
5. भिक्षु गीत (Bhikshu Geet) – (स्कंध 11, अध्याय 23)
विषय-वस्तु:
भिक्षु गीत एक विरक्त भिक्षु द्वारा गाया गया गीत है, जिसमें संसार की असारता और मोह-माया से विरक्ति की भावना व्यक्त की गई है। यह गीत भक्ति, ज्ञान और वैराग्य का उत्कृष्ट उदाहरण है।
मुख्य भाव:
- संसार नश्वर है, और जो लोग इसमें लिप्त रहते हैं, वे अंततः दुखी होते हैं।
- आत्मज्ञान और भक्ति ही सच्ची शांति प्रदान कर सकते हैं।
- यह गीत बताता है कि भिक्षु अपने अनुभवों से सीखकर कैसे समता और वैराग्य को प्राप्त करता है।
उदाहरण (श्लोक अंश):
निष्कर्ष:
श्रीमद्भागवत के ये पाँच गीत भक्तिरस और आध्यात्मिक ज्ञान से भरपूर हैं।
- वेणु गीत – श्रीकृष्ण की बांसुरी की मधुरता।
- युगल गीत – गोपियों का प्रेम और विरह।
- गोपि गीत – श्रीकृष्ण के वियोग की चरम अवस्था।
- भ्रमर गीत – प्रेम और उपेक्षा की भावना।
- भिक्षु गीत – संसार की असारता और वैराग्य का संदेश।
ये सभी गीत भक्ति और प्रेम की पराकाष्ठा को प्रकट करते हैं और श्रीकृष्ण के दिव्य स्वरूप का सुंदर वर्णन करते हैं।
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