लकार परिचय, 10 लकारों का परिचय

SOORAJ KRISHNA SHASTRI
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लकार परिचय
लकार परिचय


लकार परिचय
संस्कृत व्याकरण में धातु रूप के विभिन्न काल और भावों को व्यक्त करने के लिए जो रूप बनाए जाते हैं, उन्हें लकार कहते हैं। प्रत्येक लकार धातु के क्रियात्मक रूप को किसी न किसी विशेष काल या भाव से जोड़ता है।

लकारों का वर्गीकरण

लकारों को मुख्यतः दो भागों में विभाजित किया जाता है:

  1. कालवाचक लकार
  2. भाववाचक लकार

1. कालवाचक लकार

कालवाचक लकार किसी कार्य के होने के समय (भूत, वर्तमान, या भविष्य) को व्यक्त करते हैं।
इनके अंतर्गत निम्न लकार आते हैं:

  1. लट् लकार (वर्तमान काल)

    • वर्तमान काल में क्रिया को व्यक्त करता है।
    • उदाहरण: पठति (वह पढ़ता है), गच्छामि (मैं जाता हूँ)।
  2. लङ् लकार (भूतकाल)

    • भूतकाल या अतीत में घटित कार्य को दर्शाता है।
    • उदाहरण: अपठत् (पढ़ा), अगच्छम् (मैं गया)।
  3. लृट् लकार (सामान्य भविष्यकाल)

    • भविष्य में होने वाले कार्य को व्यक्त करता है।
    • उदाहरण: पठिष्यति (वह पढ़ेगा), गमिष्यामि (मैं जाऊँगा)।
  4. लुट् लकार (नजदीकी भविष्यकाल)

    • निकट भविष्य में होने वाले कार्य को दर्शाता है।
    • उदाहरण: गन्ता (वह तुरंत जाएगा)।
  5. लिट् लकार (परोक्ष भूतकाल)

    • भूतकाल की किसी घटना का वर्णन करता है, जब व्यक्ति स्वयं घटना का साक्षी नहीं रहा हो।
    • उदाहरण: जगाम (गया)।
  6. लृङ् लकार (भविष्यत्कालीन शंका या इच्छाभूत काल)

    • भविष्यकालीन शंका, संभावना या इच्छा को दर्शाता है।
    • उदाहरण: अगमिष्यत्।

2. भाववाचक लकार

भाववाचक लकार क्रिया के होने की स्थिति, प्रार्थना, या आज्ञा को व्यक्त करते हैं।

  1. विधिलिङ् लकार (विधि/आग्रह)

    • क्रिया के लिए प्रार्थना, आग्रह या संभावना व्यक्त करता है।
    • उदाहरण: पठेत् (पढ़े), गच्छेत् (जाए)।
  2. आशीर्लिङ् लकार (आशीर्वाद)

    • आशीर्वाद या शुभकामना व्यक्त करता है।
    • उदाहरण: भूयात् (हो)
  3. लोट् लकार (आज्ञा या आदेश)

    • आज्ञा, उपदेश, या निवेदन को व्यक्त करता है।
    • उदाहरण: पठतु (पढ़े), गच्छतु (जाए)।
  4. लुङ् लकार (भूतकाल)

    • भूतकाल में किसी विशेष परिस्थिति को व्यक्त करता है
    • उदाहरण, - अगमत्(गया)

लकारों का विवरण सारणी

लकार भाव/काल उदाहरण
लट् लकार वर्तमान काल पठति (वह पढ़ता है)
लङ् लकार भूतकाल अपठत् (वह पढ़ा)
लुट् लकार भविष्यकाल पठिता (वह पढ़ेगा)
लृट् लकार निकट भविष्यकाल पठिष्यति (पढ़ेगा)
लिट् लकार परोक्ष भूतकाल जगाम (गया)
लृङ् लकार शंका/इच्छा
अपठिष्यत् (पढ़े)
विधिलिङ् लकार प्रार्थना/संभावना पठेत् (पढ़े)
आशीर्लिङ् लकार आशीर्वाद भूयात् (हो)
लोट् लकार
आदेश/आज्ञा पठतु (पढ़े)

लकार का उपयोग

  • वाक्य रचना में: लकार धातु के साथ प्रत्यय जोड़कर क्रिया का रूप बनाते हैं।
  • काव्य और साहित्य में: भाव को स्पष्ट करने के लिए लकार का चयन होता है।
  • संस्कृत व्याकरण: पाणिनीय व्याकरण में लकारों का विशिष्ट वर्णन है।

यह लकार परिचय न केवल व्याकरण समझने में सहायक है, बल्कि संस्कृत भाषा को व्यावहारिक रूप से समझने और उपयोग करने में भी उपयोगी है।

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