अनुसंधान की समस्या या उद्देश्य की पहचान (Identification of Research Problem/Objective)

SOORAJ KRISHNA SHASTRI
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यह चित्र अनुसंधान समस्या या उद्देश्य की पहचान को दर्शाता है। इसमें एक शोधकर्ता को ध्यान और समर्पण के साथ समस्या पर काम करते हुए दिखाया गया है, जिसमें प्रकाशमान बल्ब 'ईureka' पल का प्रतीक है। यह अनुसंधान प्रक्रिया में स्पष्टता और फोकस के महत्व को खूबसूरती से प्रस्तुत करता है।

यह चित्र अनुसंधान समस्या या उद्देश्य की पहचान को दर्शाता है। इसमें एक शोधकर्ता को ध्यान और समर्पण के साथ समस्या पर काम करते हुए दिखाया गया है, जिसमें प्रकाशमान बल्ब 'ईureka' पल का प्रतीक है। यह अनुसंधान प्रक्रिया में स्पष्टता और फोकस के महत्व को खूबसूरती से प्रस्तुत करता है।



 अनुसंधान की समस्या या उद्देश्य की पहचान (Identification of Research Problem/Objective) अनुसंधान प्रक्रिया का पहला और सबसे महत्वपूर्ण चरण है। यह वह बिंदु है जहां शोधकर्ता यह निर्धारित करता है कि उसका अनुसंधान किस विषय, घटना या समस्या पर किया जाएगा। एक स्पष्ट और व्यवस्थित अनुसंधान समस्या या उद्देश्य के बिना, शोध प्रक्रिया का मार्गदर्शन करना मुश्किल हो सकता है। अनुसंधान की समस्या की पहचान करते समय यह आवश्यक होता है कि वह समस्या न केवल शोधकर्ता के लिए प्रासंगिक हो, बल्कि उस समस्या का समाधान भी समाज या किसी विशेष क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण हो।

अनुसंधान समस्या की पहचान के प्रमुख तत्व:

  1. समस्या का चुनाव:

    • अनुसंधान की समस्या का चुनाव करते समय यह सुनिश्चित किया जाता है कि यह समस्या वास्तविक दुनिया से जुड़ी हुई हो और यह समाधान योग्य हो। शोधकर्ता को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि चुनी गई समस्या में शोध करने से किसी नए ज्ञान का विकास हो सके।
    • समस्या का चयन व्यावहारिक और सैद्धांतिक रूप से दोनों महत्वपूर्ण होना चाहिए। उदाहरण के लिए, एक शिक्षा समस्या हो सकती है "शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों के शैक्षिक प्रदर्शन में अंतर"।
  2. समस्या का उद्देश्य (Research Objective):

    • अनुसंधान उद्देश्य वह मार्गदर्शन होता है, जो यह बताता है कि अनुसंधान का उद्देश्य क्या है। यह उद्देश्य स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाता है, ताकि शोधकर्ता को यह पता चले कि अनुसंधान के दौरान वह किस दिशा में जा रहा है।
    • उद्देश्य आम तौर पर अनुसंधान के सवाल का उत्तर देने या किसी विशेष परिकल्पना (hypothesis) का परीक्षण करने के लिए निर्धारित किया जाता है। उदाहरण: "शहरी और ग्रामीण छात्रों के शैक्षिक प्रदर्शन में अंतर के कारणों का अध्ययन करना"।
  3. समस्या की व्याख्या (Problem Definition):

    • समस्या की पहचान करने के बाद, इसे स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाता है। इसका अर्थ है कि शोधकर्ता को यह स्पष्ट रूप से समझना चाहिए कि वह किस समस्या का समाधान करने की कोशिश कर रहा है।
    • समस्या की व्याख्या में उस विषय के संदर्भ, इसकी जटिलताओं और इसके प्रभावों का वर्णन किया जाता है। यह शोध की दिशा को स्पष्ट करता है।
  4. समस्या का महत्व (Importance of the Problem):

