लुट् लकार (सामान्य भविष्यकाल - आदेशात्मक उद्देश्य)
लुट् लकार (सामान्य भविष्यकाल - आदेशात्मक उद्देश्य)
लुट् लकार संस्कृत व्याकरण में भविष्यकालीन आदेश, उद्देश्य, या निश्चित कार्य को व्यक्त करता है। इसका उपयोग तब किया जाता है जब भविष्य में किसी कार्य के होने की योजना हो या उस कार्य को करने के लिए निर्देश दिया जाए।
यह लृट् लकार (सामान्य भविष्यकाल) से भिन्न है, क्योंकि लुट् लकार आदेश और निर्देश का भाव अधिक स्पष्ट रूप से व्यक्त करता है।
लुट् लकार के लक्षण
-
भविष्यकालीन आदेश और उद्देश्य:
- यह उस क्रिया को व्यक्त करता है, जिसे भविष्य में होना है और जो आदेश या उद्देश्य के साथ की जाएगी।
- उदाहरण: रामः पाठं पठिता। (राम पाठ पढ़ेगा।)
-
भविष्यकाल में निश्चितता:
- यह लकार क्रिया की भविष्यकालीन निश्चितता को व्यक्त करता है।
-
परस्मैपद और आत्मनेपद:
- परस्मैपद: जब कार्य कर्ता द्वारा किया जाता है।
- आत्मनेपद: जब कार्य का प्रभाव कर्ता पर या अन्य पर होता है।
लुट् लकार के प्रत्यय
परस्मैपद:
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
---|---|---|---|
प्रथम पुरुष | -ता | -तारौ | -तारः |
मध्यम पुरुष | -तासि | -तास्थः | -तास्थ |
उत्तम पुरुष | -तास्मि | -तास्वः | -तास्मः |
लुट् लकार के उदाहरण
पठ् धातु (पढ़ना):
परस्मैपद के रूप:
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
---|---|---|---|
प्रथम पुरुष | पठिता | पठितारौ | पठितारः |
मध्यम पुरुष | पठितासि | पठितास्थः | पठितास्थ |
उत्तम पुरुष | पठितास्मि | पठितास्वः | पठितास्मः |
वाक्य प्रयोग:
-
प्रथम पुरुष:
- रामः पाठं पठिता।
(राम पाठ पढ़ेगा।) - रामः लक्ष्मणः च पाठं पठितारौ।
(राम और लक्ष्मण पाठ पढ़ेंगे।)
- रामः पाठं पठिता।
-
मध्यम पुरुष:
- त्वं पाठं पठितासि।
(तुम पाठ पढ़ोगे।) - युवाम् पाठं पठितास्थः।
(तुम दोनों पाठ पढ़ोगे।) - यूयं पाठं पठितास्थ।
(तुम सब पाठ पढ़ोगे।)
- त्वं पाठं पठितासि।
-
उत्तम पुरुष:
- अहम् पाठं पठितास्मि।
(मैं पाठ पढ़ूँगा।) - आवाम् पाठं पठितास्वः।
(हम दोनों पाठ पढ़ेंगे।) - वयं पाठं पठितास्मः।
(हम सब पाठ पढ़ेंगे।)
- अहम् पाठं पठितास्मि।
गम् धातु (जाना):
परस्मैपद के रूप:
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
---|---|---|---|
प्रथम पुरुष | गन्ता | गन्तारौ | गन्तारः |
मध्यम पुरुष | गन्तासि | गन्तास्थः | गन्तास्थ |
उत्तम पुरुष | गन्तास्मि | गन्तास्वः | गन्तास्मः |
वाक्य प्रयोग:
-
प्रथम पुरुष:
- रामः ग्रामं गन्ता।
(राम गाँव जाएगा।) - रामः लक्ष्मणः च वनं गन्तारौ।
(राम और लक्ष्मण वन जाएँगे।)
- रामः ग्रामं गन्ता।
-
मध्यम पुरुष:
- त्वं ग्रामं गन्तासि।
(तुम गाँव जाओगे।) - युवाम् ग्रामं गन्तास्थः।
(तुम दोनों गाँव जाओगे।) - यूयं ग्रामं गन्तास्थ।
(तुम सब गाँव जाओगे।)
- त्वं ग्रामं गन्तासि।
-
उत्तम पुरुष:
- अहम् नगरं गन्तास्मि।
(मैं नगर जाऊँगा।) - आवाम् ग्रामं गन्तास्वः।
(हम दोनों गाँव जाएँगे।) - वयं ग्रामं गन्तास्मः।
(हम सब गाँव जाएँगे।)
- अहम् नगरं गन्तास्मि।
लुट् लकार की विशेषताएँ
-
आदेशात्मक भविष्यकाल:
- लुट् लकार विशेष रूप से आदेश या भविष्यकालीन उद्देश्य को व्यक्त करता है।
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प्रत्ययों का विशेष उपयोग:
- मध्यम पुरुष, बहुवचन में विसर्ग (ः) का प्रयोग अनिवार्य है।
- उदाहरण: पठितास्वः।
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शुद्ध व्याकरणिक संरचना:
- यह धातु में "ता" प्रत्यय जोड़कर बनाया जाता है।
- परस्मैपद और आत्मनेपद के रूप भिन्न होते हैं।
-
वैदिक और शास्त्रीय महत्व:
- लुट् लकार का उपयोग वैदिक साहित्य, मंत्रों और संस्कृत के निर्देशात्मक ग्रंथों में विशेष रूप से होता है।
सारांश
- लुट् लकार भविष्यकालीन आदेश और उद्देश्य को व्यक्त करता है।
- पठ् धातु के लुट् लकार रूप:
- प्रथम पुरुष: पठिता, पठितारौ, पठितारः।
- मध्यम पुरुष: पठितासि, पठितास्थः, पठितास्थ।
- उत्तम पुरुष: पठितास्मि, पठितास्वः, पठितास्मः।
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