"महीसुर -महिमा -माला" (हिन्दी अनुवाद – भाग 3),ब्राह्मणों के द्वारा धार्मिक और सामाजिक संतुलन, ब्राह्मणों के कारण समाज में आर्थिक चक्र चलता है, ब्राह्म
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"महीसुर -महिमा -माला" (हिन्दी अनुवाद – भाग 3) |
"महीसुर -महिमा -माला" (हिन्दी अनुवाद – भाग 3)
32. ब्राह्मणों के द्वारा धार्मिक और सामाजिक संतुलन
🔹 यज्ञों व पूजन कर्मों में, जो वस्तु लगाई जाती है।
व्यापारियों की जीविका चलती, वस्तुएं मंगाई जाती हैं।।
(ब्राह्मणों द्वारा किए गए यज्ञ और पूजन कर्मों में प्रयुक्त वस्तुएँ समाज के विभिन्न व्यापारियों और कारीगरों को रोजगार प्रदान करती हैं।)
33. ब्राह्मणों के कारण समाज में आर्थिक चक्र चलता है
🔹 देवाराधन व तीर्थ भ्रमण, व जन्म मृत्यु संस्कारों में।
फल फूल हवन आरती आदि, सब मिलती है बाजारों में।।
(धार्मिक अनुष्ठानों, तीर्थ यात्राओं, और जीवन के विभिन्न संस्कारों में उपयोग होने वाली सामग्री बाजारों से आती है, जिससे अनेक व्यवसायों को बढ़ावा मिलता है।)
34. ब्राह्मणों द्वारा समाज के हर वर्ग को जोड़ना
🔹 सारी सामग्री की सूची, ब्राह्मण ने ही तो बनवाई।
दोना, पतरी, गगरी, कुचुरी, करई, परई व चारपाई।।
(ब्राह्मणों द्वारा निर्धारित धार्मिक और सामाजिक आयोजनों में विभिन्न प्रकार की वस्तुएँ उपयोग होती हैं, जिनका उत्पादन समाज के विभिन्न वर्गों द्वारा किया जाता है।)
35. विभिन्न व्यवसायों की सहभागिता
🔹 बनिया, तेली व कुंभकार, व बढ़ई, लोहार, सुनारों की।
सबकी उपस्थिति होती यज्ञ में, पट्टीदारों व रिश्तेदारों की।।
(यज्ञ और अन्य धार्मिक आयोजनों में सभी वर्गों के लोग सम्मिलित होते हैं, जिनमें व्यापारी, कुम्हार, बढ़ई, लोहार, सुनार और अन्य कारीगर भी शामिल होते हैं।)
36. समाज के श्रमिक वर्ग की भूमिका
🔹 ब्राह्मण ने ही हर वर्णों को, हर वर्गों को जोड़ा एक साथ।
नाई, धोबी, बढ़ई, कहार, मुसहरा आदि को रखा साथ।।
(ब्राह्मणों ने समाज के हर वर्ण और वर्ग को एक साथ जोड़ा, जिससे सभी को सम्मानपूर्वक कार्य और स्थान प्राप्त हुआ।)
37. व्यवसायों और संस्कारों का अटूट संबंध
🔹 प्रिंटिंग प्रेस में चिट्ठी छपती तो, काम मिलता बांटने वालों को।
सब्जी वालों को काम मिला, पटहारों, चूड़ीवालों को।।
(धार्मिक और सामाजिक आयोजनों के लिए विभिन्न सेवाओं की आवश्यकता होती है, जिससे समाज के अनेक वर्गों को आजीविका मिलती है।)
38. विवाह संस्कार में समाज के विभिन्न वर्गों की भागीदारी
🔹 चूड़ी पहरावें मनिहारिन, डाल डलैइया देय धैकार।
सेंदुर और सिंधौरा पटवा, मठिया, कंगना देत सुनार।।
(विवाह संस्कारों में विभिन्न कारीगर और व्यवसायी अपनी-अपनी भूमिका निभाते हैं, जिससे उनकी जीविका चलती है।)
39. विभिन्न समुदायों की सहभागिता
🔹 माली माला, मौर, फूल दें, कहार द्वारचार उंजियार।
माठा दूध ग्वालवंश दें, माटी के बासन देंय कुम्हार।।
(विवाह और अन्य सामाजिक आयोजनों में फूलवाले, कहार, ग्वाले, और कुम्हार जैसे समुदायों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।)
40. श्रमिक वर्ग का योगदान
🔹 धोबिन आय सुहाग देत हैं, पण्डित नाई करावें व्याह।
भुंजइन देतीं धान कै लावा, पीढ़ा चिरइया बढ़ई लोहार।।
