"महीसुर -महिमा -माला" (हिन्दी अनुवाद – भाग 2), ब्राह्मणों के द्वारा समाज में एकता,
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"महीसुर -महिमा -माला" (हिन्दी अनुवाद – भाग 2) |
"महीसुर -महिमा -माला" (हिन्दी अनुवाद – भाग 2)
16. ब्राह्मणों के द्वारा समाज में एकता
🔹 ब्राह्मणों ने संस्कार बताया, जिसमें जुटते सर्व समाज।
अपने गुण कर्मों से पूरा, करते उत्सव के हर काज।।
(ब्राह्मणों ने समाज को संस्कारों की शिक्षा दी, जिससे पूरा समाज एकजुट होकर उत्सव और धार्मिक कृत्यों को संपन्न करता है।)
17. ब्राह्मणों का समाज में विशेष स्थान
🔹 सहज व्यवस्था है समाज में, सारा कार्य विप्र अनुसार।
ब्राह्मण ने त्योहार बताया, परजा गण पाते उपहार।।
(समाज की सभी व्यवस्थाएँ ब्राह्मणों के मार्गदर्शन में चलती हैं। ब्राह्मणों द्वारा निर्धारित पर्वों में समाज के सभी वर्गों को उपहार और लाभ प्राप्त होते हैं।)
18. ब्राह्मणों का धर्म और जीविका में योगदान
🔹 सबकी जीविका चलाने में, ब्राह्मणों का योगदान है।
ब्राह्मण को मानव मत समझो, ब्राह्मण भूसुर भगवान है।।
(ब्राह्मणों के कारण समाज में सभी की जीविका चलती है। इसलिए उन्हें मात्र एक मानव नहीं, बल्कि इस धरती पर देवताओं के समान माना जाता है।)
19. ब्राह्मणों के महान संत और ऋषि
🔹 ब्राह्मण वशिष्ठ व संदीपन, व परशुराम अवतारी हैं।
ब्राह्मण दुर्वासा, भृगु, नारद, व शंकराचार्य पुजारी हैं।।
(ऋषि वशिष्ठ, संदीपन और परशुराम जैसे ब्राह्मण अवतारी पुरुष रहे हैं। वहीं, दुर्वासा, भृगु, नारद और शंकराचार्य जैसे ब्राह्मण महान संत और विद्वान रहे हैं।)
20. ब्राह्मणों के यज्ञ से हुआ भगवान का अवतार
🔹 श्रृंगी ऋषि ने जब यज्ञ किया, तब ईश्वर का अवतार हुआ।
क्षत्रियकुल व यदुकुल में, भगवान रूप साकार हुआ।।
(श्रृंगी ऋषि द्वारा किए गए यज्ञ से भगवान श्रीराम का जन्म हुआ और यदुकुल में भगवान श्रीकृष्ण प्रकट हुए।)
21. ब्राह्मणों का त्याग और बलिदान
🔹 ब्राह्मण दधीचि की हड्डी से, वृत्तासुर मारा जाता है।
ब्राह्मण अगस्त की चुल्लू में, सागर का वारि समाता है।।
(दधीचि ऋषि ने अपनी हड्डियाँ दान कर इंद्र को वज्र दिया, जिससे वृत्तासुर का वध हुआ। अगस्त्य मुनि ने अपनी चुल्लू में समुद्र का जल पीकर उसे सोख लिया।)
22. ब्राह्मणों का सम्मान न करने का परिणाम
🔹 ब्राह्मण को चोर कहने से ही, भस्म हो गए साठ हजार।
कामधेनु छुड़ाया ब्राह्मण ने, काटा हजार हाथ हथियार।।
(जब राजा सगर के पुत्रों ने ब्राह्मण कपिल मुनि का अपमान किया, तो वे सभी भस्म हो गए। परशुराम जी ने हजारों क्षत्रियों का संहार किया और धर्म की रक्षा की।)
23. ब्राह्मणों का विज्ञान में योगदान
🔹 शंकराचार्य की वैदिक गणित से, कंप्यूटर का हुआ अनुसंधान।
भारद्वाज के विमान शास्त्र से, वायुयान का हुआ निर्माण।।
(शंकराचार्य की वैदिक गणित से आधुनिक गणना प्रणाली विकसित हुई। भारद्वाज मुनि के विमान शास्त्र ने आधुनिक विमान विज्ञान को जन्म दिया।)
