ओटीटी प्लेटफॉर्म्स और टीवी शोज़ में बढ़ती अश्लीलता एवं विवाद – आंकड़े और विश्लेषण, ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर अश्लीलता और आपत्तिजनक सामग्री के बढ़ते मामले
वर्तमान स्थिति और भविष्य की संभावनाएँ – ओटीटी और टीवी शोज़ में अश्लीलता और सामाजिक प्रभाव |
वर्तमान स्थिति और भविष्य की संभावनाएँ – ओटीटी और टीवी शोज़ में अश्लीलता और सामाजिक प्रभाव
1. ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर अश्लीलता और आपत्तिजनक सामग्री के बढ़ते मामले
18 ओटीटी प्लेटफॉर्म्स प्रतिबंधित:
मार्च 2024 में भारत सरकार ने 18 ओटीटी प्लेटफॉर्म्स, 19 वेबसाइट्स, 10 ऐप्स और 57 सोशल मीडिया अकाउंट्स को अश्लील और आपत्तिजनक सामग्री प्रसारित करने के कारण ब्लॉक कर दिया था।डाउनलोड्स और लोकप्रियता:
इनमें से कुछ प्लेटफॉर्म 1 करोड़ से अधिक डाउनलोड हासिल कर चुके थे और सोशल मीडिया पर लाखों फॉलोअर्स थे।अश्लील सामग्री की वृद्धि:
2022-2023 के दौरान, ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर 40% से अधिक कंटेंट में गालियाँ, हिंसा और बोल्ड दृश्यों की अत्यधिक मात्रा पाई गई।भारतीय दर्शकों की प्राथमिकता:
70% भारतीय दर्शक अब पारिवारिक या नैतिक शिक्षा देने वाले कंटेंट की ओर लौट रहे हैं, लेकिन अधिक व्यूअरशिप के लिए प्लेटफॉर्म्स विवादित कंटेंट बना रहे हैं।
2. टीवी शोज़ में अश्लीलता और टीआरपी की दौड़
रियलिटी शोज़ में बढ़ती गाली-गलौज और झगड़े:
- बिग बॉस और स्प्लिट्सविला जैसे शोज़ में गालियों, व्यक्तिगत हमलों, और लड़ाई-झगड़ों को प्रमोट किया जाता है।
- इन शोज़ में 85% विवादित कंटेंट स्क्रिप्टेड होता है, जो टीआरपी बढ़ाने के लिए बनाया जाता है।
कंट्रोवर्सी के लिए जानबूझकर विवादित कंटेंट:
- रणवीर इलाहाबादिया के ‘इंडियाज गॉट लैटेंट’ शो में माता-पिता के रिश्तों पर अश्लील टिप्पणियाँ की गईं, जिससे समाज में आक्रोश फैला।
- असम में रणवीर और अन्य 5 लोगों पर एफआईआर दर्ज हुई।
सस्ते प्रचार की दौड़:
- कई टीवी शोज़ और ओटीटी वेब सीरीज जानबूझकर धार्मिक, सामाजिक, और नैतिक विवादों को हवा देती हैं ताकि सुर्खियों में आएं।
- उदाहरण के लिए, ‘तांडव’ वेब सीरीज (अमेज़न प्राइम) पर हिंदू देवी-देवताओं का मज़ाक उड़ाने का आरोप लगा था।
3. सोशल मीडिया और इन्फ्लुएंसर्स का प्रभाव
- 50% से अधिक सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स सनसनीखेज़ कंटेंट बनाकर फेम पाना चाहते हैं।
- यूट्यूब और इंस्टाग्राम पर 60% से अधिक वायरल वीडियो में गाली-गलौज, अश्लीलता या भ्रामक जानकारी शामिल होती है।
- "प्रैंक वीडियो" के नाम पर 75% वीडियो अश्लील या अनुचित मज़ाक पर आधारित होते हैं।
4. सरकार और दर्शकों का रुख
