8 or 9 types of Hindu marriage, beautiful image
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हिंदू धर्म में विवाह को एक पवित्र संस्कार माना गया है और इसके नौ प्रकारों का उल्लेख मनुस्मृति और अन्य प्राचीन ग्रंथों में किया गया है। ये प्रकार सामाजिक, धार्मिक, और नैतिक मानदंडों के आधार पर वर्गीकृत किए गए हैं। ये नौ प्रकार निम्नलिखित हैं:
1. ब्राह्म विवाह
- यह विवाह का सबसे आदर्श प्रकार है।
- इसमें कन्या का पिता वर को शिक्षा, चरित्र और योग्यता के आधार पर चुनता है।
- कन्या को बिना दहेज के दान स्वरूप वर को दिया जाता है।
- यह विवाह पूर्णत: धार्मिक और नैतिक है।
2. दैव विवाह
- इसमें कन्या का विवाह धार्मिक अनुष्ठान के दौरान यज्ञ या पूजा के लिए नियुक्त पुरोहित या ब्राह्मण से किया जाता है।
- इसे समाज में उच्च स्थान प्राप्त नहीं है, क्योंकि कन्या को यज्ञ या धार्मिक कर्तव्यों के आधार पर दान किया जाता है।
3. आर्ष विवाह
- इसमें वर को कन्या के पिता को गौ (गाय) और बैल जैसे साधन दान में देने होते हैं।
- इसे "सादा और सरल विवाह" माना जाता है, लेकिन इसे आदर्श विवाह नहीं माना गया है।
4. प्राजापत्य विवाह
- इसमें वर और कन्या दोनों को समान अधिकार और महत्व दिया जाता है।
- विवाह के समय वर और कन्या को धर्म और परिवार की जिम्मेदारी निभाने का वचन दिया जाता है।
5. गांधर्व विवाह
- यह विवाह प्रेम और सहमति के आधार पर होता है।
- इसमें वर और कन्या बिना किसी सामाजिक या धार्मिक रीति के विवाह करते हैं।
- इसे आधुनिक प्रेम विवाह के समान माना जा सकता है।
6. आसुर विवाह
- इसमें वर कन्या के परिवार को धन देकर विवाह करता है।
- यह विवाह प्रकार नैतिक रूप से उचित नहीं माना गया है, क्योंकि इसमें कन्या को वस्तु की तरह खरीदा जाता है।
7. राक्षस विवाह
- इसमें वर कन्या का अपहरण करके या बलपूर्वक विवाह करता है।
- यह विवाह युद्ध या बल प्रयोग के दौरान होता है।
- इसे अनुचित और अनैतिक माना गया है।
8. पैशाच विवाह
- यह विवाह का सबसे निंदनीय प्रकार है।
- इसमें वर कन्या का शारीरिक और मानसिक शोषण करके विवाह करता है।
- यह विवाह अवैध और अनैतिक माना गया है।
9. संयुक्त विवाह
- यह प्रकार कई प्राचीन ग्रंथों में विवादित है।
- इसे कभी-कभी विभिन्न विवाह परंपराओं के संयोजन के रूप में देखा जाता है।
इनमें से ब्राह्म विवाह को सबसे श्रेष्ठ और आदर्श माना गया है, जबकि पैशाच और राक्षस विवाह को अनुचित और अस्वीकार्य समझा गया है।
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