लुङ् लकार (भूतकाल) का परिचय
लुङ् लकार संस्कृत व्याकरण में भूतकालीन घटनाओं को व्यक्त करने के लिए प्रयुक्त होता है।
यह परस्मैपद और आत्मनेपद दोनों में भूतकाल की क्रिया को व्यक्त करता है।
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परस्मैपद:
जब क्रिया का प्रभाव सीधे अन्य पर होता है।- उदाहरण: रामः ग्रामं अगमत्। (राम गाँव गया।)
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आत्मनेपद:
जब क्रिया का प्रभाव कर्ता पर या उसके आस-पास के भाव पर होता है।- उदाहरण: रामः पाठं अपाठि। (राम ने पाठ पढ़ा था।)
लुङ् लकार के प्रत्यय
परस्मैपद:
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
---|---|---|---|
प्रथम पुरुष | -अत् | -तम् | -अन् |
मध्यम पुरुष | -अः | -तम् | -त |
उत्तम पुरुष | -अम् | -आव | -आम |
आत्मनेपद:
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
---|---|---|---|
प्रथम पुरुष | -इ | -षाताम् | -षत |
मध्यम पुरुष | -ष्ठाः | -षाथाम् | -ढ्वम् |
उत्तम पुरुष | -षि | -ष्वहि | -ष्महि |
गम् और पठ् धातु के रूप: लुङ् लकार
1. परस्मैपद रूप
धातु | पुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
---|---|---|---|---|
गम् | प्रथम पुरुष | अगमत् / अगमद् | अगमताम् | अगमन् |
मध्यम पुरुष | अगमः | अगमतम् | अगमत | |
उत्तम पुरुष | अगमम् | अगमाव | अगमाम | |
पठ् | प्रथम पुरुष | अपठत् | अपठताम् | अपठन् |
मध्यम पुरुष | अपठः | अपठतम् | अपठत | |
उत्तम पुरुष | अपठम् | अपठाव | अपठाम |
2. आत्मनेपद रूप
धातु | पुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
---|---|---|---|---|
गम् | प्रथम पुरुष | अगामि | अगसाताम् / अगंसाताम् | अगसत / अगंसत |
मध्यम पुरुष | अगथाः / अगंस्थाः | अगसाथाम् / अगंसाथाम् | अगध्वम् / अगन्ध्वम् | |
उत्तम पुरुष | अगसि / अगंसि | अगस्वहि / अगंस्वहि | अगस्महि / अगंस्महि | |
पठ् | प्रथम पुरुष | अपाठि | अपठिषाताम् | अपठिषत |
मध्यम पुरुष | अपठिष्ठाः | अपठिषाथाम् | अपठिढ्वम् | |
उत्तम पुरुष | अपठिषि | अपठिष्वहि | अपठिष्महि |
वर्गीकरण और अर्थ
1. परस्मैपद
व्यक्ति | गम् धातु | पठ् धातु | अर्थ |
---|---|---|---|
प्रथम पुरुष | अगमत्, अगमताम्, अगमन् | अपठत्, अपठताम्, अपठन् | वह/वे गए थे; उसने/उन्होंने पढ़ा था। |
मध्यम पुरुष | अगमः, अगमतम्, अगमत | अपठः, अपठतम्, अपठत | तुम/तुम दोनों/तुम सब गए थे। |
उत्तम पुरुष | अगमम्, अगमाव, अगमाम | अपठम्, अपठाव, अपठाम | मैं/हम दोनों/हम सब गए थे। |
2. आत्मनेपद
व्यक्ति | गम् धातु | पठ् धातु | अर्थ |
---|---|---|---|
प्रथम पुरुष | अगामि, अगसाताम्, अगसत | अपाठि, अपठिषाताम्, अपठिषत | वह/वे गए थे; उसने/उन्होंने पढ़ा था। |
मध्यम पुरुष | अगथाः, अगसाथाम्, अगध्वम् | अपठिष्ठाः, अपठिषाथाम्, अपठिढ्वम् | तुम/तुम दोनों/तुम सब गए थे। |
उत्तम पुरुष | अगसि, अगस्वहि, अगस्महि | अपठिषि, अपठिष्वहि, अपठिष्महि | मैं/हम दोनों/हम सब गए थे। |
वाक्य उदाहरण
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परस्मैपद:
- गम् धातु:
- रामः ग्रामं अगमत्।
(राम गाँव गया।) - रामः लक्ष्मणः च वनं अगमताम्।
(राम और लक्ष्मण वन गए।) - जनाः नगरं अगमन्।
(लोग नगर गए।)
- रामः ग्रामं अगमत्।
- पठ् धातु:
- रामः पाठं अपठत्।
(राम ने पाठ पढ़ा।) - रामः लक्ष्मणः च पाठं अपठताम्।
(राम और लक्ष्मण ने पाठ पढ़ा।)
- रामः पाठं अपठत्।
- गम् धातु:
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आत्मनेपद:
- गम् धातु:
- रामः ग्रामं अगामि।
(राम गाँव गया था।) - रामः लक्ष्मणः च वनं अगसाताम्।
(राम और लक्ष्मण वन गए थे।)
- रामः ग्रामं अगामि।
- पठ् धातु:
- रामः पाठं अपाठि।
(राम ने पाठ पढ़ा था।) - रामः लक्ष्मणः च पाठं अपठिषाताम्।
(राम और लक्ष्मण ने पाठ पढ़ा था।)
- रामः पाठं अपाठि।
- गम् धातु:
सारांश
लुङ् लकार भूतकालीन घटनाओं को व्यक्त करने के लिए उपयोगी है।
यह गम् और पठ् धातु के लिए परस्मैपद और आत्मनेपद दोनों में विस्तृत रूप प्रदान करता है।
परस्मैपद के प्रमुख रूप:
- गम्: अगमत्, अगमताम्, अगमन्।
- पठ्: अपठत्, अपठताम्, अपठन्।
आत्मनेपद के प्रमुख रूप:
- गम्: अगामि, अगसाताम्, अगसत।
- पठ्: अपाठि, अपठिषाताम्, अपठिषत।
यह लकार संस्कृत में भूतकाल की घटनाओं को सटीक और भावपूर्ण रूप से व्यक्त करने के लिए महत्वपूर्ण है।
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