भागवत सप्ताह के सातवें दिन की कथा।पहला घंटा: श्रीमद्भागवत का सार और भगवान का धर्मस्थापन कार्य।दूसरा घंटा: श्रीकृष्ण का महाप्रयाण और यदुवंश का विनाश...
भागवत सप्ताह के सातवें दिन की कथा
भागवत सप्ताह के सातवें दिन की कथा श्रीमद्भागवत का समापन है, जिसमें मुख्य रूप से श्रीमद्भगवद्गीता का संदेश, श्रीकृष्ण का महाप्रयाण, परीक्षित मोक्ष, और कलियुग की भविष्यवाणी का वर्णन किया जाता है। यह कथा धर्म, भक्ति और मोक्ष का मार्ग दिखाती है। इसे चार घंटे में पढ़ने के लिए व्यवस्थित किया गया है।
पहला घंटा: श्रीमद्भागवत का सार और भगवान का धर्मस्थापन कार्य
1. श्रीमद्भागवत का सार:
- अर्जुन का मोह और श्रीकृष्ण का उपदेश।
- कर्म योग: निःस्वार्थ भाव से कर्म करना।
- भक्ति योग: भगवान के प्रति प्रेम और समर्पण से मोक्ष की प्राप्ति।
- ज्ञान योग: आत्मा और परमात्मा की एकता का ज्ञान।
- संदेश: धर्म का पालन करते हुए निष्काम कर्म और भगवान में विश्वास ही जीवन का सर्वोत्तम मार्ग है।
2. भगवान का धर्मस्थापन कार्य:
- कौरव और पांडवों के बीच धर्मयुद्ध में श्रीकृष्ण का मार्गदर्शन।
- धर्म की स्थापना के लिए अधर्म का अंत।
- संदेश: भगवान का हर कार्य धर्म की रक्षा और भक्तों के कल्याण के लिए होता है।
दूसरा घंटा: श्रीकृष्ण का महाप्रयाण और यदुवंश का विनाश
1. यदुवंश का विनाश:
- यदुवंशियों में अहंकार और कलह का जन्म।
- ऋषियों के श्राप के कारण यदुवंशियों का परस्पर विनाश।
- श्रीकृष्ण ने इसे नियति का हिस्सा मानकर स्वीकार किया।
2. श्रीकृष्ण का महाप्रयाण:
- भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा कि उनका कार्य पूर्ण हो गया है।
- उन्होंने योगमुद्रा में बैठकर पृथ्वी से अपने स्वरूप का विसर्जन किया।
- जरा नामक व्याध द्वारा तीर चलाने की घटना।
- संदेश: भगवान ने यह दर्शाया कि संसार में हर अवतार और देह नश्वर है, केवल आत्मा शाश्वत है।
तीसरा घंटा: परीक्षित मोक्ष और भागवत कथा का महत्व
1. राजा परीक्षित और तक्षक के श्राप की कथा:
- राजा परीक्षित को श्राप मिला कि उन्हें तक्षक सर्प सातवें दिन डसेगा।
- उन्होंने भागवत कथा सुनने का निश्चय किया।
- ऋषि शुकदेव द्वारा श्रीमद्भागवत का प्रवचन।
- संदेश: भागवत कथा सुनने और समझने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
2. परीक्षित का मोक्ष:
- तक्षक द्वारा डसे जाने के बाद परीक्षित ने भगवान का स्मरण किया।
- वे श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन होकर मोक्ष को प्राप्त हुए।
- संदेश: मृत्यु के समय भगवान का स्मरण ही मोक्ष का मार्ग है।
- चौथा घंटा: कलियुग का वर्णन और कथा का समापन
1. कलियुग का आगमन:
- कलियुग के लक्षण: धर्म का पतन, अधर्म का बढ़ना, सत्य, तप, दया और शुद्धता का ह्रास।
- कलियुग में भागवत कथा और हरि नाम की महिमा।
- संदेश: कलियुग में भगवान का नाम ही मोक्ष का सबसे सरल साधन है।
2. कथा का महत्व:
- भागवत कथा को सुनने और समझने से सभी पापों का नाश होता है।
- यह भक्ति, धर्म, और मोक्ष का मार्ग दिखाती है।
3. कथा का समापन:
- श्रीमद्भागवत का पाठ करते हुए भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित होकर भक्तों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- कथा सुनने वाले और सुनाने वाले सभी को भगवान का अनुग्रह प्राप्त होता है।
भागवत सप्ताह के सातवें दिन की कथा का सार:
1. धर्म का पालन: श्रीमद्भगवद्गीता और श्रीकृष्ण की लीलाओं से धर्म और भक्ति का मार्ग मिलता है।
2. मृत्यु का स्वागत: राजा परीक्षित ने मृत्यु को भागवत कथा सुनते हुए स्वीकार किया और मोक्ष प्राप्त किया।
3. कलियुग में भक्ति का महत्व: कलियुग में भगवान के नाम का स्मरण और भागवत कथा ही मोक्ष का सरल मार्ग है।
संदेश:
भागवत कथा का उद्देश्य आत्मा और परमात्मा के मिलन का मार्ग दिखाना है। यह हमें जीवन में धर्म, भक्ति और मोक्ष की ओर प्रेरित करती है। भागवत सप्ताह के सातवें दिन की कथा(4 घंटे में) को श्रद्धा और भक्ति के साथ पढ़ा जा सकता है।
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