सख्त कानून:
- 2021 में भारत सरकार ने ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के लिए "इंटरमीडियरी गाइडलाइंस एंड डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड" लागू किया था, लेकिन उसका पालन सही से नहीं हो रहा।
- मार्च 2024 में सरकार ने 18 ओटीटी प्लेटफॉर्म्स बैन किए, लेकिन अभी भी कई ऐसे प्लेटफॉर्म खुलेआम सक्रिय हैं।
दर्शकों का बदलाव:
- 2024 में 70% भारतीय दर्शकों ने पारिवारिक और शिक्षाप्रद कंटेंट को प्राथमिकता देना शुरू किया।
- "राधाकृष्ण" और "महाभारत" जैसे पौराणिक शोज़ की व्यूअरशिप पिछले 2 वर्षों में 30% बढ़ी है।
5. वर्तमान स्थिति: ओटीटी और टीवी पर विवादित कंटेंट की भरमार
वर्तमान में, भारतीय मनोरंजन उद्योग शॉर्टकट प्रसिद्धि, सनसनीखेज़ कंटेंट, और विवादित सामग्री के सहारे अश्लीलता, हिंसा, और अनैतिकता को बढ़ावा दे रहा है।
(A) ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर अश्लीलता और हिंसा
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बढ़ती बोल्ड वेब सीरीज:
- ‘गंदी बात’, ‘चार्मसुख’, ‘मस्तराम’, ‘XXX’ जैसी वेब सीरीज में 90% कंटेंट सिर्फ अश्लील दृश्यों पर आधारित है।
- ‘मिर्जापुर’, ‘सेक्रेड गेम्स’ जैसी लोकप्रिय वेब सीरीज में गाली-गलौज, हिंसा और अपराध को ग्लोरीफाई किया गया।
- नेटफ्लिक्स और अमेज़न प्राइम जैसी विदेशी ओटीटी कंपनियाँ भी भारतीय समाज के मूल्यों को प्रभावित करने वाले कंटेंट को प्रमोट कर रही हैं।
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सरकार का एक्शन:
- 2024 में सरकार ने 18 ओटीटी प्लेटफॉर्म्स बैन किए, लेकिन कई नए प्लेटफॉर्म अब भी अश्लील कंटेंट परोस रहे हैं।
- IT नियम 2021 के तहत ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को "सेल्फ रेगुलेशन" लागू करने के लिए कहा गया था, लेकिन इसका सही पालन नहीं हो रहा।
(B) टीवी शोज़ में गिरती गुणवत्ता और विवादित सामग्री
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रियलिटी शोज़ में बढ़ते झगड़े और गालियाँ:
- बिग बॉस, रोडीज़, लॉक अप जैसे शोज़ में तेजी से प्रसिद्धि पाने के लिए झगड़े, गालियाँ और फेक कंट्रोवर्सी दिखाई जाती हैं।
- कुछ प्रतिभागी जानबूझकर धार्मिक, सामाजिक या नैतिक मूल्यों पर हमला करते हैं ताकि विवाद खड़ा हो और वे वायरल हो जाएँ।
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टीआरपी की दौड़ में फर्जी ड्रामा:
- न्यूज़ चैनल भी अब मनोरंजन और विवादों को टीआरपी बढ़ाने का हथियार बना रहे हैं।
- कुछ टीवी सीरियल्स में भी परिवारों के अंदर फूट डालने, सास-बहू की राजनीति, और धोखाधड़ी को नॉर्मलाइज़ किया जा रहा है।
6. भविष्य की संभावनाएँ: क्या यह स्थिति बदलेगी?
