### **पुर्तगाली ईसाई और गोवा: धर्मांतरण, शासन और प्रभाव** --- ### 1. गोवा में पुर्तगाली ईसाईयों का आगमन #### **1.1 पुर्तगाली शासन की स्थापना** - **
यह चित्र औपनिवेशिक काल के दौरान गोवा में ईसाई मिशनरियों द्वारा आक्रामक धर्मांतरण का एक ऐतिहासिक दृश्य प्रस्तुत करता है। |
1. गोवा में पुर्तगाली ईसाईयों का आगमन
1.1 पुर्तगाली शासन की स्थापना
- पुर्तगालियों का भारत आगमन:1498 में वास्को द गामा के भारत आगमन के साथ पुर्तगाली साम्राज्य ने भारत में अपने व्यापारिक हितों को स्थापित करना शुरू किया।
- गोवा पर कब्ज़ा:1510 में अफोंसो डी अल्बुकर्क ने गोवा पर कब्ज़ा किया और इसे पुर्तगाली साम्राज्य का प्रमुख व्यापारिक और सांस्कृतिक केंद्र बनाया।
- धार्मिक उद्देश्य:व्यापार के साथ-साथ ईसाई धर्म के प्रचार को भी पुर्तगाली शासन का एक प्रमुख लक्ष्य बनाया गया। गोवा को "पूर्व का रोम" कहा जाने लगा।
1.2 ईसाई धर्म के प्रचार की नींव
- मिशनरियों की भूमिका:जेसुइट्स, डॉमिनिकन्स, और फ्रांसिस्कन्स जैसे धार्मिक आदेशों ने गोवा में चर्चों की स्थापना और धर्मांतरण अभियानों की शुरुआत की।
- शासकीय संरक्षण:पुर्तगाली प्रशासन ने ईसाई धर्म के प्रचार के लिए मिशनरियों को हर संभव सहयोग दिया। चर्च को आर्थिक और राजनीतिक समर्थन प्रदान किया गया।
2. गोवा की जांच प्रक्रिया (Goa Inquisition)
2.1 गोवा इनक्विजिशन की स्थापना
- शुरुआत:1560 में गोवा इनक्विजिशन की स्थापना की गई। इसका उद्देश्य स्थानीय हिंदुओं, मुसलमानों, और यहूदियों को ईसाई धर्म में परिवर्तित करना था।
- कार्यान्वयन:इसे पुर्तगाली धार्मिक अधिकारियों द्वारा संचालित किया गया, जिसमें धर्मांतरण से इनकार करने वालों को दंडित किया जाता था।
2.2 इनक्विजिशन की कठोर नीतियाँ
- गैर-ईसाई धर्मों पर प्रतिबंध:हिंदू त्योहारों, पूजा स्थलों, और धार्मिक अनुष्ठानों पर सख्त प्रतिबंध लगाए गए।
- धर्मांतरण का दबाव:
- स्थानीय लोगों को ईसाई धर्म अपनाने के लिए मजबूर किया गया।
- मंदिरों को गिरा कर उनकी जगह चर्च बनाए गए।
- सज़ाएँ:धर्मांतरण से इनकार करने वालों को जेल, शारीरिक दंड, या निर्वासन की सजा दी जाती थी।
2.3 सांस्कृतिक और धार्मिक प्रभाव
- गोवा में परंपरागत हिंदू समाज पर व्यापक प्रभाव पड़ा।
- कई हिंदू परिवार अपनी धार्मिक पहचान बचाने के लिए गोवा से पलायन कर गए।
- हिंदू परंपराओं को दबाकर ईसाई धर्म की प्रथाओं को बढ़ावा दिया गया।
3. गोवा में धर्मांतरण की प्रक्रिया
3.1 धर्मांतरण के साधन और रणनीतियाँ
- शिक्षा और चिकित्सा का उपयोग:
- मिशनरियों ने स्कूलों और अस्पतालों की स्थापना की।
- गरीब और वंचित समुदायों को शिक्षा और चिकित्सा सुविधाएँ देकर धर्मांतरण के लिए प्रोत्साहित किया गया।
- प्रलोभन:
- करों में छूट, आर्थिक सहायता, और उच्च सामाजिक स्थिति का वादा किया गया।
- धर्मांतरण करने वालों को सरकारी पदों और विशेषाधिकारों का लाभ दिया गया।
3.2 प्रभावित समुदाय
- आदिवासी और वंचित वर्ग:
- धर्मांतरण मुख्य रूप से वंचित और दलित वर्गों में केंद्रित था।
- इन समुदायों को सामाजिक समानता और गरिमा प्रदान करने का वादा किया गया।
- स्थानीय समुदायों का प्रतिरोध:
- कई स्थानीय समूहों ने धर्मांतरण का विरोध किया और अपनी सांस्कृतिक पहचान बचाने के लिए संघर्ष किया।
