कर्ता कारक (प्रथमा विभक्ति)

SOORAJ KRISHNA SHASTRI
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कर्ता कारक (प्रथमा विभक्ति)
कर्ता कारक (प्रथमा विभक्ति)

 

कर्तृ कारक का परिचय

संस्कृत व्याकरण में कर्तृ कारक (कर्ता) का प्रमुख स्थान है। यह वाक्य के उस घटक को सूचित करता है जो स्वतंत्र रूप से किसी क्रिया को करता है। पाणिनि ने अष्टाध्यायी में कर्ता को परिभाषित करने, उसका स्वरूप और विभक्ति के प्रयोग को समझाने के लिए कई सूत्र दिए हैं।


कर्तृ कारक की परिभाषा (सूत्र: स्वतन्त्रः कर्ता - 2.3.46):

स्वतन्त्रः कर्ता
जो क्रिया को स्वतंत्र रूप से करता है, वह कर्ता कहलाता है। यह वाक्य में मुख्य भूमिका निभाता है और इसे प्रथमा विभक्ति के माध्यम से व्यक्त किया जाता है।

उदाहरण:

  • रामः पठति। (राम पढ़ रहा है।)
    यहाँ 'रामः' स्वतंत्र रूप से 'पढ़ने' की क्रिया कर रहा है, इसलिए यह कर्ता है।

कर्तृ कारक की पहचान:

  1. कर्ता वाक्य का वह हिस्सा होता है जो "कौन?" या "क्या?" प्रश्न का उत्तर देता है।

    • उदाहरण:
      • रामः वनं गच्छति। (कौन जाता है? - रामः।)
      • गौः तृणं चरति। (कौन चरता है? - गौः।)
  2. कर्ता का स्वरूप प्रातिपदिक, लिंग, वचन और परिमाण के अनुसार तय होता है।


कर्तृ कारक और प्रथमा विभक्ति (सूत्र: प्रातिपदिकार्थलिङ्गपरिमाणवचनमात्रे प्रथमा - 2.3.46):

अर्थ:
प्रातिपदिक के अर्थ, उसके लिंग, संख्या (परिमाण), और वचन के अनुसार कर्ता को प्रथमा विभक्ति में रखा जाता है।

स्पष्टीकरण:

  • प्रातिपदिक:
    कर्ता के रूप का मूल आधार प्रातिपदिक है।

    • उदाहरण:
      • प्रातिपदिक: राम
      • कर्ता: रामः (पुल्लिंग)
      • क्रिया के अनुसार: गच्छति (जाता है)।
  • लिंग:
    कर्ता का लिंग (पुल्लिंग, स्त्रीलिंग, या नपुंसकलिंग) क्रिया और विभक्ति को प्रभावित करता है।

    • उदाहरण:
      • रामः गच्छति। (पुल्लिंग)
      • गौः चरति। (स्त्रीलिंग)
      • फलम् पतति। (नपुंसकलिंग)
  • परिमाण (संख्या):
    कर्ता की संख्या (एकवचन, द्विवचन, बहुवचन) के अनुसार क्रिया और कर्ता का रूप बदलता है।

    • उदाहरण:
      • गौः चरति। (एक गाय)
      • गावौ चरतः। (दो गायें)
      • गावः चरन्ति। (कई गायें)

कर्तृ कारक के प्रयोग:

  1. कर्तृ और क्रिया का संबंध:
    कर्ता वाक्य में क्रिया को स्वतंत्र रूप से करता है और क्रिया का स्वरूप कर्ता के लिंग, वचन और संख्या के अनुसार बदलता है।

    • उदाहरण:
      • रामः पठति। (राम पढ़ता है।)
      • रामौ पठतः। (दो राम पढ़ते हैं।)
      • रामाः पठन्ति। (कई राम पढ़ते हैं।)
  2. कर्तृ और अन्य कारकों का भेद:

    • कर्ता स्वतंत्र होता है, जबकि अन्य कारक (कर्म, करण आदि) क्रिया को सिद्ध करने में सहायक होते हैं।
    • उदाहरण:
      • रामः पुस्तकं पठति। (राम पुस्तक पढ़ता है।)
        • 'रामः' कर्ता है (स्वतंत्र)।
        • 'पुस्तकं' कर्म है (क्रिया का परिणाम)।

