लङ् लकार (सामान्य भूतकाल) |
लङ् लकार (सामान्य भूतकाल) का विस्तृत परिचय
लङ् लकार संस्कृत व्याकरण में सामान्य भूतकाल को व्यक्त करता है। यह उन घटनाओं का वर्णन करता है, जो भूतकाल में घट चुकी हैं और जिन्हें कर्ता ने प्रत्यक्ष रूप से अनुभव किया है। इसे सामान्य भूतकाल या अनद्यतन भूतकाल (न बीते हुए दिन के भूतकाल) भी कहा जाता है।
लक्षण और उपयोग
-
सामान्य भूतकाल:
- भूतकालीन घटनाओं को व्यक्त करने के लिए उपयोग होता है।
- उदाहरण: रामः ग्रामं अगच्छत्। (राम गाँव गया।)
-
परस्मैपद और आत्मनेपद दोनों में उपयोग:
- परस्मैपद: जब कार्य कर्ता द्वारा स्पष्ट रूप से किया जाता है।
- आत्मनेपद: जब कार्य का प्रभाव कर्ता पर या अन्य पर होता है।
-
सामान्य घटनाएँ:
- दैनिक जीवन में बीती घटनाओं को व्यक्त करने के लिए प्रयोग होता है।
लङ् लकार के प्रत्यय
परस्मैपद:
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
---|---|---|---|
प्रथम पुरुष | -त् | -तम् | -न् |
मध्यम पुरुष | -थ | -तम् | -त |
उत्तम पुरुष | -म् | -व | -म |
आत्मनेपद:
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
---|---|---|---|
प्रथम पुरुष | -त | -आताम् | -अन्त |
मध्यम पुरुष | -थाः | -आथाम् | -ध्वम् |
उत्तम पुरुष | -ए | -वहि | -महि |
पठ् धातु (पढ़ना) के रूप (लङ् लकार)
परस्मैपद:
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
---|---|---|---|
प्रथम पुरुष | अपठत् | अपठताम् | अपठन् |
मध्यम पुरुष | अपठः | अपठतम् | अपठत |
उत्तम पुरुष | अपठम् | अपठाव | अपठाम |
आत्मनेपद:
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
---|---|---|---|
प्रथम पुरुष | अपठत | अपठाताम् | अपठन्त |
मध्यम पुरुष | अपठथाः | अपठाथाम् | अपठध्वम् |
उत्तम पुरुष | अपठ्ये | अपठ्यावहि | अपठ्यामहि |
गम् धातु (जाना) के रूप (लङ् लकार)
परस्मैपद:
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
---|---|---|---|
प्रथम पुरुष | अगच्छत् | अगच्छताम् | अगच्छन् |
मध्यम पुरुष | अगच्छथ | अगच्छतम् | अगच्छत |
उत्तम पुरुष | अगच्छम् | अगच्छाव | अगच्छाम |
आत्मनेपद:
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
---|---|---|---|
प्रथम पुरुष | अगम्यत | अगम्येताम् | अगम्यन्त |
मध्यम पुरुष | अगम्यथाः | अगम्याथाम् | अगम्यध्वम् |
उत्तम पुरुष | अगम्ये | अगम्यावहि | अगम्यामहि |
वाक्य में प्रयोग
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पठ् धातु (पढ़ना):
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प्रथम पुरुष:
- रामः पाठं अपठत्। (राम ने पाठ पढ़ा।)
- रामः लक्ष्मणः च पाठं अपठताम्। (राम और लक्ष्मण ने पाठ पढ़ा।)
- बालकाः पाठं अपठन्। (बालकों ने पाठ पढ़ा।)
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मध्यम पुरुष:
- त्वं पाठं अपठः। (तुमने पाठ पढ़ा।)
- युवाम् पाठं अपठतम्। (तुम दोनों ने पाठ पढ़ा।)
- यूयं पाठं अपठत। (तुम सबने पाठ पढ़ा।)
-
उत्तम पुरुष:
- अहम् पाठं अपठम्। (मैंने पाठ पढ़ा।)
- आवाम् पाठं अपठाव। (हम दोनों ने पाठ पढ़ा।)
- वयं पाठं अपठाम। (हमने पाठ पढ़ा।)
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गम् धातु (जाना):
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प्रथम पुरुष:
- रामः ग्रामं अगच्छत्। (राम गाँव गया।)
- रामः लक्ष्मणः च वनं अगच्छताम्। (राम और लक्ष्मण वन गए।)
- जनाः नगरं अगच्छन्। (लोग नगर गए।)
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मध्यम पुरुष:
- त्वं ग्रामं अगच्छः। (तुम गाँव गए।)
- युवाम् ग्रामं अगच्छतम्। (तुम दोनों गाँव गए।)
- यूयं ग्रामं अगच्छत। (तुम सब गाँव गए।)
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उत्तम पुरुष:
- अहम् ग्रामं अगच्छम्। (मैं गाँव गया।)
- आवाम् ग्रामं अगच्छाव। (हम दोनों गाँव गए।)
- वयं ग्रामं अगच्छाम। (हम सब गाँव गए।)
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विशेषताएँ
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भूतकाल का वर्णन:
- यह लकार सामान्य भूतकाल की घटनाओं के लिए प्रयोग किया जाता है।
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परस्मैपद और आत्मनेपद:
- परस्मैपद का उपयोग क्रिया के स्पष्ट कर्ता के लिए होता है।
- आत्मनेपद का उपयोग तब होता है, जब क्रिया का प्रभाव कर्ता पर हो।
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साहित्यिक उपयोग:
- लङ् लकार संस्कृत के काव्य और नाटक में सामान्य भूतकाल की घटनाओं को व्यक्त करने के लिए प्रयुक्त होता है।
सारांश
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लङ् लकार संस्कृत व्याकरण में भूतकालीन घटनाओं को व्यक्त करता है।
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पठ् धातु के रूप:
- प्रथम पुरुष: अपठत्, अपठताम्, अपठन्।
- मध्यम पुरुष: अपठथ, अपठतम्, अपठत।
- उत्तम पुरुष: अपठम्, अपठाव, अपठाम।
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गम् धातु के रूप:
- प्रथम पुरुष: अगच्छत्, अगच्छताम्, अगच्छन्।
लङ् लकार का उपयोग किसी भी सामान्य भूतकालीन घटना को व्यक्त करने के लिए किया जा सकता है।
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