चाणक्य नीति, गावो गन्धेन पश्यन्ति वेदैः पश्यन्ति वै द्विजाः का अर्थ और वैज्ञानिक विश्लेषण, भागवत दर्शन, सूरज कृष्ण शास्त्री,
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गावो गन्धेन पश्यन्ति वेदैः पश्यन्ति वै द्विजाः का अर्थ और वैज्ञानिक विश्लेषण |
गावो गन्धेन पश्यन्ति वेदैः पश्यन्ति वै द्विजाः का अर्थ और वैज्ञानिक विश्लेषण
श्लोक:
गावो गन्धेन पश्यन्ति वेदैः पश्यन्ति वै द्विजाः ।
चारै पश्यन्ति राजानश् चक्षुर्भ्याम् इतरे जनाः ॥ ६६ ॥
(अनुवाद):
गायें गंध के माध्यम से देखती हैं, ब्राह्मण वेदों के द्वारा देखते हैं,
राजा गुप्तचरों (जासूसों) के माध्यम से देखते हैं, और अन्य लोग अपनी आँखों से देखते हैं।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से विश्लेषण:
1. गंध से देखना (गायों की घ्राण शक्ति)
- वैज्ञानिक तथ्य: गायों की सूंघने की क्षमता अत्यधिक विकसित होती है। उनका घ्राण-तंत्र (Olfactory System) मनुष्यों की तुलना में कई गुना अधिक संवेदनशील होता है।
- जैविक तंत्र: गायों में ओल्फैक्टरी रिसेप्टर्स (Olfactory Receptors) की संख्या लगभग 800 से अधिक होती है, जबकि मनुष्यों में यह लगभग 400 होती है।
- प्रयोगात्मक प्रमाण: गायें गंध से पानी, चारा, और अपने बछड़े की पहचान कर सकती हैं, यहाँ तक कि वे दूर से ही शिकारी की उपस्थिति भाँप सकती हैं।
- श्लोक की वैज्ञानिक पुष्टि: यह सत्य है कि गायें गंध के माध्यम से चीजों को पहचानती हैं और उनके लिए यह प्राथमिक संवेदन तंत्र है।
2. वेदों से देखना (ज्ञान एवं अध्ययन से देखने की शक्ति)
- वैज्ञानिक दृष्टि: यहाँ "वेदों" का अर्थ गहरे अध्ययन और ज्ञान से लिया जा सकता है।
- मनुष्य की बौद्धिक दृष्टि: न्यूरोसाइंस के अनुसार, गहन अध्ययन और विश्लेषण करने से मस्तिष्क की प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स (Prefrontal Cortex) विकसित होती है, जिससे तर्क शक्ति और भविष्यवाणी की क्षमता बढ़ती है।
- ज्ञान आधारित दृष्टि: विद्वान व्यक्ति मात्र इंद्रियों पर निर्भर नहीं होते, बल्कि वेदों (शास्त्रों) और अध्ययन के माध्यम से गहन विवेक से देखते हैं।
- श्लोक की वैज्ञानिक पुष्टि: यह कथन मनुष्य के अनुभवजन्य ज्ञान (Empirical Knowledge) और अध्ययन के आधार पर सटीक बैठता है।
3. गुप्तचरों से देखना (इंटेलिजेंस और डेटा एनालिटिक्स)
- वैज्ञानिक दृष्टि: आधुनिक युग में भी, गुप्तचर तंत्र (Spy Network) और सूचना विश्लेषण (Data Intelligence) किसी भी शासन तंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है।
- साइबर सुरक्षा एवं जासूसी तंत्र: जैसे कि आज CCTV कैमरे, साइबर इंटेलिजेंस, और गुप्तचर एजेंसियाँ (RAW, CIA, MI6) विभिन्न स्रोतों से जानकारी जुटाकर शासन को सतर्क करती हैं।
- मानव व्यवहार विज्ञान: नेता और प्रशासक प्रत्यक्ष रूप से हर चीज़ को नहीं देख सकते, इसलिए वे प्रॉक्सी ऑब्जर्वेशन (Proxy Observation) द्वारा निर्णय लेते हैं।
- श्लोक की वैज्ञानिक पुष्टि: यह विचार आज की राजनीतिक और प्रशासनिक व्यवस्थाओं में भी लागू होता है, जिससे इसकी सत्यता सिद्ध होती है।
4. आँखों से देखना (सामान्य लोगों की दृष्टि)
- वैज्ञानिक दृष्टि: आम मनुष्य अपनी आँखों के माध्यम से देखकर जानकारी प्राप्त करता है, जो कि एक सामान्य जैविक प्रक्रिया है।
- नेत्र विज्ञान (Optics and Vision Science): मनुष्य की दृष्टि फोटोरिसेप्टर कोशिकाओं (Photoreceptor Cells) - रोड्स और कोन्स (Rods & Cones) पर आधारित होती है, जो प्रकाश और रंगों की पहचान करती हैं।
- ज्ञान की सीमाएँ: सामान्य व्यक्ति अपनी आँखों तक सीमित होता है और गहरी समझ, गंध, या विश्लेषण पर आधारित दृष्टि नहीं रखता।
- श्लोक की वैज्ञानिक पुष्टि: यह सत्य है कि अधिकतर लोग बाह्य इंद्रियों, विशेषकर आँखों पर निर्भर होते हैं और प्रत्यक्ष रूप से देखने को ही सत्य मानते हैं।
निष्कर्ष: पारंपरिक ज्ञान एवं आधुनिक विज्ञान का मेल
- यह श्लोक न केवल दार्शनिक दृष्टि से, बल्कि वैज्ञानिक आधार पर भी पूर्णतः सत्य है।
- इसमें संवेदी तंत्र, ज्ञान आधारित विवेक, जासूसी तंत्र, और प्रत्यक्ष दृष्टि की वैज्ञानिक व्याख्या की गई है।
- यह श्लोक यह भी दर्शाता है कि मनुष्य के देखने (समझने) के स्तर अलग-अलग होते हैं –
- इंद्रियों द्वारा (सामान्य व्यक्ति)
- ज्ञान द्वारा (विद्वान)
- गुप्त सूचनाओं द्वारा (राजा)
- अन्य इंद्रियों के माध्यम से (गायें और अन्य पशु)
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