विभक्ति रूप: "गौः" (कर्तृ स्त्रीलिंग में):

विभक्ति एकवचन द्विवचन बहुवचन
प्रथमा (कर्ता) गौः गावौ गावः
द्वितीया (कर्म) गाम् गावौ गाः
तृतीया (करण) गवा गोभ्याम् गोभिः
चतुर्थी (सम्प्रदान) गवे गोभ्याम् गोभ्यः
पञ्चमी (अपादान) गोः गोभ्याम् गोभ्यः
षष्ठी (सम्बंध) गोः गवोः गवाम्
सप्तमी (अधिकरण) गवि गवोः गोषु
संबोधन (आमंत्रण) हे गौः हे गावौ हे गावः

उदाहरण:

  1. गौः तृणं चरति। (गाय घास खा रही है। - एकवचन)
  2. गावौ तृणं चरतः। (दो गायें घास खा रही हैं। - द्विवचन)
  3. गावः तृणं चरन्ति। (कई गायें घास खा रही हैं। - बहुवचन)

कर्तृ कारक और अन्य पाणिनीय सूत्र:

  1. लकार और कर्ता का संबंध (3.1.68):

    • लकार (क्रिया के काल और प्रकार) का स्वरूप कर्ता के अनुसार बदलता है।
    • उदाहरण:
      • रामः गच्छति। (वर्तमान काल)
      • रामः अगच्छत्। (भूतकाल)
      • रामः गमिष्यति। (भविष्यकाल)
  2. कर्तरि शप् (3.1.68):

    • जब कर्ता प्रधान हो, तो धातु में "शप्" प्रत्यय जोड़ा जाता है।
    • उदाहरण:
      • पठ् + शप् = पठति। (पढ़ता है।)

कर्ता कारक चार्ट 


वाक्य (Sentence) कर्तृ (Karta) क्रिया (Verb) वचन (Number)
रामः पठति। रामः पठति एकवचन
सीता गच्छति। सीता गच्छति एकवचन
गौः तृणं चरति। गौः चरति एकवचन
बालकः क्रीडति। बालकः क्रीडति एकवचन
विद्यार्थी पुस्तकं लिखति। विद्यार्थी लिखति एकवचन
गजः जलं पिबति। गजः पिबति एकवचन
सूर्यः उदयति। सूर्यः उदयति एकवचन
कृषकः क्षेत्रं कर्षति। कृषकः कर्षति एकवचन
मातृका अन्नं पचति। मातृका पचति एकवचन
शिष्यः गुरोः वचनं शृणोति। शिष्यः शृणोति एकवचन
गावौ तृणं चरतः। गावौ चरतः द्विवचन
रामौ वनं गच्छतः। रामौ गच्छतः द्विवचन
बालकौ क्रीडतः। बालकौ क्रीडतः द्विवचन
गौः तृणं चरति। गौः चरति एकवचन
रामाः पाठं पठन्ति। रामाः पठन्ति बहुवचन
गावः तृणं चरन्ति। गावः चरन्ति बहुवचन
विद्यार्थिनः पाठं पठन्ति। विद्यार्थिनः पठन्ति बहुवचन
कृषकाः क्षेत्रं कर्षन्ति। कृषकाः कर्षन्ति बहुवचन
सूर्यः तपति। सूर्यः तपति एकवचन
सीता फलं खादति। सीता खादति एकवचन

इस तालिका में कर्ता को अंडरलाइन कर दिया गया है, ताकि उसे आसानी से पहचाना जा सके। 

निष्कर्ष:

  • कर्तृ कारक वाक्य का मुख्य तत्व है, जो क्रिया को स्वतंत्र रूप से करता है।
  • कर्ता को प्रथमा विभक्ति में व्यक्त किया जाता है।
  • पाणिनि के सूत्र "स्वतन्त्रः कर्ता" और "प्रातिपदिकार्थलिङ्गपरिमाणवचनमात्रे प्रथमा" के आधार पर कर्ता का स्वरूप, उसका लिंग, वचन, और परिमाण निर्धारित होते हैं।
  • संस्कृत में कर्ता और क्रिया का गहन संबंध है, और यह व्याकरण का मूल आधार है।

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