विभक्ति परिचय

SOORAJ KRISHNA SHASTRI
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विभक्ति परिचय
विभक्ति परिचय


विभक्तियों का विस्तृत वर्णन


 संस्कृत व्याकरण में विभक्तियाँ संज्ञा, सर्वनाम और विशेषण शब्दों के क्रिया या वाक्य में अन्य शब्दों के साथ संबंध को स्पष्ट करती हैं। विभक्तियाँ शब्दों के अंत में जुड़ने वाले प्रत्यय हैं, जो वाक्य के अर्थ और संरचना को निर्धारित करती हैं।

विभक्तियों की संख्या


  • संस्कृत में सात विभक्तियाँ होती हैं, जो विभिन्न कारकों को व्यक्त करती हैं। इनमें एक संबोधन (सम्बोधन विभक्ति) भी है, जो सात विभक्तियों के साथ जोड़कर आठ प्रकार का उल्लेख करती है।


विभक्तियों के नाम, प्रयोजन और उदाहरण


1. प्रथमा विभक्ति (Nominative Case)

प्रयोजन:

  • कर्ता (Subject) को व्यक्त करने के लिए।
  • वाक्य में "कौन?" या "क्या?" का उत्तर देती है।

उदाहरण:

1. रामः वनं गच्छति। रामः (कौन?) → कर्ता।

2. सीता क्रीडति। सीता (कौन?) → कर्ता।

2. द्वितीया विभक्ति (Accusative Case)

प्रयोजन:

  • कर्म (Object) को व्यक्त करने के लिए।
  • वाक्य में "किसे?" या "क्या?" का उत्तर देती है।

उदाहरण:

1. रामः पुस्तकं पठति। पुस्तकं (क्या?) → कर्म।

2. बालकः फलम् खादति। फलम् (क्या?) → कर्म।

3. तृतीया विभक्ति (Instrumental Case)

प्रयोजन:

  • साधन (Means) या करण (Instrument) को व्यक्त करने के लिए।
  • वाक्य में "किसके द्वारा?" या "किससे?" का उत्तर देती है।

उदाहरण:

1. रामः खड्गेन युद्धं करोति। खड्गेन (किससे?) → साधन।

2. बालकः लेखनीया लिखति। लेखनीया (किससे?) → साधन।

4. चतुर्थी विभक्ति (Dative Case)

प्रयोजन:

  • संप्रदान (Recipient) या जिसके लिए कुछ किया जा रहा हो, उसे व्यक्त करने के लिए।
  • वाक्य में "किसके लिए?" का उत्तर देती है।

उदाहरण:

1. रामः बालकाय फलं ददाति। बालकाय (किसके लिए?) → संप्रदान।

2. गुरवे नमः। गुरवे (किसे?) → संप्रदान।

5. पंचमी विभक्ति (Ablative Case)

प्रयोजन:

  • अपादान (Source) या जहाँ से कुछ अलग हो रहा हो, उसे व्यक्त करने के लिए।
  • वाक्य में "कहाँ से?" का उत्तर देती है।

उदाहरण:

1. रामः ग्रामात् आगच्छति। ग्रामात् (कहाँ से?) → अपादान।

2. गजः वनात् गच्छति। वनात् (कहाँ से?) → अपादान।

6. षष्ठी विभक्ति (Genitive Case)

प्रयोजन:

  • संबंध (Possession) को व्यक्त करने के लिए।
  • वाक्य में "किसका?" या "किसकी?" का उत्तर देती है।

उदाहरण:

1. रामस्य गृहम्। रामस्य (किसका?) → संबंध।
2. बालकस्य पुस्तकं। बालकस्य (किसका?) → संबंध।

7. सप्तमी विभक्ति (Locative Case)

प्रयोजन:

  • अधिकरण (Location) या जहाँ पर क्रिया हो रही हो, उसे व्यक्त करने के लिए।
  • वाक्य में "कहाँ?" का उत्तर देती है।

उदाहरण:

  • रामः गृहे पठति।
गृहे (कहाँ?) → अधिकरण।

  • बालकः उद्याने क्रीडति।
उद्याने (कहाँ?) → अधिकरण।

8. सम्बोधन में प्रथमा विभक्ति (Vocative Case)

प्रयोजन:

  • किसी को संबोधित करने के लिए।
  • इसका प्रयोग विशेष रूप से पुकारने में होता है।

उदाहरण:

  • हे राम! गच्छ। हे राम! (संबोधन)।
  • अरे मित्र! पठ। अरे मित्र! (संबोधन)।

विभक्तियों का महत्व

1. भाषा की स्पष्टता:

विभक्तियाँ वाक्य में शब्दों के संबंध को स्पष्ट करती हैं।

2. शब्दों की संरचना:

विभक्तियों के माध्यम से संस्कृत के संज्ञा, सर्वनाम और विशेषणों में विभिन्न रूप निर्मित होते हैं।

3. काव्य में उपयोग:

विभक्तियाँ संस्कृत के काव्य और वैदिक मंत्रों को लयबद्ध और प्रभावशाली बनाती हैं।

4. संक्षिप्तता:

विभक्तियों के कारण वाक्य छोटे और अर्थपूर्ण होते हैं।

अभ्यास प्रश्न

प्रश्न 1: निम्न वाक्यों में विभक्तियाँ पहचानें:

1. रामः गृहे पठति।

2. बालकः उद्याने क्रीडति।

3. सीता पुस्तकं पठति।

4. गजः नदीं पिबति।

5. कृषकः हलाद् कर्षति।

प्रश्न 2: निम्न विभक्तियों के उदाहरण दें:


1. प्रथमा विभक्ति

2. द्वितीया विभक्ति

3. तृतीया विभक्ति

4. षष्ठी विभक्ति

उत्तरमाला


उत्तर 1:


1. रामः (प्रथमा), गृहे (सप्तमी)।

2. बालकः (प्रथमा), उद्याने (सप्तमी)।

3. सीता (प्रथमा), पुस्तकं (द्वितीया)।

4. गजः (प्रथमा), नदीं (द्वितीया)।

5. कृषकः (प्रथमा), हलाद् (तृतीया)।

उत्तर 2:

1. प्रथमा: रामः पठति।

2. द्वितीया: रामः पुस्तकं पठति।

3. तृतीया: रामः खड्गेन युद्धं करोति।

4. षष्ठी: रामस्य गृहम्।

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