(A) सकारात्मक संभावनाएँ – बदलाव की उम्मीद
✔ पारिवारिक और नैतिक मूल्यों पर केंद्रित शोज़ की बढ़ती माँग:
- पिछले 2 वर्षों में पौराणिक और ऐतिहासिक कार्यक्रमों की व्यूअरशिप 30% बढ़ी है।
- "रामायण", "महाभारत", "स्वराज", "तन्हाजी", "द केरला स्टोरी" जैसी फिल्में और शोज़ लोकप्रिय हुए।
- लोग अब "हिंसा और अश्लीलता से मुक्त ओटीटी कंटेंट" की मांग कर रहे हैं।
✔ ओटीटी पर सेंसरशिप और कड़े नियम लागू करने की संभावना:
- सरकार भविष्य में "ओटीटी सेंसर बोर्ड" बनाने पर विचार कर सकती है।
- 2025 तक भारत में डिजिटल मीडिया पर अधिक रेगुलेशन लागू किए जाने की संभावना है।
✔ भारतीय निर्माता अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नैतिकता और भारतीय संस्कृति आधारित कंटेंट बना रहे हैं।
- "द कश्मीर फाइल्स" जैसी फिल्में वास्तविक घटनाओं पर आधारित थीं और समाज को जागरूक करने का प्रयास किया।
(B) नकारात्मक संभावनाएँ – खतरे बने रह सकते हैं
❌ यदि दर्शकों ने जागरूकता नहीं दिखाई, तो "बोल्ड और विवादित कंटेंट" का ट्रेंड जारी रहेगा।
- अश्लीलता और हिंसा से जुड़े कार्यक्रमों की अभी भी 50% से अधिक व्यूअरशिप बनी हुई है।
- नए इन्फ्लुएंसर्स, यूट्यूबर्स और ओटीटी क्रिएटर्स फास्ट फेम पाने के लिए सनसनीखेज़ कंटेंट बनाते रहेंगे।
❌ सोशल मीडिया पर फेक न्यूज, अश्लील कंटेंट और विवादास्पद पोस्ट्स बढ़ सकते हैं।
- फेक इन्फ्लुएंसर्स जानबूझकर समाज को बांटने वाले मुद्दों को हवा देंगे।
- बिना किसी रोक-टोक के टीवी शोज़ और वेब सीरीज अश्लीलता और भ्रामक कंटेंट को बढ़ावा देती रहेंगी।
❌ पश्चिमी प्रभाव का बढ़ता असर:
- नेटफ्लिक्स, डिज्नी+ और अमेज़न प्राइम जैसे विदेशी प्लेटफॉर्म भारतीय समाज की नसों को प्रभावित करने वाले कंटेंट परोस सकते हैं।
- "वोक" और "लिबरल" एजेंडा के नाम पर भारतीय मूल्यों पर हमला जारी रह सकता है।
7. समाधान – हम क्या कर सकते हैं?
✔ सार्थक और नैतिक कंटेंट को बढ़ावा दें:
- "रामायण", "महाभारत", "स्वराज", "चाणक्य", और "तुमुली" जैसे अच्छे कार्यक्रमों को देखें और प्रमोट करें।
- आध्यात्मिक, सामाजिक और शिक्षाप्रद कंटेंट पर फोकस करें।
✔ आपत्तिजनक कंटेंट का बहिष्कार करें:
- "गंदी बात", "चार्मसुख", "XXX", "मिर्जापुर" जैसी वेब सीरीज की व्यूअरशिप बंद करें।
- फालतू के विवादों को बढ़ावा देने वाले टीवी शोज़ को न देखें।
✔ सरकार और सेंसरशिप एजेंसियों पर दबाव बनाएं:
- ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर सख्त सेंसरशिप लागू करने की माँग करें।
- टीवी और डिजिटल मीडिया पर नैतिकता और गुणवत्ता बनाए रखने के लिए कड़े नियम बनाए जाएं।
✔ परिवार और बच्चों को सही कंटेंट देखने के लिए प्रेरित करें:
- माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों की स्क्रीन टाइम और देखी जाने वाली सामग्री पर ध्यान दें।
- बच्चों को नैतिक और सकारात्मक कार्यक्रमों की ओर ले जाएं।
8. निष्कर्ष:
टीवी शोज़ और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर तेजी से प्रसिद्धि पाने की होड़ में कंटेंट की गुणवत्ता गिरती जा रही है। विवादित, अश्लील और भ्रामक सामग्री के ज़रिए सिर्फ टीआरपी और व्यूअरशिप बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। सरकार ने कुछ कदम उठाए हैं, लेकिन दर्शकों की जागरूकता और सामाजिक जवाबदेही ही इसे रोक सकती है।
आपका इस विषय पर क्या मत है? क्या आपको लगता है कि सेंसरशिप की ज़रूरत है या दर्शकों को ही जागरूक होना चाहिए?
9. क्या यह बदलाव संभव है?
✔ हाँ, यदि दर्शक जागरूक हों, सरकार सही कदम उठाए, और मीडिया नैतिक ज़िम्मेदारी निभाए, तो भविष्य में सार्थक, शिक्षाप्रद और भारतीय संस्कृति आधारित कंटेंट को प्राथमिकता दी जा सकती है।
❌ लेकिन अगर दर्शक सिर्फ सनसनीखेज़, अश्लील और हिंसक कंटेंट को ही सपोर्ट करते रहेंगे, तो यह समस्या आगे भी बनी रहेगी।
आपका इस विषय पर क्या मत है? क्या आपको लगता है कि भारतीय मनोरंजन इंडस्ट्री को बदलने के लिए दर्शकों को ज्यादा जिम्मेदारी लेनी चाहिए?
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