दश महाविद्या साधना, मन्त्र तथा सिद्धि का भाव,दश महाविद्या दश महाविद्या स्तोत्र दश महाविद्या नाम दस महाविद्या मंत्र श्री दस महाविद्या स्तोत्रम् दश महाव
दश महाविद्या |
- प्राचीन काल के सारे शोध व अविष्कार तांत्रिकों व तंत्र की देन है,तरंगों की खोज से ले कर अणु परमाणु तक कि खोज तांत्रिकों की देन है-तांत्रिकों को वैज्ञानिक माना जाता था,और आज के तांत्रिकों का हाल देखिये-लो स्टैंडर्ड।आम आदमी तंत्र के नाम से भय खाता है,इसमें लोगों की गलती नही है-तंत्र के नाम पर सिर्फ जालसाजी और भ्रम ही तो फैलाया जा रहा है।
- तंत्र विद्या शक्ति की उपासना है। यह शक्ति मानसिक है,इसलिए इसमें मानस को उसी भाव में केंद्रित करना होता है,जिसकी सिद्धि करनी होती है।विपरीत भाव का ध्यान करने से सिद्धि प्राप्त नही होती,क्योंकि तब उद्देश्य कुछ और होता है और परिश्रम दूसरी दिशा में हो जाता है।इसी प्रकार प्राचीन काल में तांत्रिकों ने शक्ति की प्रतीकात्मक देवी को कई रूपों में व्यक्त किया गया है।उनकी मूर्तियां विभिन्न स्वरूपों में बनायी गई हैं,जो मानसिक शक्ति के विभिन्न भावों को उदीप्त करती हैं।
- यहां उन देवियों एवं प्रतीकों के सम्बंध में आवश्यक विवरण जान लेना आवश्यक होगा।इसे जाने बिना कोई भी तंत्र साधक सिद्धि नही प्राप्त कर सकता।
1. श्री काली
- काली शक्ति के उत्तेजक,ओजात्मक, वीरता,साहस एवं कठिन संकल्प की प्रतीक है।मनुष्य के अंदर का क्रोध,उत्साह,उल्लास,साहस,भयमुक्तता,तीव्रता,तेज,पराक्रम आदि गुणों में इन्ही की अभिव्यक्ति होती है।इनके कई उपरूप भी हैं।जैसे दक्षिण काली,भद्रकाली,महाकाली आदि।ध्यान लगाने से सभी प्रकार की विध्वंसक एवं पराक्रम सम्बन्धी सिद्धियां प्राप्त होती हैं।उपरूपों का प्रयोग तंत्र की अनेक सिद्धि क्रियाओं में किया जाता है।दक्षिण काली का ध्यान अघोरपंथियों के बीच अधिक प्रचलित है।भद्रकाली गृहस्थों महाकाली रौद्र सिद्धियों के इच्छकों हेतु धन की प्रतीक हैं।इनका ध्यान रात्रि के तीसरे पहर में श्मशान या एकांत कमरे में लगाना चाहिए।अमावस्या पक्ष इसके लिए उपयुक्त होता है।वर्ष में कार्तिक का महीना श्रेष्ठ समझा जाता है।इनके आसन आदि लाल रंग के होने चाहिए,क्योंकि इन्हें रक्त रंग पसंद है।
- मंत्र - ॐ क्रीं क्रां क्रीं हुं हुं हुं महाकाल्यै नमः।।
- सिद्धि का भाव-काम,हिंसा,शत्रु दमन,क्रोध,अंधा आकर्षण।
2. श्री बगलामुखी
- दृढ़ संकल्प एवं आत्मबल की सबलता की प्रतीकात्मक देवी हैं।इनको बगुलामुखी,बल्गामुखी या पीताम्बरा कहा जाता है।इनकी सिद्धि से मनुष्य में संकल्प और आत्मबल दृढ़ होता है और उसे प्रत्येक कार्य में सफलता सिद्ध होती है।शत्रु भयभीत होकर शामिल हो जाता है।पीला रंग इनको प्रिय है।इनकी सिद्धि हेतु गम्भार की चौकी पर पूर्व मुंह की ओर मुख करके आसन लगाना चाहिए।पूजन षोड़षोपचार विधि से करना चाहिए,किंतु हमेशा मानसिक ही लगाएं।
- मंत्र - ॐ ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं। स्तंभय जिह्वा कीलय बुद्धिविनाशाय ह्रीं ॐ स्वाहा।।