    • अनुसंधान की समस्या का चयन करते समय यह भी ध्यान में रखा जाता है कि यह समस्या समाज, विज्ञान, उद्योग या किसी अन्य क्षेत्र में कितनी महत्वपूर्ण है। समस्या का महत्व यह निर्धारित करता है कि अनुसंधान के परिणामों से किस प्रकार के लाभ हो सकते हैं।
    • उदाहरण: यदि कोई शोध जलवायु परिवर्तन पर है, तो इसके परिणाम पर्यावरणीय नीति निर्माण के लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं।
  5. समस्या की उपयुक्तता (Feasibility of the Problem):

    • अनुसंधान की समस्या का चयन करते समय यह भी देखा जाता है कि क्या समस्या को हल करना या उसका अध्ययन करना संभव है। इसके लिए आवश्यक संसाधन, समय, और डेटा की उपलब्धता का आकलन किया जाता है।
    • उदाहरण: "ग्रामीण इलाकों में शिक्षा की गुणवत्ता पर अध्ययन करना" यदि शोधकर्ता के पास सही संसाधन और डेटा एकत्र करने के तरीके हैं, तो यह समस्या उपयुक्त होगी।
  6. समस्या की नईता (Novelty of the Problem):

    • अनुसंधान की समस्या का चयन करते समय यह देखा जाता है कि यह समस्या पहले से कितनी अध्ययन की गई है और क्या इसमें कोई नई दिशा, विचार या समस्या है, जिस पर पहले कम ध्यान दिया गया हो।
    • अनुसंधान में नई समस्याओं की पहचान करने से उस क्षेत्र में नए विचारों और समाधानों का मार्ग प्रशस्त होता है।

अनुसंधान समस्या का चुनाव कैसे करें:

  1. वर्तमान स्थिति और समाज की आवश्यकता का अध्ययन:

    • अनुसंधान समस्या का चुनाव करते समय समाज की वर्तमान समस्याओं, जरूरतों और मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उदाहरण के लिए, पर्यावरण, स्वास्थ्य, शिक्षा, और समाज में हो रहे बदलावों के बारे में सोचें।
  2. पूर्व के अनुसंधान का मूल्यांकन:

    • यह समझने के लिए कि किसी क्षेत्र में पहले से क्या काम हुआ है, शोधकर्ता को पिछले अनुसंधान का अध्ययन करना चाहिए। इससे यह समझने में मदद मिलती है कि किस क्षेत्र में और किस प्रकार के अनुसंधान की आवश्यकता है।
  3. स्वयं की रुचि और विशेषज्ञता:

    • शोधकर्ता को उस विषय का चुनाव करना चाहिए जिसमें उसकी रुचि हो और वह जिस क्षेत्र में विशेषज्ञता रखता हो। इससे अनुसंधान प्रक्रिया में प्रेरणा और समर्पण बना रहता है।
  4. समस्या का दायरा:

    • अनुसंधान समस्या का दायरा उचित होना चाहिए। यह न तो बहुत व्यापक होना चाहिए, ताकि शोधकर्ता इसे पूरा न कर सके, और न ही बहुत संकीर्ण हो, ताकि इससे कोई सार्थक निष्कर्ष प्राप्त हो सके।

अनुसंधान की समस्या के उदाहरण:

  1. शिक्षा: "विभिन्न प्रकार की शिक्षण विधियों का छात्रों के शैक्षिक प्रदर्शन पर प्रभाव"।

  2. स्वास्थ्य: "भारत में तंबाकू सेवन के कारण होने वाली बीमारियों का अध्ययन और इसके रोकथाम के उपाय"।

  3. पर्यावरण: "जलवायु परिवर्तन के कारणों का विश्लेषण और इसके पर्यावरणीय प्रभावों का मूल्यांकन"।

  4. समाजशास्त्र: "शहरीकरण और पारंपरिक परिवार संरचनाओं पर इसके प्रभाव का अध्ययन"।

निष्कर्ष:

अनुसंधान की समस्या या उद्देश्य की पहचान अनुसंधान प्रक्रिया का पहला और सबसे महत्वपूर्ण चरण है। यह चरण शोध की दिशा निर्धारित करता है और यह सुनिश्चित करता है कि अनुसंधान को सही मार्ग पर ले जाया जाए। एक स्पष्ट और उपयुक्त अनुसंधान समस्या न केवल शोधकर्ता के लिए सहायक होती है, बल्कि समाज, उद्योग, या विज्ञान के लिए भी सार्थक परिणाम उत्पन्न कर सकती है।

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