24. ब्राह्मणों को समाज में अग्रणी स्थान
🔹 ब्राह्मण पिछलग्गू नहीं रहे, अग्रज सा सम्मान है।
ब्राह्मण को मानव मत समझो, ब्राह्मण भूसुर भगवान है।।
(ब्राह्मणों को सदैव समाज में अग्रणी स्थान मिला है। वे केवल मानव नहीं, बल्कि देवता स्वरूप हैं।)
25. स्वतंत्रता संग्राम में ब्राह्मणों की भूमिका
🔹 मंगल पांड़े से शुरू हुआ, स्वतंत्रता का संग्राम है।
झांसी रानी लक्ष्मी बाई, ब्राह्मणकुल की अभिमान है।।
(1857 की क्रांति के नायक मंगल पांडे ब्राह्मण थे। झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई भी ब्राह्मण कुल की थीं और वे देश की शान थीं।)
26. ब्राह्मणों का आध्यात्मिक योगदान
🔹 जप तप पूजा पाठ विवाह में, ब्राह्मण सबकै करें जुगाड़।
ब्राह्मण मानव मात्र नहीं है, ब्राह्मण है भूसूर साक्षात।।
(यज्ञ, पूजा, विवाह और अन्य संस्कारों में ब्राह्मण प्रमुख भूमिका निभाते हैं। वे केवल मानव नहीं, बल्कि साक्षात पृथ्वी के देवता हैं।)
27. ब्राह्मणत्व की पहचान
🔹 जन्म से ही जन्मे ब्राह्मण, बनते हैं द्विज संस्कारों से।
विद्या से बनते विप्र देव, त्रय गुण श्रोत्रिय आचारों से।।
(जन्म से ब्राह्मण होने के बावजूद, संस्कारों से ही वे द्विज बनते हैं। विद्या और आचरण से ही वे सच्चे ब्राह्मण कहलाते हैं।)
28. ब्राह्मणों की मंत्र शक्ति
🔹 यह जगत देवता के आधीन, देवता मंत्र आधीन रहें।
हैं मंत्र विप्र आधीन सदा, अतएव ब्राह्मण को देव कहें।।
(संपूर्ण जगत देवताओं के अधीन है, देवता मंत्रों के अधीन हैं, और मंत्र ब्राह्मणों के अधीन होते हैं। इसलिए ब्राह्मण देवता तुल्य माने जाते हैं।)
29. सोलह संस्कारों का महत्व
🔹 जन्म पूर्व से मृत्यु बाद तक, होते हैं सोलह संस्कार।
सुखमय जीवन मोक्ष द्वार तक, ये संस्कार करें उद्धार।।
(ब्राह्मणों द्वारा बताए गए सोलह संस्कार जन्म से मृत्यु तक जीवन को शुभ और मोक्ष तक पहुँचाने वाले होते हैं।)
30. ब्राह्मणों की समाज में भूमिका
🔹 सबकी जीविका चलाने को, रास्ता ब्राह्मण ही बतलाते।
इसलिए ही धर्म सनातन में, ब्राह्मण तो भूसुर कहलाते।।
(समाज में हर व्यक्ति की जीविका को सुचारु रूप से चलाने के लिए ब्राह्मण मार्गदर्शन करते हैं। इसलिए सनातन धर्म में ब्राह्मणों को भूसुर (पृथ्वी के देवता) कहा जाता है।)
31. ब्राह्मणों द्वारा संस्कृति का संरक्षण
🔹 सोलह संस्कारों का महत्व, ब्राह्मण ने ही बतलाया है।
जीवन में सुख व शांत हेतु, ब्राह्मण ने मार्ग दिखाया है।।
(संसार में सुख और शांति के लिए ब्राह्मणों ने सोलह संस्कारों की शिक्षा दी, जो आज भी समाज को श्रेष्ठ मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं।)
🔹 निष्कर्ष 🔹
🔹 जय जय परमात्मा-मुख ब्राह्मण, सृष्टि शरीर के पालक जय।
पृथ्वी के देवता जय ब्राह्मण, विज्ञान ज्ञान संचालक जय।।
(ब्राह्मण सृष्टि के रक्षक, ज्ञान-विज्ञान के प्रचारक और समाज के मार्गदर्शक हैं। जय ब्राह्मण समाज! जय सनातन धर्म!)
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