4. गोवा में पुर्तगाली शासन का प्रभाव
4.1 धार्मिक प्रभाव
- गोवा में सैकड़ों चर्च और धार्मिक स्थलों का निर्माण हुआ।
- प्रमुख चर्च: बेसिलिका ऑफ बॉम जीसस, सेंट कैथेड्रल।
- ईसाई धर्म गोवा की प्रमुख धार्मिक पहचान बन गया।
4.2 सांस्कृतिक प्रभाव
- पुर्तगाली भाषा और संगीत:
- कोंकणी भाषा में पुर्तगाली शब्दों का समावेश हुआ।
- गोवा का संगीत और नृत्य पुर्तगाली प्रभाव से समृद्ध हुआ।
- वास्तुकला:
- चर्च और सरकारी इमारतें पुर्तगाली वास्तुकला की उत्कृष्ट उदाहरण हैं।
4.3 सामाजिक प्रभाव
- ईसाई धर्म अपनाने वालों को समाज में उच्च स्थान दिया गया।
- जाति प्रथा को समाप्त करने की कोशिश की गई, लेकिन धर्मांतरित ईसाइयों के बीच भी जातिगत भेदभाव बना रहा।
- ईसाई धर्म ने महिलाओं और गरीबों के उत्थान के लिए काम किया।
5. विवाद और आलोचना
5.1 धार्मिक उत्पीड़न
- गोवा इनक्विजिशन ने हिंदू, मुस्लिम और यहूदी धर्मों के अनुयायियों को कठोर दंड दिया।
- धार्मिक ग्रंथों को नष्ट किया गया और पूजा स्थलों को गिराया गया।
5.2 सांस्कृतिक विनाश
- गोवा की स्थानीय परंपराओं और रीति-रिवाजों को खत्म करने का प्रयास किया गया।
- पुर्तगाली शासन ने गोवा की सांस्कृतिक पहचान को पश्चिमी मॉडल में बदलने का प्रयास किया।
5.3 धर्मांतरण की आलोचना
- बल और प्रलोभन के माध्यम से धर्मांतरण की नीतियाँ विवाद का कारण बनीं।
- कई स्थानीय लोग अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान बचाने के लिए पलायन करने पर मजबूर हुए।
6. गोवा की स्वतंत्रता और पुर्तगाली शासन का अंत
6.1 भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में गोवा
- 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद भी गोवा पुर्तगाली नियंत्रण में रहा।
- गोवा मुक्ति आंदोलन ने पुर्तगाली शासन के खिलाफ संघर्ष किया।
6.2 ऑपरेशन विजय
- 1961 में भारतीय सेना ने "ऑपरेशन विजय" के माध्यम से गोवा को पुर्तगाली शासन से मुक्त कराया।
- गोवा भारत का हिस्सा बना और यहां लोकतांत्रिक शासन स्थापित हुआ।
6.3 गोवा की सांस्कृतिक पुनर्स्थापना
- गोवा में धार्मिक और सांस्कृतिक पुनर्जागरण हुआ।
- हिंदू और ईसाई समुदायों के बीच समन्वय बढ़ा।
- गोवा एक प्रमुख पर्यटन स्थल बन गया, जहां इसकी पुर्तगाली और भारतीय विरासत स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है।
संदर्भ
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- Pearson, M. N. The Portuguese in India (Cambridge University Press, 1987).
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- Xavier, Francis. Letters and Instructions of St. Francis Xavier (Various Editions).
- Scholberg, Henry. Bibliography of Goa and the Portuguese in India (New Delhi: Promilla, 1982).
- Pinto, Pius Malekandathil. Goa and the Early Modern World (Oxford University Press, 2008).
- Priolkar, A. K. The Goa Inquisition (Bombay University Press, 1961).
- Teotonio R. de Souza. Medieval Goa: A Socio-Economic History (Concept Publishing Company, 1979).
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