ऋग्वेद का सप्तम मंडल: विस्तृत विवरण

SOORAJ KRISHNA SHASTRI
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ऋग्वेद का सप्तम मंडल: विस्तृत विवरण

सप्तम मंडल ऋग्वेद का महत्वपूर्ण भाग है, जिसे मुख्य रूप से वसिष्ठ मंडल कहा जाता है। यह मंडल वैदिक यज्ञ, देवताओं की स्तुति, और सामाजिक, धार्मिक तथा दार्शनिक दृष्टिकोण का अद्भुत समन्वय है। सप्तम मंडल का अधिकांश भाग महर्षि वसिष्ठ और उनके वंशजों द्वारा रचित है।


सप्तम मंडल की विशेषताएँ

  1. सूक्तों की संख्या:

    • कुल 104 सूक्त।
  2. देवताओं का वर्णन:

    • मुख्य देवता: इन्द्र, वरुण, अग्नि, मरुत, और सोम।
    • अन्य देवता: अश्विनीकुमार, वायु, सूर्य, और आदित्य।
  3. ऋषि:

    • मुख्य ऋषि: महर्षि वसिष्ठ
    • अन्य ऋषि: वसिष्ठ के वंशज।
  4. छंद:

    • प्रमुख छंद: त्रिष्टुभ, जगती, और अनुष्टुभ।
  5. विषय-वस्तु:

    • देवताओं की स्तुति।
    • यज्ञ और धर्म का महत्व।
    • प्रकृति और सृष्टि के विभिन्न रूपों का वर्णन।
    • समाज में नैतिकता और सत्य का आदर्श।

सप्तम मंडल के प्रमुख विषय

  1. इन्द्र की स्तुति:

    • इन्द्र की वीरता और उनकी सहायता से दैत्यों और शत्रुओं का नाश।
    • इन्द्र को देवताओं का राजा और यज्ञों के रक्षक के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
  2. वरुण देव की महिमा:

    • वरुण को नैतिकता, सत्य, और ऋत (सत्य और विश्व व्यवस्था) का देवता माना गया है।
    • वरुण की शक्ति और उनके न्यायप्रिय स्वभाव का उल्लेख।
  3. अग्नि का महत्व:

    • अग्नि को यज्ञ और पूजा का माध्यम बताया गया है।
    • अग्नि देव की पवित्रता और ऊर्जा का वर्णन।
  4. सोम रस का वर्णन:

    • सोम रस को अमृत और ऊर्जा का प्रतीक माना गया है।
    • इसे यज्ञ में देवताओं को अर्पित करने का महत्व।
  5. मरुतगण:

    • मरुतों की शक्ति और ऊर्जा का वर्णन।
    • उन्हें वायु और तूफान के देवता के रूप में पूजा गया है।
  6. सामाजिक और धार्मिक दृष्टिकोण:

    • यज्ञ और धर्म के माध्यम से समाज की नैतिकता और समृद्धि को बढ़ावा।
    • परिवार, समाज, और राष्ट्र की समृद्धि के लिए धर्म का पालन।

सप्तम मंडल के प्रमुख सूक्त

1. इन्द्र सूक्त:

  • देवता: इन्द्र।
  • विषय: इन्द्र की वीरता और उनके संरक्षण की महिमा।
  • उदाहरण:
    • इन्द्रं वृत्रहं हुवे।
      (हम इन्द्र का आह्वान करते हैं, जो वृत्र का संहारक हैं।)

2. वरुण सूक्त:

  • देवता: वरुण।
  • विषय: सत्य और ऋत के पालन में वरुण की भूमिका।
  • उदाहरण:
    • वरुणः पथः सुवतु।
      (वरुण सभी पथों का संचालन करें।)

3. अग्नि सूक्त:

  • देवता: अग्नि।
  • विषय: यज्ञ में अग्नि की भूमिका।
  • उदाहरण:
    • अग्ने त्वं नः सुगतानि कृणु।
      (हे अग्नि! हमें अच्छे मार्ग प्रदान करो।)

4. मरुत सूक्त:

  • देवता: मरुतगण।
  • विषय: मरुतों की शक्ति और उनकी ऊर्जा।
  • उदाहरण:
    • मरुतो वीर्यं वर्धयन्तु।
      (मरुतगण हमारी शक्ति बढ़ाएँ।)

5. सोम सूक्त:

  • देवता: सोम।
  • विषय: यज्ञ में सोम रस का महत्व।
  • उदाहरण:
    • सोमं राजा वरुणः पिबतु।
      (सोम रस को वरुण और अन्य देवता पिएँ।)

सप्तम मंडल का महत्व

  1. धार्मिक दृष्टि:

    • यज्ञ और धर्म के महत्व को स्थापित करता है।
    • इन्द्र, वरुण, और अग्नि जैसे प्रमुख देवताओं की स्तुति।
  2. प्रकृति का सम्मान:

    • प्राकृतिक तत्वों जैसे जल, वायु, अग्नि, और सूर्य के प्रति आदर भाव।
  3. सामाजिक दृष्टि:

    • धर्म और यज्ञ के माध्यम से समाज में नैतिकता और सत्य की स्थापना।
  4. आध्यात्मिक दृष्टि:

    • आत्मा और परमात्मा के संबंध पर प्रकाश।
    • यज्ञ और साधना के माध्यम से आत्मज्ञान की प्राप्ति।
  5. सृष्टि और प्राकृतिक संतुलन:

    • प्रकृति के तत्वों के महत्व और उनकी भूमिका का वर्णन।

प्रेरणा:

  1. यज्ञ और धर्म का महत्व:

    • यज्ञ और धर्म के माध्यम से समाज और व्यक्ति के कल्याण की प्रेरणा।
  2. प्रकृति का सम्मान:

    • जल, वायु, अग्नि, और पृथ्वी जैसे प्राकृतिक तत्वों के प्रति आदर भाव।
  3. देवताओं की स्तुति:

    • देवताओं की पूजा और उनके महत्व को समझने की शिक्षा।
  4. आध्यात्मिक साधना:

    • यज्ञ और साधना के माध्यम से आत्मा और परमात्मा का मिलन।

उपसंहार:

ऋग्वेद का सप्तम मंडल वैदिक धर्म, यज्ञ परंपरा, और सामाजिक व्यवस्था का गहरा विवेचन प्रस्तुत करता है। इसमें धर्म, प्रकृति, और समाज के महत्व को दर्शाते हुए आत्मज्ञान और ब्रह्मांडीय ऊर्जा के प्रति श्रद्धा व्यक्त की गई है। यह मंडल मानव जीवन में धर्म, प्रकृति, और सामाजिक संतुलन का आदर्श प्रस्तुत करता है।

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