शिवाजी जयंती: भारत के वीर सपूत की जयंती का गौरवशाली पर्व
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शिवाजी जयंती: भारत के वीर सपूत की जयंती का गौरवशाली पर्व |
शिवाजी जयंती: भारत के वीर सपूत की जयंती का गौरवशाली पर्व
शिवाजी जयंती भारत में विशेष रूप से महाराष्ट्र में अत्यंत हर्षोल्लास और गर्व के साथ मनाई जाती है। यह दिवस छत्रपति शिवाजी महाराज के जन्म की स्मृति में मनाया जाता है, जो मराठा साम्राज्य के संस्थापक, एक महान योद्धा, कुशल प्रशासक और भारतीय स्वराज्य के अग्रदूत थे।
शिवाजी महाराज का जीवन परिचय
जन्म और प्रारंभिक जीवन
- जन्म तिथि: 19 फरवरी 1630 (हालांकि कुछ इतिहासकारों के अनुसार 6 अप्रैल 1627 भी माना जाता है)
- जन्म स्थान: शिवनेरी किला, पुणे, महाराष्ट्र
- माता-पिता: माता जीजाबाई और पिता शाहजी भोंसले
- गुरु: संत रामदास
शिवाजी महाराज का पालन-पोषण एक वीर और धार्मिक वातावरण में हुआ। उनकी माता जीजाबाई ने उन्हें रामायण, महाभारत और अन्य हिंदू धर्मग्रंथों की प्रेरणादायक कहानियाँ सुनाईं। इन कथाओं से प्रेरित होकर शिवाजी में न्याय, स्वराज्य और आत्मसम्मान की भावना विकसित हुई।
शिवाजी महाराज के प्रमुख कार्य एवं उपलब्धियाँ
1. स्वराज्य की स्थापना
शिवाजी महाराज ने विदेशी शासकों और आक्रांताओं के शासन से मुक्त होकर एक स्वतंत्र राज्य की स्थापना का संकल्प लिया। उन्होंने 1645 में अपने स्वराज्य की पहली घोषणा की और धीरे-धीरे कई दुर्गों और क्षेत्रों पर विजय प्राप्त की।
2. छापामार युद्धनीति (गुरिल्ला वॉरफेयर)
शिवाजी महाराज की युद्धनीति अभूतपूर्व थी। वे खुले मैदानों में बड़ी सेनाओं से सीधे टकराने के बजाय छापामार युद्ध (गुरिल्ला युद्ध) का उपयोग करते थे। उन्होंने गुप्तचर प्रणाली को मजबूत किया और तेजी से आक्रमण कर शत्रु को हराने की रणनीति अपनाई।
3. दुर्ग नीति (फोर्ट स्ट्रेटेजी)
- रायगढ़ किला: यहीं पर उनका राज्याभिषेक हुआ।
- प्रतापगढ़ किला: जहां उन्होंने अफ़ज़ल खान का वध किया था।
- सिंहगढ़ किला: जहां तानाजी मालुसरे ने वीरगति प्राप्त की।
4. प्रशासनिक सुधार और न्याय व्यवस्था
- एक सुशासन प्रदान करने के लिए उन्होंने अष्टप्रधान मंडल का गठन किया, जिसमें आठ प्रमुख मंत्री थे।
- न्यायप्रिय शासक होने के कारण वे धर्म और जाति के आधार पर भेदभाव नहीं करते थे।
- शिवाजी महाराज ने किसानों और व्यापारियों के कल्याण के लिए नीतियाँ बनाई।
5. नौसेना की स्थापना
शिवाजी महाराज ने भारतीय नौसेना की नींव रखी। उन्होंने कोस्टल गार्ड को मजबूत किया और समुद्री लुटेरों एवं पुर्तगालियों से अपने राज्य की रक्षा की।
6. धार्मिक सहिष्णुता और हिंदवी स्वराज्य
शिवाजी महाराज धार्मिक सहिष्णुता के पक्षधर थे। उन्होंने कभी भी किसी धर्म के खिलाफ युद्ध नहीं किया और मुस्लिम सैनिकों को भी अपनी सेना में उच्च पदों पर नियुक्त किया।
