ज्ञान का सच्चा प्रभाव: एक शिक्षाप्रद प्रसंग, रोचक कहानियाँ, शिक्षाप्रद कहानियाँ, भागवत दर्शन, सूरज कृष्ण शास्त्री।
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ज्ञान का सच्चा प्रभाव: एक शिक्षाप्रद प्रसंग |
ज्ञान का सच्चा प्रभाव: एक शिक्षाप्रद प्रसंग
एक दिन, एक जिज्ञासु छात्र अपने गुरु के पास आया और बोला, "गुरुदेव, मैंने अब तक कई पुस्तकें पढ़ी हैं, अनेक शास्त्रों और ग्रंथों का अध्ययन किया है, लेकिन इनमें से अधिकांश बातें मुझे याद नहीं रहतीं। जब मैं किसी ग्रंथ को समाप्त करता हूँ, तो कुछ समय बाद उसकी अधिकांश बातें मेरे मन से विलुप्त हो जाती हैं। तो फिर इतनी पुस्तकें पढ़ने का क्या लाभ?"
गुरु ने उसे ध्यान से देखा, लेकिन तत्काल कोई उत्तर नहीं दिया। वे मुस्कराए और बोले, "इसका उत्तर तुम्हें समय के साथ मिलेगा।" छात्र को यह उत्तर अधूरा लगा, लेकिन उसने गुरु की बातों को स्वीकार कर लिया।
एक अद्भुत प्रयोग
कुछ दिनों बाद, गुरु और छात्र नदी के किनारे टहल रहे थे। गुरु ने अचानक पास पड़ा एक बांस का पुराना टोकरीनुमा बर्तन उठाया, जिसमें कई छोटे-छोटे छेद थे। उन्होंने उस बर्तन को छात्र की ओर बढ़ाया और कहा, "इस बर्तन से नदी से जल भरकर लाओ।"
छात्र ने बर्तन देखा और संकोच के साथ बोला, "गुरुदेव, इस बर्तन में इतने छेद हैं कि इसमें पानी ठहरेगा ही नहीं। यह तो व्यर्थ प्रयास होगा!"
गुरु ने शांत स्वर में उत्तर दिया, "तुम्हें बस प्रयास करना है।"
छात्र ने गुरु के आदेश का पालन किया। वह बर्तन लेकर नदी की ओर दौड़ा, उसमें पानी भरा और वापस लौटने लगा। लेकिन कुछ ही क्षणों में पानी सभी छेदों से रिसकर बाहर निकल गया।
उसने फिर प्रयास किया, लेकिन वही परिणाम निकला। बार-बार प्रयास करने के बाद भी वह जल नहीं ला सका। अंततः वह थककर और निराश होकर गुरु के पास लौटा और बोला, "गुरुदेव, यह असंभव है। इस बर्तन से पानी नहीं लाया जा सकता।"
गुरु का गूढ़ उत्तर
गुरु मंद मुस्कान के साथ बोले, "बिल्कुल, तुम सही कह रहे हो। लेकिन जरा अपने बर्तन को ध्यान से देखो। क्या तुमने इसमें कोई परिवर्तन देखा?"
छात्र ने बर्तन को गौर से देखा और आश्चर्यचकित रह गया। पहले वह बर्तन पुराना और धूल-मिट्टी से भरा था, लेकिन अब वह एकदम स्वच्छ और चमकदार हो चुका था!
गुरु ने समझाया, "यही तुम्हारे प्रश्न का उत्तर है। जब तुम कोई पुस्तक पढ़ते हो, तो हो सकता है कि उसमें लिखी हर बात तुम्हें याद न रहे, लेकिन उसका प्रभाव तुम्हारे मन पर पड़ता है। जिस प्रकार इस बर्तन से पानी बार-बार बहने के बावजूद वह शुद्ध हो गया, वैसे ही जब तुम ज्ञान अर्जित करते हो, भले ही वह स्थायी रूप से स्मरण न रहे, लेकिन वह तुम्हारी सोच को निर्मल कर देता है, तुम्हारे विचारों को परिष्कृत करता है और तुम्हारे व्यक्तित्व को बेहतर बनाता है।"
ज्ञान का सच्चा प्रभाव
गुरु आगे बोले, "ज्ञान सिर्फ याद रखने के लिए नहीं होता। उसका उद्देश्य है – तुम्हारे चिंतन को विकसित करना, तुम्हारी दृष्टि को व्यापक बनाना और तुम्हारे मन को परिष्कृत करना। जब तुम कोई ग्रंथ पढ़ते हो, तो वह तुम्हारे अवचेतन मन में कहीं न कहीं बस जाता है और समय आने पर तुम्हारी सोच और निर्णयों में परिलक्षित होता है।"
"इसलिए, चिंता मत करो कि तुम्हें सब कुछ याद नहीं रहता। हर बार जब तुम एक पुस्तक पढ़ते हो, तो वह तुम्हारे भीतर एक सूक्ष्म परिवर्तन लाती है, जो तुम्हें पहले से अधिक ज्ञानवान, संवेदनशील और परिपक्व बना देती है। यही पुस्तकें पढ़ने का वास्तविक लाभ है।"
छात्र की आँखों में नई समझ की चमक आ गई। उसने सिर झुकाया और गुरु के चरणों में प्रणाम किया। अब उसे ज्ञान की शक्ति का वास्तविक अर्थ समझ में आ चुका था।
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