"महीसुर -महिमा -माला" (हिन्दी अनुवाद–भाग 4), ब्राह्मणों का त्याग और समर्पण,ब्राह्मणों की दिव्यता और शक्ति,ब्राह्मणों की शक्ति से संबंधित प्रचलित कविता
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"महीसुर -महिमा -माला" (हिन्दी अनुवाद – भाग 4) |
"महीसुर -महिमा -माला" (हिन्दी अनुवाद – भाग 4)
50. ब्राह्मणों का त्याग और समर्पण
🔹 थे विप्र सुदामा कृष्ण सखा, निज सखा से मिलने आये जब।
निर्धन थे फिर भी याचना नहीं, भगवान से पग धुलवाए थे।।
(संत सुदामा, जो एक ब्राह्मण थे, भगवान श्रीकृष्ण के सखा थे। निर्धन होते हुए भी उन्होंने कभी याचना नहीं की, बल्कि श्रीकृष्ण ने स्वयं उनके चरण धोकर सम्मान दिया।)
51. ब्राह्मणों की दिव्यता और शक्ति
🔹 जय जय परमात्मा-मुख ब्राह्मण, सृष्टि शरीर के पालक जय।
पृथ्वी के देवता जय ब्राह्मण, विज्ञान ज्ञान संचालक जय।।
(ब्राह्मण, जो परमात्मा के मुखस्वरूप हैं, वे सृष्टि की रक्षा करने वाले, पृथ्वी के देवता और ज्ञान-विज्ञान के संचालक हैं। उनकी जय हो!)
52. ब्राह्मणों की शक्ति से संबंधित प्रचलित कविता
🔹 ब्राह्मण पैठि पाताल छल्यो बलि, ब्राह्मण साठ हजार को जारेउ।
ब्राह्मण सोख समुद्र लियो अरु, ब्राह्मण क्षत्रियों के दल मारेउ।।
(भगवान वामन के रूप में ब्राह्मण ने राजा बलि से संपूर्ण पृथ्वी मांग ली। कपिल मुनि के क्रोध से साठ हजार राजा भस्म हो गए। अगस्त्य मुनि ने समुद्र को सोख लिया, और परशुराम ने अनेक अधर्मी क्षत्रियों का संहार किया।)
53. ब्राह्मणों से बैर न करने का संदेश
🔹 ब्राह्मण लात हनी हरि को, अरु ब्राह्मण तो यदुवंश उजारेउ।
ब्राह्मण से जनि बैर करो कोउ, ब्राह्मण से परमेश्वर हारेउ।।
(भगवान परशुराम ने श्रीकृष्ण को भी अपनी शक्ति दिखाई थी। यदुवंश का अंत करने वाले भी ऋषि ही थे। इसलिए ब्राह्मणों से वैर न करें, क्योंकि उनसे तो स्वयं भगवान भी पराजित हुए हैं।)
54. भगवान राम द्वारा ब्राह्मणों की महिमा
🔹 विप्रप्रसादात् धरणीधरोऽहं, विप्रप्रसादात् कमलावरोऽहं।
विप्रप्रसादात् अजिताजितोऽहं, विप्रप्रसादात् मम राम नाम।।
(भगवान श्रीराम कहते हैं – ब्राह्मणों की कृपा से मैं पृथ्वी का स्वामी बना, लक्ष्मी का पति बना, शत्रुओं को जीतने वाला बना, और मेरा 'राम' नाम अमर हुआ।)
55. निष्कर्ष – ब्राह्मणों का सम्मान करें
🔹 ब्राह्मण को मानव मत समझो, ब्राह्मण भूसुर भगवान हैं।
ज्ञान, धर्म, संस्कृति के रक्षक, ब्राह्मण पूजनीय महान हैं।।
(ब्राह्मण केवल एक सामान्य मानव नहीं, बल्कि वे इस धरती पर देवताओं के समान हैं। वे ज्ञान, धर्म और संस्कृति के रक्षक हैं, और इसलिए पूजनीय हैं।)
🔹 अंतिम संदेश 🔹
🔹 ब्राह्मणों का सम्मान करें, उनके ज्ञान, त्याग और तपस्या का आदर करें।
संस्कृति, धर्म और समाज की रक्षा के लिए ब्राह्मणों का योगदान सदा अमूल्य रहेगा।
🔹 जय ब्राह्मण समाज! जय सनातन धर्म! 🔹
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