An artistic depiction illustrating the history of the Dollar and Rupee. The image features two sides_ one showcasing the evolution of the Dollar with. |
डॉलर और रुपये का इतिहास (Dollar and Rupee History) - विस्तार से
1. डॉलर का इतिहास (History of the Dollar):
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उद्गम और नाम का अर्थ:
- "डॉलर" शब्द का मूल "थैलर" (Thaler) से है, जो 16वीं सदी में मध्य यूरोप में प्रयुक्त एक चांदी का सिक्का था। यह जर्मन शब्द "जोआखिमस्टाल" (Joachimsthal) से निकला है, जिसका अर्थ है "जोआखिम की घाटी।"
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अमेरिकी डॉलर का उदय:
- 1792 में अमेरिकी "कॉइनज एक्ट" (Coinage Act) के तहत डॉलर को अमेरिका की आधिकारिक मुद्रा घोषित किया गया।
- शुरुआत में, चांदी और सोने पर आधारित सिक्के चलते थे। धीरे-धीरे कागजी मुद्रा का प्रचलन हुआ।
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सोने का मानक (Gold Standard):
- 1873 में अमेरिकी डॉलर को सोने के मानक से जोड़ा गया, जिससे डॉलर की अंतरराष्ट्रीय विश्वसनीयता बढ़ी।
- 1971 में राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन के शासन में सोने के मानक को समाप्त किया गया, और डॉलर "फिएट करेंसी" (Fiat Currency) बन गया।
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डॉलर का वैश्विक प्रभाव:
- द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, अमेरिकी डॉलर को अंतरराष्ट्रीय व्यापार में प्रमुख मुद्रा का दर्जा मिला। 1944 के ब्रेटन वुड्स समझौते ने इसे "रिजर्व करेंसी" बनाया।
2. रुपये का इतिहास (History of the Rupee):
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नाम का मूल:
- "रुपया" शब्द संस्कृत शब्द "रूप्यक" से आया है, जिसका अर्थ "चांदी का सिक्का" है। इसका उपयोग पहली बार 6वीं सदी ईसा पूर्व में भारत में हुआ था।
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प्राचीन भारत में रुपया:
- प्राचीन भारत में चांदी, सोने और तांबे के सिक्के चलते थे। "महाजनपद" काल (600 ईसा पूर्व) में सिक्कों का उपयोग बढ़ा।
- मौर्य काल में सिक्के अधिक संगठित हुए। चांदी के सिक्के "कार्षापण" और तांबे के सिक्के प्रचलित थे।
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मुगल काल में रुपया:
- 1540 में शेरशाह सूरी ने "रुपया" का चलन शुरू किया। यह चांदी का सिक्का 11.66 ग्राम वजन का होता था।
- मुगल शासन के दौरान रुपया पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में प्रमुख मुद्रा बना।
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ब्रिटिश काल:
- ब्रिटिश राज के दौरान 1835 में "ईस्ट इंडिया कंपनी" ने एकरूपता लाने के लिए आधुनिक रुपया पेश किया।
- 1862 में विक्टोरिया का चित्र वाला रुपया जारी किया गया।
- 1935 में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की स्थापना हुई और रुपया ब्रिटिश शासकों की देखरेख में छपने लगा।
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स्वतंत्रता के बाद:
- 1947 के बाद, भारतीय रुपया स्वतंत्र भारत की आधिकारिक मुद्रा बना।
- पहले चांदी आधारित रुपये चलते थे। 1957 में इसे "दशमलव प्रणाली" (Decimal System) में परिवर्तित किया गया।
- 1991 में आर्थिक सुधारों के बाद, रुपया अधिक वैश्विक हो गया। अब यह पूरी तरह से "फ्लोटिंग करेंसी" है।
3. डॉलर और रुपये का संबंध:
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विनिमय दर का विकास:
- 1947 में 1 अमेरिकी डॉलर की कीमत 1 भारतीय रुपया थी।
- 1991 के आर्थिक संकट के बाद भारतीय रुपये का अवमूल्यन हुआ, और डॉलर-रुपये की विनिमय दर बढ़ने लगी।
- आज, डॉलर और रुपया का संबंध विदेशी मुद्रा बाजार (Forex Market) और अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर आधारित है।
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आर्थिक प्रभाव:
- डॉलर को वैश्विक व्यापार में इस्तेमाल किया जाता है, जिससे इसका मूल्य भारतीय रुपये की तुलना में अधिक स्थिर रहता है।
- रुपये का मूल्य भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिरता, व्यापार संतुलन, और वैश्विक कारकों पर निर्भर करता है।
4. महत्वपूर्ण घटनाएं:
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डॉलर के लिए:
- ब्रेटन वुड्स सिस्टम (1944) ने डॉलर को प्रमुख मुद्रा बनाया।
- सोने का मानक समाप्त होने के बाद डॉलर "फ्लोटिंग करेंसी" बन गया।
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रुपये के लिए:
- 1991 के आर्थिक सुधारों ने रुपये को "मुक्त व्यापार प्रणाली" में लाया।
- भारतीय रिजर्व बैंक रुपये की स्थिरता बनाए रखने के लिए विभिन्न कदम उठाता है।
5. डिजिटल युग में परिवर्तन:
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डिजिटल डॉलर:
- क्रिप्टोकरेंसी और डिजिटल पेमेंट सिस्टम में डॉलर का उपयोग बढ़ा है।
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डिजिटल रुपया:
- 2022 में भारतीय रिजर्व बैंक ने डिजिटल करेंसी (CBDC) की घोषणा की, जो रुपया का डिजिटल संस्करण है।
डॉलर और रुपये का इतिहास उनकी आर्थिक और सांस्कृतिक यात्रा का प्रतीक है, जो विभिन्न युगों में बदलते राजनीतिक और व्यापारिक संदर्भों को दर्शाता है।
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