ऋग्वेद का नवम मंडल: विस्तृत विवरण

SOORAJ KRISHNA SHASTRI
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ऋग्वेद का नवम मंडल: विस्तृत विवरण

नवम मंडल ऋग्वेद के दस मंडलों में से एक है, जो पूरी तरह से सोम देवता को समर्पित है। इसे सोम मंडल कहा जाता है। यह मंडल यज्ञ में सोम रस के महत्व, उसकी पवित्रता, और देवताओं को अर्पित करने की विधि पर केंद्रित है। नवम मंडल का एक विशेष स्थान है क्योंकि इसमें आध्यात्मिकता और यज्ञ परंपरा का गहन विवरण मिलता है।


नवम मंडल की विशेषताएँ

  1. सूक्तों की संख्या:

    • कुल 114 सूक्त।
  2. देवता:

    • सोम देवता इस मंडल के प्रमुख देवता हैं।
    • सोम को अमृत, ऊर्जा, और दिव्यता का प्रतीक माना गया है।
  3. ऋषि:

    • इस मंडल के सूक्त विभिन्न ऋषियों द्वारा रचित हैं।
    • प्रमुख ऋषि: कश्यप, अंगिरस, और वसिष्ठ।
  4. छंद:

    • मुख्य छंद: त्रिष्टुभ, गायत्री, और जगती।
  5. विषय-वस्तु:

    • यज्ञ में सोम रस का महत्व।
    • सोम रस की उत्पत्ति और उसके आध्यात्मिक गुण।
    • देवताओं को सोम रस अर्पित करने की विधि।

नवम मंडल के प्रमुख विषय

  1. सोम रस का महत्व:

    • सोम रस को अमृत और दिव्य पेय कहा गया है।
    • यह देवताओं को अर्पित किया जाता है और उन्हें शक्ति व ऊर्जा प्रदान करता है।
    • सोम रस को आध्यात्मिक शुद्धि और आत्मज्ञान का माध्यम भी माना गया है।
  2. सोम रस की उत्पत्ति:

    • सोम पौधे से रस निकालने की प्रक्रिया का वर्णन।
    • इसे यज्ञ के माध्यम से शुद्ध और पवित्र बनाया जाता है।
  3. सोम और देवता:

    • सोम रस को इन्द्र, अग्नि, वरुण, मरुत, और अन्य देवताओं को अर्पित किया जाता है।
    • देवता सोम रस को पीकर अपनी शक्ति और ऊर्जा को बढ़ाते हैं।
  4. यज्ञ में सोम रस:

    • यज्ञ की प्रक्रिया में सोम रस का केंद्रीय स्थान है।
    • इसे विभिन्न चरणों में देवताओं को अर्पित किया जाता है।
  5. आध्यात्मिकता:

    • सोम रस को आत्मा और परमात्मा के बीच के संबंध को समझने का माध्यम माना गया है।
    • यह मानव मन को शुद्ध और जागरूक बनाता है।

नवम मंडल के प्रमुख सूक्त

1. सोम सूक्त:

  • देवता: सोम।
  • विषय: सोम रस का महत्व और उसकी दिव्यता।
  • उदाहरण:
    • सोमः पवते जनिता मतीनां।
      (सोम पवित्र है और बुद्धि का जन्मदाता है।)

2. इन्द्र और सोम:

  • देवता: इन्द्र और सोम।
  • विषय: इन्द्र और सोम के बीच के संबंध का वर्णन।
  • उदाहरण:
    • इन्द्राय सोममिन्द्रियं।
      (सोम इन्द्र को शक्ति प्रदान करता है।)

3. सोम की स्तुति:

  • देवता: सोम।
  • विषय: सोम की महिमा और उसके आध्यात्मिक गुण।
  • उदाहरण:
    • सोमं पवित्रं कृतमिन्द्रस्य।
      (सोम को इन्द्र के लिए पवित्र बनाया गया है।)

4. सोम की शुद्धि:

  • देवता: सोम।
  • विषय: सोम रस को शुद्ध और पवित्र बनाने की प्रक्रिया।
  • उदाहरण:
    • सोमं पवित्रं हरिणं कृतानि।
      (पवित्र सोम रस को शुद्ध किया गया है।)

5. सोम और यज्ञ:

  • देवता: सोम।
  • विषय: यज्ञ में सोम रस का उपयोग और उसका महत्व।
  • उदाहरण:
    • सोमः यज्ञेषु वर्धते।
      (सोम रस यज्ञों में समृद्ध होता है।)

नवम मंडल का महत्व

  1. धार्मिक दृष्टि:

    • यज्ञ और धर्म में सोम रस के केंद्रीय स्थान को स्थापित करता है।
    • सोम रस की स्तुति के माध्यम से देवताओं की पूजा।
  2. आध्यात्मिक दृष्टि:

    • सोम रस को आत्मा की शुद्धि और परमात्मा से जुड़ने का माध्यम माना गया है।
    • यह मंडल ध्यान और साधना के महत्व को भी रेखांकित करता है।
  3. प्राकृतिक संतुलन:

    • सोम पौधे और उसके महत्व को प्रकृति के साथ संतुलन बनाए रखने का प्रतीक बताया गया है।
  4. वैज्ञानिक दृष्टि:

    • सोम रस निकालने और उसे शुद्ध करने की प्रक्रिया का वर्णन प्राचीन वैज्ञानिक दृष्टिकोण को दर्शाता है।

प्रेरणा:

  1. यज्ञ और धर्म का महत्व:

    • नवम मंडल हमें सिखाता है कि यज्ञ और धर्म के माध्यम से शुद्धता और दिव्यता प्राप्त की जा सकती है।
  2. आध्यात्मिक शुद्धि:

    • सोम रस को आत्मा और परमात्मा के बीच के संबंध को समझने का माध्यम मानते हुए, यह मंडल आत्मज्ञान की प्रेरणा देता है।
  3. प्रकृति का सम्मान:

    • सोम पौधे और उसके महत्व के माध्यम से प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करता है।
  4. देवताओं की स्तुति:

    • देवताओं के साथ आत्मीय संबंध और उनकी शक्ति का महत्व।

उपसंहार:

ऋग्वेद का नवम मंडल पूरी तरह से सोम देवता की स्तुति और यज्ञ में उनके महत्व पर केंद्रित है। यह मंडल हमें यज्ञ, धर्म, और आध्यात्मिकता के मूल सिद्धांतों की समझ प्रदान करता है। सोम रस, जो पवित्रता और ऊर्जा का प्रतीक है, के माध्यम से यह मंडल आत्मा और परमात्मा के संबंध को उजागर करता है।

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