महत्वपूर्ण युद्ध और विजय
1. अफज़ल खान का वध (1659)
आदिलशाही सेना के सेनापति अफज़ल खान ने शिवाजी को धोखे से मारने की योजना बनाई। लेकिन, शिवाजी ने अपनी कुशलता से अफज़ल खान को वध कर दिया और प्रतापगढ़ के युद्ध में शानदार जीत हासिल की।
2. पुरंदर की संधि (1665)
शिवाजी महाराज और औरंगज़ेब के बीच हुए संघर्ष के बाद राजा जय सिंह के नेतृत्व में पुरंदर की संधि हुई। इसके तहत शिवाजी को अपने 23 किले मुगलों को सौंपने पड़े।
3. आगरा कांड (1666)
जब शिवाजी महाराज औरंगज़ेब से मिलने आगरा गए, तब उन्हें धोखे से बंदी बना लिया गया। लेकिन उन्होंने अपनी चतुराई से बंदीगृह से भागकर एक बार फिर स्वराज्य की स्थापना की।
4. मुगलों पर विजय और राज्याभिषेक (1674)
शिवाजी महाराज ने मुगलों को कई बार पराजित किया और 6 जून 1674 को रायगढ़ किले में उनका भव्य राज्याभिषेक हुआ। वे छत्रपति के रूप में स्थापित हुए।
शिवाजी महाराज का निधन और विरासत
शिवाजी जयंती का महत्व और उत्सव
कैसे मनाई जाती है शिवाजी जयंती?
- झांकी एवं शोभायात्राएं – पूरे महाराष्ट्र में शिवाजी महाराज की प्रतिमा के साथ विशाल शोभायात्राएं निकाली जाती हैं।
- भाषण और सांस्कृतिक कार्यक्रम – उनके जीवन से प्रेरित नाटक, भाषण और कवि सम्मेलन आयोजित किए जाते हैं।
- घोषणाएं और सम्मान समारोह – सरकार और विभिन्न संस्थान इस दिन विशेष कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं।
- शिवाजी महाराज की शिक्षाओं का प्रचार – विभिन्न संगठनों द्वारा शिवाजी महाराज के आदर्शों पर चर्चा की जाती है।
शिवाजी महाराज से हमें क्या सीखने को मिलता है?
- स्वतंत्रता और आत्मसम्मान: शिवाजी महाराज ने दिखाया कि किसी भी विदेशी शक्ति के अधीन नहीं रहना चाहिए।
- साहस और नेतृत्व: वे हमेशा अपने सैनिकों के साथ खड़े रहे और उन्होंने व्यक्तिगत रूप से युद्धों में भाग लिया।
- चतुराई और रणनीति: शिवाजी महाराज की युद्धनीति आज भी प्रबंधन और सैन्य रणनीतियों के लिए प्रेरणा देती है।
- धर्मनिरपेक्षता: वे सभी धर्मों का सम्मान करते थे और किसी पर जबरन धर्म परिवर्तन नहीं थोपते थे।
- लोक कल्याण: उन्होंने किसानों, व्यापारियों और आम जनता की भलाई के लिए नीतियाँ बनाईं।
निष्कर्ष
शिवाजी महाराज केवल एक राजा नहीं थे, बल्कि वे एक विचारधारा थे। उनकी शासन नीति, युद्ध कौशल और लोक कल्याणकारी दृष्टिकोण आज भी प्रासंगिक हैं। शिवाजी जयंती सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि उनके आदर्शों को आत्मसात करने का दिन है। हमें उनके दिखाए मार्ग पर चलकर भारत को सशक्त और समृद्ध बनाने का संकल्प लेना चाहिए।
जय भवानी! जय शिवाजी!
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