संस्कृत श्लोक: "गुणिनां निर्गुणानां च दृश्यते महदन्तरम्" का अर्थ और हिन्दी अनुवाद, सुभाषितानि,सुविचार,संस्कृत श्लोक, भागवत दर्शन, सूरज कृष्ण शास्त्री।
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संस्कृत श्लोक: "गुणिनां निर्गुणानां च दृश्यते महदन्तरम्" का अर्थ और हिन्दी अनुवाद |
संस्कृत श्लोक: "गुणिनां निर्गुणानां च दृश्यते महदन्तरम्" का अर्थ और हिन्दी अनुवाद
श्लोक एवं विस्तृत हिन्दी अनुवाद
श्लोक एवं प्रत्येक शब्द का अर्थ
शब्दार्थ:
- गुणिनाम् – गुणवान व्यक्तियों का (संबंध कारक बहुवचन)
- निर्गुणानाम् – निर्गुण अर्थात् गुणहीन व्यक्तियों का (संबंध कारक बहुवचन)
- च – और, तथा
- दृश्यते – देखा जाता है, प्रकट होता है
- महत् – बहुत बड़ा, महान
- अन्तरम् – अंतर, भिन्नता
- हारम् – हार, माला (जो गले में पहनी जाती है)
- कण्ठगतः – गले में स्थित, गले को सुशोभित करने वाला
- स्त्रीणाम् – स्त्रियों का (संबंध कारक बहुवचन)
- नूपुराणि – नूपुर, पायल (जो पैरों में पहनी जाती है)
- च – और, तथा
- पादयोः – पैरों में, दोनों पैरों में (संबंध कारक द्विवचन)
श्लोक का सरल अनुवाद:
गुणी और गुणहीन व्यक्तियों में बहुत बड़ा अंतर देखा जाता है। जैसे कि हार स्त्रियों के गले की शोभा बढ़ाता है, जबकि नूपुर उनके पैरों में स्थित होता है।
विस्तृत हिन्दी अनुवाद:
गुणी (विद्वान, सद्गुणी) व्यक्तियों और निर्गुण (अज्ञानी, सद्गुणों से रहित) व्यक्तियों के बीच बहुत बड़ा अंतर स्पष्ट रूप से देखा जाता है।
इस अंतर को समझाने के लिए एक सुंदर उपमा दी गई है—जिस प्रकार सुंदर स्त्रियों के गले में हार (माला) शोभा पाता है और पैरों में नूपुर (पायल) धारण की जाती है, उसी प्रकार गुणवान व्यक्ति समाज में उच्च स्थान प्राप्त करता है, जबकि गुणहीन व्यक्ति अपेक्षाकृत निम्न स्तर पर होता है।
भावार्थ एवं व्याख्या:
इस श्लोक में यह संदेश निहित है कि गुण ही व्यक्ति के स्थान और प्रतिष्ठा को निर्धारित करते हैं। जिस प्रकार आभूषणों में भी श्रेष्ठता के अनुसार उनका स्थान निश्चित होता है—गले में हार और पैरों में पायल—वैसे ही समाज में भी विद्वान, सद्गुणी, और आचरणवान व्यक्ति को सम्मान प्राप्त होता है, जबकि निर्गुण व्यक्ति को अपेक्षाकृत निम्न स्तर पर देखा जाता है।
यह श्लोक हमें यह भी सिखाता है कि व्यक्ति को सद्गुणों को अपनाना चाहिए, क्योंकि केवल जन्म, धन, या बाह्य सौंदर्य के आधार पर नहीं, बल्कि गुणों के अनुसार ही किसी की प्रतिष्ठा निर्धारित होती है।
प्रेरणादायक संदेश:
- गुण व्यक्ति को ऊँचाई पर ले जाते हैं, जबकि निर्गुणता व्यक्ति को निम्न स्तर पर रखती है।
- जैसे हार गले की शोभा बढ़ाता है और पायल पैरों में रहती है, वैसे ही विद्वान व्यक्ति समाज में श्रेष्ठ स्थान प्राप्त करता है।
- सच्चा सम्मान गुणों से प्राप्त होता है, न कि बाहरी दिखावे से।
अतः हमें सदैव ज्ञान, सद्गुण और अच्छे आचरण को अपनाने का प्रयास करना चाहिए ताकि हम समाज में उच्च स्थान प्राप्त कर सकें।
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