(विवाह संस्कार में धोबी, नाई, पंडित, बढ़ई, लोहार, और अन्य कारीगर अपनी-अपनी सेवाएँ प्रदान करते हैं।)
41. ब्राह्मणों द्वारा समाज को जोड़ने की भूमिका
🔹 पांच सात नौ ग्यारह तेरह, सत्ताइस परजा हकदार।
साया साड़ी सहित ब्लाउज और दक्षिणा के उपहार।।
(सभी सामाजिक और धार्मिक अनुष्ठानों में समाज के अलग-अलग समुदायों की सहभागिता होती है, जिससे सभी को सम्मान और आजीविका प्राप्त होती है।)
42. लोक कलाकारों की सहभागिता
🔹 भांटिन व बृजवासन गावें, पहलवान नट ठोकैं ताल।
देंय आशीष दक्षिणा पांवैं, दोनों पक्ष रहें खुशहाल।।
(ब्राह्मणों द्वारा आयोजित संस्कारों में लोकगायक, पहलवान, और कलाकार भी शामिल होते हैं, जिससे वे भी अपना जीवनयापन कर पाते हैं।)
43. जन्म और मृत्यु संस्कार में सहभागिता
🔹 जन्मसमय में भक्तिन काकी, नारा काटैं साफ करैं जबान।
श्राद्ध में कपास बीज दें धुनिया, भेड़ी कै ऊन गड़रिया जान।।
(जन्म संस्कार में दाई, और मृत्यु संस्कार में धुनिया (रुई धुनने वाले) तथा गड़रिए (ऊन देने वाले) अपनी सेवाएँ प्रदान करते हैं।)
44. समाज में पंडित और नाई की जोड़ी
🔹 पण्डित नाई साथ साथ रह, हर कर्मठ करवाते भाय।
ये समाज को जोड़े रहते, नाऊ व पण्डित महाराज।।
(ब्राह्मण (पंडित) और नाई मिलकर समाज के सभी संस्कारों और धार्मिक कार्यों को संपन्न कराते हैं, जिससे समाज संगठित रहता है।)
45. ब्राह्मणों द्वारा रचित ग्रंथों का महत्व
🔹 ब्राह्मण ने लिखा है मंत्र ग्रंथ, विज्ञान ज्ञान व्याकरणों को।
जिसको समाज के सब पढ़ते, उन ग्रंथ मंत्र प्रकरणों को।।
(ब्राह्मणों ने वेद, शास्त्र, व्याकरण, और विज्ञान संबंधी ग्रंथों की रचना की, जिनसे समस्त समाज लाभान्वित होता है।)
46. ब्राह्मणों के विरोधियों को शिवजी का श्राप
🔹 जब विप्र कै निंदा करें अधमाधम, तब शंकर श्रापत बैठे शिवाला।
इंद्र के वज्र से भी ना मरें, नहीं मार सके मम शूल विशाला।।
(भगवान शिव ने कहा कि जो ब्राह्मणों की निंदा करता है, वह किसी भी अस्त्र-शस्त्र से नहीं मरेगा, बल्कि ब्राह्मण-द्रोह की अग्नि से स्वयं ही जल जाएगा।)
47. ब्राह्मणों के आशीर्वाद से ईश्वर का उत्थान
🔹 दसरथ के कुलगुरु वशिष्ठ, के आशीर्वाद से जन्मे राम।
गुरु संदीपनि से शिक्षित हो, श्रीकृष्ण बन गये भगवान।।
(गुरु वशिष्ठ के आशीर्वाद से भगवान श्रीराम का जन्म हुआ, और संदीपनि ऋषि के शिक्षा देने से श्रीकृष्ण संपूर्ण ज्ञान से युक्त हुए।)
48. ब्राह्मणों द्वारा भारतीय संविधान का आधार
🔹 याज्ञवल्क्य संहिता के विधान से, निर्मित हुआ भारत का संविधान।
दायभाग मिताक्षरा दो भागों से, राजस्व विधान व दण्ड विधान।।
(याज्ञवल्क्य ऋषि द्वारा रचित संहिता के आधार पर भारत के संविधान में विधि और न्याय संबंधी प्रावधान रखे गए हैं।)
49. निष्कर्ष
🔹 ब्राह्मण को मानव मत समझो, ब्राह्मण भूसुर भगवान हैं।
ज्ञान, धर्म, संस्कृति के रक्षक, ब्राह्मण पूजनीय महान हैं।।
(ब्राह्मण केवल एक मानव नहीं, बल्कि वे इस धरती पर देवताओं के समान हैं। वे ज्ञान, धर्म, और संस्कृति के रक्षक हैं और इसलिए पूजनीय हैं।)
🔹 जय ब्राह्मण समाज! जय सनातन धर्म! 🔹
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