कर्म कारक (द्वितीया विभक्ति)

SOORAJ KRISHNA SHASTRI
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कर्म कारक (द्वितीया विभक्ति)
कर्म कारक (द्वितीया विभक्ति)

 

कर्म कारक का विस्तृत वर्णन

संस्कृत व्याकरण में कर्म कारक उस कारक को कहते हैं जिस पर क्रिया का सीधा प्रभाव पड़ता है। इसे पाणिनि ने "कर्तुरीप्सिततमं कर्म" (1.4.49) सूत्र के माध्यम से परिभाषित किया है। कर्म कारक वाक्य में क्रिया का सबसे अधिक इच्छित परिणाम या उद्देश्य होता है।


कर्म कारक की परिभाषा:

  • पाणिनि का सूत्र:
    "कर्तुरीप्सिततमं कर्म" (1.4.49)

    • जिसका कर्ता द्वारा सबसे अधिक इच्छा की जाती है और जो क्रिया का मुख्य उद्देश्य होता है, उसे कर्म कहा जाता है।
  • आसान शब्दों में:

    • जिस पर क्रिया होती है या जिसका क्रिया से सीधा संबंध होता है, वह कर्म कहलाता है।

कर्म कारक की पहचान:

  1. प्रश्न:

    • वाक्य में "क्या?" (What?) या "किसे?" (Whom?) प्रश्न पूछकर कर्म को पहचाना जा सकता है।
      • उदाहरण:
        • रामः पुस्तकं पठति।
          (क्या पढ़ रहा है? — पुस्तकं)
        • कृष्णः मिष्टं खादति।
          (क्या खा रहा है? — मिष्टं)
  2. विभक्ति:

    • कर्म कारक को वाक्य में द्वितीया विभक्ति में रखा जाता है।

कर्म कारक के विभक्ति रूप:

"पुस्तक" शब्द (नपुंसकलिंग) के द्वितीया विभक्ति रूप:

वचन रूप
एकवचन पुस्तकम्
द्विवचन पुस्तके
बहुवचन पुस्तकानि

कर्म कारक के उदाहरण:

  1. एकवचन:

    • रामः पुस्तकं पठति।
      (राम पुस्तक पढ़ता है।)
      • कर्ता: रामः
      • कर्म: पुस्तकं
      • क्रिया: पठति
  2. द्विवचन:

    • रामः द्वे पुस्तकं पठति।
      (राम दो पुस्तकें पढ़ता है।)
      • कर्ता: रामः
      • कर्म: द्वे पुस्तकं
  3. बहुवचन:

    • रामः पुस्तकानि पठति।
      (राम कई पुस्तकें पढ़ता है।)
      • कर्ता: रामः
      • कर्म: पुस्तकानि

कर्तृ कारक और कर्म कारक में अंतर:

आधार कर्तृ कारक कर्म कारक
परिभाषा क्रिया को स्वतंत्र रूप से करने वाला। जिस पर क्रिया का प्रभाव पड़ता है।
विभक्ति प्रथमा विभक्ति। द्वितीया विभक्ति।
प्रश्न "कौन?" (Who?) "क्या?" (What?) या "किसे?" (Whom?)
उदाहरण रामः पठति। रामः पुस्तकं पठति।

संयुक्त उदाहरण:

  1. रामः पुस्तकं पठति।

    • कर्ता: रामः (कौन पढ़ रहा है?)
    • कर्म: पुस्तकं (क्या पढ़ रहा है?)
  2. कृषकः क्षेत्रं कर्षति।

    • कर्ता: कृषकः (कौन खेत जोत रहा है?)
    • कर्म: क्षेत्रं (क्या जोत रहा है?)
  3. गायः तृणं चरति।

    • कर्ता: गायः (कौन चर रही है?)
    • कर्म: तृणं (क्या चर रही है?)

कर्म कारक के विशेष प्रयोग:

  1. क्रिया का परिणाम:

    • क्रिया का सबसे इच्छित परिणाम या उद्देश्य कर्म बनता है।
      • रामः मिष्टं खादति।
        (राम मिठाई खाता है।)
        • कर्म: मिष्टं
  2. अव्यक्त कर्ता:

    • जब कर्ता स्पष्ट न हो, तब भी कर्म क्रिया से संबंधित होता है।
      • पुस्तकं पठ्यते।
        (पुस्तक पढ़ी जाती है।)
        • कर्म: पुस्तकं

यहाँ कर्म कारक के 20 उदाहरणों को एक चार्ट के रूप में प्रस्तुत किया गया है:


वाक्य (Sentence) कर्तृ (Karta) कर्म (Karma) क्रिया (Verb)
रामः पुस्तकं पठति। रामः पुस्तकं पठति
सीता फलं खादति। सीता फलं खादति
गौः तृणं चरति। गौः तृणं चरति
कृषकः क्षेत्रं कर्षति। कृषकः क्षेत्रं कर्षति
विद्यार्थी पाठं लिखति। विद्यार्थी पाठं लिखति
गजः जलं पिबति। गजः जलं पिबति
बालकः खेलं क्रीडति। बालकः खेलं क्रीडति
शिष्यः गुरोः वचनं शृणोति। शिष्यः वचनं शृणोति
मातृका अन्नं पचति। मातृका अन्नं पचति
कृषकः वृक्षं छिनत्ति। कृषकः वृक्षं छिनत्ति
रामः पत्रं लिखति। रामः पत्रं लिखति
सूर्यः तपं ददाति। सूर्यः तपं ददाति
धनुर्धरः शरं क्षिपति। धनुर्धरः शरं क्षिपति
बालकः कंदुकं क्षिपति। बालकः कंदुकं क्षिपति
गजः कमलं खादति। गजः कमलं खादति
सीता मिष्टं खादति। सीता मिष्टं खादति
विद्यार्थिनः पाठं पठन्ति। विद्यार्थिनः पाठं पठन्ति
गावः तृणं चरन्ति। गावः तृणं चरन्ति
कृषकाः क्षेत्रं कर्षन्ति। कृषकाः क्षेत्रं कर्षन्ति
शिक्षकः प्रश्नं पृच्छति। शिक्षकः प्रश्नं पृच्छति


निष्कर्ष:

  • कर्म कारक वाक्य का वह घटक है जिस पर क्रिया का प्रभाव पड़ता है।
  • इसका उपयोग द्वितीया विभक्ति में होता है और इसे "क्या?" या "किसे?" जैसे प्रश्नों के उत्तर के रूप में पहचाना जाता है।
  • कर्ता और कर्म का संबंध व्याकरण के आधार पर स्पष्ट और सटीक होता है, जिससे वाक्य की संरचना व्यवस्थित होती है।

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