राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ: ऐतिहासिक और भव्य आयोजन
राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ: ऐतिहासिक और भव्य आयोजन |
राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ: ऐतिहासिक और भव्य आयोजन
11 जनवरी 2025, अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ को हिंदू समाज के लिए एक ऐतिहासिक अवसर के रूप में मनाया गया। तीन दिवसीय 'द्वादशी महोत्सव' ने धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव की परंपराओं को नए आयाम दिए। यह आयोजन न केवल श्रद्धा और भक्ति का केंद्र था, बल्कि अयोध्या के गौरव और रामभक्ति की पराकाष्ठा को भी प्रदर्शित करता है।
मुख्य कार्यक्रम और अनुष्ठान:
11 जनवरी 2025 की सुबह, प्राण प्रतिष्ठा वर्षगांठ का शुभारंभ हुआ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उद्घाटन करते हुए, रामलला की पूजा-अर्चना और विशेष आरती में भाग लिया।
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रामलला का श्रृंगार: रामलला को इस दिन रत्नजड़ित मुकुट और दिव्य वस्त्र धारण कराए गए। उनका श्रृंगार अद्वितीय था, जो गर्भगृह में उपस्थित सभी भक्तों के लिए अद्भुत अनुभव रहा।
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महाभिषेक और महाआरती: सुबह 10 बजे से 12 बजे के बीच, संतों और आचार्यों के नेतृत्व में रामलला का अभिषेक और महाआरती संपन्न हुई। महाआरती में विशेष वैदिक मंत्रोच्चार और शंखध्वनि ने पूरे वातावरण को पवित्र कर दिया।
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हवन और यज्ञ: गर्भगृह के समीप यज्ञ मंडप में विशिष्ट हवन किया गया। यह यज्ञ राष्ट्र, समाज, और संपूर्ण मानवता की समृद्धि और कल्याण के लिए समर्पित था।
धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियां:
तीन दिवसीय 'द्वादशी महोत्सव' के दौरान अयोध्या में धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की भरमार रही।
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धार्मिक अनुष्ठान:
- हनुमान चालीसा का सामूहिक पाठ
- रामायण कथा का वाचन
- विष्णु सहस्रनाम और राम बीज मंत्र जाप
- तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस के सुंदरकांड का पाठ
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सांस्कृतिक कार्यक्रम:
- देशभर के ख्यातिप्राप्त शास्त्रीय गायक और कलाकारों ने मंदिर परिसर में 'राग सेवा' प्रस्तुत की। रामभक्ति के भजनों और शास्त्रीय संगीत ने भक्तों को भावविभोर कर दिया।
- नाट्य मंचन: रामायण की कहानियों पर आधारित नाटकों का प्रदर्शन किया गया। इनमें भगवान राम के आदर्शों और मर्यादाओं को दर्शाया गया।
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विशेष प्रदर्शन:
- शाम के समय अयोध्या के प्रमुख स्थानों पर दीपोत्सव का आयोजन किया गया। हजारों दीपकों की रोशनी से मंदिर परिसर और सरयू नदी का तट अद्वितीय रूप से सज गया।
- रामकथा से प्रेरित झांकियां शहर के विभिन्न हिस्सों में निकाली गईं।
मंदिर और अयोध्या का भव्य श्रृंगार:
इस पावन अवसर पर पूरा अयोध्या नगरी एक पर्व स्थल के रूप में सजा।
- मंदिर का श्रृंगार: राम मंदिर को फूलों, दीपों, और रंगोली से सजाया गया। गर्भगृह में भगवान राम, माता सीता, और उनके अनुजों की प्रतिमाओं का विशेष पूजन किया गया।
- शहर की सजावट: पूरे अयोध्या में रंग-बिरंगी रोशनी की सजावट की गई। हर गली, हर चौक, और हर मंदिर को विशेष रूप से सजाया गया था।
भक्तों की अपार उपस्थिति और सुरक्षा:
- लाखों श्रद्धालु देश के कोने-कोने से अयोध्या पहुंचे।
- मंदिर में दर्शन और पूजा के लिए समय-सारणी निर्धारित की गई थी ताकि हर भक्त को भगवान रामलला के दर्शन का अवसर मिल सके।
- सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए। पुलिस और सुरक्षा बलों ने पूरे शहर में निगरानी रखी।
धार्मिक और ऐतिहासिक महत्ता:
यह वर्षगांठ केवल एक उत्सव नहीं थी, बल्कि यह उस ऐतिहासिक संघर्ष और विजय का स्मरण था, जो वर्षों की प्रतीक्षा के बाद साकार हुआ। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को हिंदू समाज के पुनर्जागरण और सांस्कृतिक उत्थान का प्रतीक माना गया।
- संत समाज की उपस्थिति: प्रमुख संत और महात्माओं ने इस उत्सव में भाग लिया। उनके प्रवचनों में रामकथा की महत्ता और भगवान राम के आदर्शों पर चर्चा की गई।
उत्सव की स्मृतियां:
यह आयोजन अपनी भव्यता, श्रद्धा, और धार्मिकता के लिए लंबे समय तक याद रखा जाएगा। राम मंदिर का यह प्रथम उत्सव हिंदू समाज के लिए गौरव का विषय बना और यह आने वाले वर्षों के लिए एक परंपरा की नींव बन गया।
यह वर्षगांठ केवल अयोध्या तक सीमित नहीं रही, बल्कि पूरे भारत और विश्व के हिंदू समाज ने इसे उल्लास और भक्ति के साथ मनाया।