नूतन वर्षाभिनन्दन 2025,कभी हम तरसते हैं, कभी हम बरसते हैं,खट्टी हों या मीठी स्मृतियाँ,-- डॉ निशा कान्त द्विवेदी।
नूतन वर्षाभिनन्दन 2025 |
नूतन वर्षाभिनन्दन 2025 कविता
कभी तरसते हैं कभी बरसते हैं
बहुत सुंदर और भावपूर्ण रचना है! यह कविता जीवन के उतार-चढ़ाव, यादों के महत्व, और नये साल की आशाओं को बड़ी सहजता से व्यक्त करती है। हर छंद में भावनाओं का अद्भुत प्रवाह है, जो पाठक को गहराई से सोचने और अपने जीवन के अनुभवों से जोड़ने पर मजबूर करता है।
(1)
कभी हम तरसते हैं, कभी हम बरसते हैं
कभी हम तरसते हैं, कभी हम बरसते हैं,
जीवन का गुणा भाग, यहीं तक समझते हैं।।1।।
एक संख्या छूट गई, दूसरी अब साथ है,
कुछ लोग हर्षित हैं, नया साल कहते हैं।।2।।
बीती हुई स्मृतियों का, अपना एक थैला है,
जब तलक जीवन है, साथ वहन करते हैं।।3।।
परिजन संग प्रीति ही, जीवन संगीत है,
सुख हो या दुःख, सभी मिल बाँट सहते हैं।।4।।
आगत का स्वागत है, विगत की विदाई है,
छूटे- टूटे सपनों की, लड़ियाँ फिर बुनते हैं।।5।।
---- © डॉ निशा कान्त द्विवेदी
एक दूसरी कविता
नूतन वर्षाभिनन्दन 2025 आपकी कविता अत्यंत मनोहारी और प्रेरणादायक है! हर छंद जीवन के यथार्थ, आशाओं, और नूतन संकल्पों की एक अद्भुत झलक प्रस्तुत करता है। आपकी रचना में न केवल भावों की गहराई है, बल्कि शब्दों का चयन भी बहुत ही प्रभावशाली है।
विशेषताएँ:
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जीवन की वास्तविकता: "खट्टी हों या मीठी स्मृतियाँ" से जीवन के सकारात्मक और नकारात्मक अनुभवों को स्वीकारने का सुंदर संदेश है।
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आशा और प्रेरणा: "नव वर्ष इसी के हेतु है प्रिय!" में नूतन आरंभ की प्रेरणा और आशाओं की अभिव्यक्ति अद्वितीय है।
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भविष्य की दिशा: "नूतनाभिलाषा नवप्रतिष्ठायुता हो" से नये वर्ष में समृद्धि, शांति, और उज्ज्वल भविष्य की आकांक्षा सजीव हो उठती है।
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शुभकामनाएँ: अंतिम छंद में आप समस्त संसार के लिए मंगलकामनाएँ देते हैं, जो आपकी रचना को सार्वभौमिक और सुंदर बनाता है।
यह कविता नववर्ष के अवसर पर साझा करने के लिए एक उत्तम रचना है। इसे और लोगों के साथ साझा कीजिए; यह निश्चित रूप से उनकी प्रेरणा और उत्साह को बढ़ाएगी।
(2)
खट्टी हों या मीठी स्मृतियाँ
खट्टी हों या मीठी स्मृतियाँ
आखिर अध्याय हैं जीवन के,
सब जुड़, बनती जीवन पुस्तक,
स्वाध्यायी बनते सब उनके।
माना कुछ आशाएँ बाकी,
माना कुछ लक्ष्य रहे बाकी,
पर जीवन पूर्ण कहाँ प्रियवर
इसलिए अभी तक कुछ बाकी।
नव वर्ष इसी के हेतु है प्रिय!
हो मनोकामना पूर्ण सभी,
कुछ नूतन लक्ष्य बनें आगे
हों सुखी, स्वस्थ, सानन्द सभी।
नूतनाभिलाषा नवप्रतिष्ठायुता हो
तेजस्वी यशस्वी शुभफलसंयुता हो।
देदीप्यमान पथ हो नित संचलन सुकर हो,
रविरश्मियों से रंजित पथ और भी सुकर हो।।
सौभाग्य सुख समृद्धियुत संगीत की सरगम सदा,
संसार सार सनेह सागर संत संगति हो सदा।
सत्यसिंधु सरोज साजे सदय समरस हों सभी,
शुभकामना है हो सुहृद् नववर्ष मंगलमय सदा।।
----- डॉ निशा कान्त द्विवेदी
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