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होली पर्व 2025: जाने कब होगा होलिका दहन? तिथि और शुभ मुहूर्त! |
होली पर्व 2025: जाने कब होगा होलिका दहन? तिथि और शुभ मुहूर्त!
होली भारत के प्रमुख पर्वों में से एक है, जिसे रंगों, उल्लास, और आपसी प्रेम-भाव के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व वसंत ऋतु के आगमन का संकेत देता है और फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। वर्ष 2025 में होली का त्योहार 13 और 14 मार्च को मनाया जाएगा।
1. होली की तिथि और पंचांगीय विवेचना
(क) होलिका दहन (13 मार्च 2025, गुरुवार)
होलिका दहन फाल्गुन पूर्णिमा के दिन किया जाता है। यह पूजा बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक मानी जाती है।
- पूर्णिमा तिथि आरंभ: 13 मार्च 2025, सुबह 10:35 बजे
- पूर्णिमा तिथि समाप्त: 14 मार्च 2025, सुबह 08:20 बजे
- होलिका दहन का शुभ मुहूर्त: 13 मार्च 2025, रात्रि 11:26 बजे से 12:30 बजे तक
- भद्रा काल का प्रभाव:
- ज्योतिष के अनुसार, भद्रा में होलिका दहन अशुभ माना जाता है।
- 2025 में भद्रा का समय शाम 06:28 बजे तक रहेगा। इसलिए, इसके बाद ही होलिका दहन किया जाना उचित होगा।
(ख) रंगों की होली (14 मार्च 2025, शुक्रवार)
- इस दिन लोग अबीर-गुलाल और रंगों से एक-दूसरे को रंगते हैं और आनंद मनाते हैं।
- इसे "धूलिवंदन" या "धूलिहंडी" भी कहा जाता है, विशेष रूप से महाराष्ट्र में।
- यह दिन समाज में सद्भाव और प्रेम को बढ़ावा देने का प्रतीक है।
2. होली का पौराणिक और धार्मिक महत्व
(क) होलिका दहन की पौराणिक कथा
होलिका दहन की परंपरा प्रह्लाद, हिरण्यकशिपु और होलिका की कथा से जुड़ी है।
- हिरण्यकशिपु, जो एक असुरराज था, चाहता था कि सभी उसकी पूजा करें। लेकिन उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त था।
- हिरण्यकशिपु ने अपनी बहन होलिका को आदेश दिया कि वह प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाए, क्योंकि उसे अग्नि से जलने का वरदान प्राप्त था।
- लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद बच गए और होलिका जलकर भस्म हो गई।
- इस घटना के उपलक्ष्य में होलिका दहन किया जाता है, जो यह संदेश देता है कि अहंकार और अधर्म का नाश निश्चित है।
(ख) राधा-कृष्ण और ब्रज की होली
- ब्रज में होली को विशेष रूप से मनाया जाता है।
- श्रीकृष्ण और राधा की बरसाने और नंदगांव की लठमार होली प्रसिद्ध है, जिसमें महिलाएँ पुरुषों पर लाठियाँ चलाती हैं।
- मथुरा-वृंदावन में फूलों की होली, रंगों की होली, और धूलिवंदन विशेष रूप से मनाया जाता है।
3. सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व
(क) भारत के विभिन्न राज्यों में होली के प्रकार
भारत के अलग-अलग हिस्सों में होली को भिन्न-भिन्न तरीकों से मनाया जाता है:
(ख) सामाजिक प्रभाव
- होली का पर्व सामाजिक समरसता और भाईचारे को बढ़ावा देता है।
- इस दिन शत्रु भी गले मिलते हैं और पुराने गिले-शिकवे भुला देते हैं।
- विभिन्न संप्रदायों के लोग मिलकर इस पर्व का आनंद उठाते हैं।
4. आध्यात्मिक और मनोवैज्ञानिक पहलू
- होली न केवल एक पर्व है, बल्कि यह मानसिक रूप से भी व्यक्ति को नकारात्मकता से मुक्त करता है।
- रंगों का प्रयोग हमारे मन को प्रसन्न करता है और नई ऊर्जा प्रदान करता है।
- इस पर्व का संबंध सात्विक (शुद्ध) ऊर्जा से है, जो व्यक्ति में सकारात्मकता को बढ़ावा देती है।
- वैज्ञानिक दृष्टि से, होली के समय सूर्य की किरणों का प्रभाव अधिक होता है, जिससे शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है।
5. निष्कर्ष
- होली 2025 में 13 और 14 मार्च को मनाई जाएगी, जिसमें 13 मार्च को होलिका दहन और 14 मार्च को रंगों की होली होगी।
- यह पर्व बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है और आपसी प्रेम एवं सौहार्द को बढ़ावा देता है।
- भारत के विभिन्न हिस्सों में होली के अलग-अलग रूप देखने को मिलते हैं, लेकिन इसका मूल भाव उत्साह, उल्लास और एकता का ही है।
- आध्यात्मिक दृष्टि से यह पर्व व्यक्ति के मन और आत्मा को शुद्ध करने का अवसर प्रदान करता है।
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