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कर्ता कारक (Karta Karaka) |
कर्ता कारक (Karta Karaka)
कर्ता कारक संस्कृत व्याकरण में पहला कारक और क्रिया का सबसे महत्वपूर्ण सहायक तत्व है। यह वह शब्द है, जो क्रिया को स्वतंत्र रूप से करता है और वाक्य का प्रमुख कारक माना जाता है।
कर्ता कारक की परिभाषा:
-
पाणिनि के अनुसार:
"स्वतन्त्रः कर्ता" (अष्टाध्यायी 1.4.54)
इसका अर्थ है:"जो क्रिया को स्वतंत्र रूप से करता है, वही कर्ता है।"
-
सरल परिभाषा:
वाक्य में वह पद (शब्द) जो यह बताता है कि क्रिया कौन कर रहा है, उसे कर्ता कारक कहते हैं।
कर्ता कारक की विशेषताएँ:
-
स्वतंत्र क्रिया संपादन:
- कर्ता वह होता है, जो क्रिया को स्वतंत्र रूप से संपन्न करता है।
- उदाहरण:
- रामः गच्छति। (राम जाता है)
- यहाँ रामः स्वतंत्र रूप से 'जाने' की क्रिया कर रहा है।
- रामः गच्छति। (राम जाता है)
-
विभक्ति का प्रयोग:
- कर्ता हमेशा प्रथमा विभक्ति (nominative case) में होता है।
- यह वाक्य में क्रिया के साथ संबंध बनाता है।
-
कर्ता के बिना क्रिया अधूरी:
- वाक्य में कर्ता का अभाव वाक्य को अपूर्ण बना सकता है।
- उदाहरण:
- रामः गच्छति। (राम जाता है)
- यदि "रामः" हटा दिया जाए, तो यह स्पष्ट नहीं होगा कि "कौन जा रहा है।"
- रामः गच्छति। (राम जाता है)
पाणिनि के अनुसार कर्ता की भूमिका:
पाणिनि के व्याकरण में कर्ता को वाक्य का मुख्य आधार माना गया है।
-
कर्तव्यकर्ता:
- कर्ता वाक्य में क्रिया का संपादक है।
- क्रिया का प्रकार कर्ता की प्रकृति पर निर्भर करता है।
-
विभक्ति निर्धारण:
- कर्ता की पहचान प्रथमा विभक्ति द्वारा होती है।
कर्ता कारक के उदाहरण:
वाक्य | क्रिया (Verb) | कर्तृ कारक (Subject) |
---|---|---|
रामः गच्छति। | गच्छति (जाता है) | रामः |
गौः चरति। | चरति (चरती है) | गौः |
बालकः क्रीडति। | क्रीडति (खेलता है) | बालकः |
मुनिः तपः करोति। | करोत (करता है) | मुनिः |
कृषकः क्षेत्रं कर्षति। | कर्षति (जोतता है) | कृषकः |
कर्ता के अन्य रूप:
कर्ता के विभिन्न रूप विभक्ति और लिंग के आधार पर बदलते हैं।
उदाहरण:
विभक्ति | एकवचन (Singular) | द्विवचन (Dual) | बहुवचन (Plural) |
---|---|---|---|
प्रथमा | रामः (पुरुष) | रामौ | रामाः |
सीता (स्त्री) | सीते | सीताः | |
फलम् (नपुंसक) | फले | फलानि |
कर्तृ और अन्य कारकों का अंतर:
कारक | प्रमुख प्रश्न | उदाहरण |
---|---|---|
कर्तृ | कौन? | रामः गच्छति। |
कर्म | क्या? | रामः पुस्तकं पठति। |
करण | किसके द्वारा? | रामः हस्तेन लिखति। |
कर्ता के विशेष संदर्भ:
- कर्ता केवल व्यक्ति ही नहीं, बल्कि किसी भी जड़ या चेतन वस्तु को दर्शा सकता है, जो क्रिया का कर्ता हो।
- उदाहरण:
- वायुः चलति। (हवा चलती है)
- सूर्यः उदयते। (सूर्य उदय होता है)
- उदाहरण:
कर्ता कारक की सारणी (चार्ट)
वाक्य | क्रिया (Verb) | कर्तृ कारक (Subject) |
---|---|---|
रामः गच्छति। | गच्छति (जाता है) | रामः |
गौः चरति। | चरति (चरती है) | गौः |
बालकः क्रीडति। | क्रीडति (खेलता है) | बालकः |
मुनिः तपः करोति। | करोत (करता है) | मुनिः |
कृषकः क्षेत्रं कर्षति। | कर्षति (जोतता है) | कृषकः |
पक्षी वृक्षे उपविष्टः। | उपविष्टः (बैठा है) | पक्षी |
सूर्यः उदयते। | उदयते (उदय होता है) | सूर्यः |
पवनः चलति। | चलति (चलता है) | पवनः |
सीता गृहे पठति। | पठति (पढ़ती है) | सीता |
गजः नदीजलं पिबति। | पिबति (पीता है) | गजः |
स्पष्टीकरण:
- प्रत्येक वाक्य में कर्ता को अंडरलाइन किया गया है, जो वाक्य में क्रिया का स्वतंत्र संपादन करता है।
- कर्ता हमेशा प्रथमा विभक्ति में होता है और वाक्य का मुख्य विषय होता है।
सारांश:
कर्ता कारक वाक्य का वह अनिवार्य तत्व है, जो क्रिया को स्वतंत्र रूप से संपन्न करता है। इसका प्रयोग प्रथमा विभक्ति में होता है और यह क्रिया के आधार पर वाक्य का मुख्य विषय (subject) बनता है।