- सिद्धि का भाव-आनयबल,प्रभाव, का व्यक्तित्व,सफलता आदि।
3. श्री महालक्ष्मी
- श्री महालक्ष्मी धन की प्रतीकात्मक देवी हैं।इनकी सिद्धि से मनुष्य में कर्मठता और उल्लास की स्थापना होती है।इनकी सिद्धि कृष्ण पक्ष में की जाती है।लाल रंग,पीला रंग इन्हें पसंद है।इनका ध्यान भी पूर्व की तरफ मुख कर के किया जाता है।
- मंत्र - ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं महालक्ष्मी पद्मावत्यै नमः। महालक्ष्मी महादेवी महेश्वरी महामूर्ति महामायै नमः।।
- सिद्धि का भाव-धन लेने का भाव
4. श्री तारा
- इन्हें काली का ही प्रतिरूप समझा जाता है।इनकी साधना सूर्य-शक्ति की साधना है,तेज और पराक्रम प्रदान आराधना शव-साधना में भी की जाती है।देवी का प्रिय रंग लाल है।अमावस्या के पक्ष में इनकी साधना विशेष फल दायिनी है।
- मंत्र - ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं हुं फट् स्वाहा।।
- सिद्धि का भाव-गम्भीर रति भाव।
5. श्री त्रिपुर सुंदरी
- ये शक्ति का मोहक स्वरूप है और इनकी साधना वशीकरण,पौरुष वाणीमाधुर्य,शरीर की कमनीयता,एवं मन के लालित्य के लिए की जाती है।भैरवी साधक सर्वप्रथम इसी देवी को सिद्ध करते हैं।इन्हें सफेद रंग प्रिय है।उत्तर की ओर मुख करके इन्हें सिद्ध किया जाता है।
- मंत्र - ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं सौं: ह्रीं क्रीं ऐं ई ल ह्रीं ह स क ल ह्रीं श्री स क ल ह्रीं सौं ऐं क्लीं श्रीं ह्रीं।।
- सिद्धि का भाव-प्रणय,रूप मन की कोमलता।
6. श्री त्रिपुर भैरवी
- ये भी सम्मोहन की देवी है इनकी सिद्धि से समृद्धि,कार्य सिद्धि,मानसिक प्रसन्नता,विलक्षण सम्मोहन शक्ति एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है।भैरवी साधकों के लिए ये इष्ट हैं।इनका प्रिय रंग लाल है।इन्हें भी उत्तर की ओर मुख कर के सिद्ध किया जाता है।
- मंत्र - ॐ ह्रीं श्रीं त्रिपुर भैरव्यै नमः स्वाहा।।
- सिद्धि का भाव-मानसिक प्रबुद्धता एवं गम्भीर प्रणय का भाव।
7. श्री भुवनेश्वरी
- ये भुवन की समृद्धि प्रदान करने वाली देवी हैं।जो सांसारिक समृद्धि, यश,वैभव,शक्ति,सुख चाहते हैं,उन्हें इस देवी का ध्यान लगाना चाहिए।देवी को लाल रंग पसंद है।इनकी साधना-आराधना कृष्ण पक्ष की एकांत रात्रि में करें।
- मंत्र - ॐ बाल रतिद्युतिमिन्दु किरीटां तुंग कुचां नयन त्रय युक्तामम्।।
- सिद्धि का भाव-क्रूर,क्षुब्ध,क्रोधी को वश में करने वाला।
8. श्री मातंगी
- इन्हें सरस्वती भी कहा जाता है।ये विद्या,ज्ञान एवं ललित कलाओं की देवी हैं।इनके ध्यान से मन को शांति और आहलाद प्राप्त होता है।इनको सफेद रंग प्रिय है।इनके विभिन्न स्वरूपों के प्रतीकात्मक चित्र मिलते हैं।
- मन्त्र - ॐ ह्रीं क्लीं हूं मातंग्यै फट् स्वाहा।।
- सिद्धि का भाव-संगीत,ललित कला,कलात्मक भाव।
9. श्री धूमावती
- ये ज्ञान,वैराग्य एवं दरिद्रता की देवी हैं।इनकी आराधना शत्रु नाश एवं वैराग्य की प्राप्ति के लिए की जाती है।इन्हें सफेद रंग प्रिय है।वस्तुतः यह सांसारिक सौंदर्य के प्रति विरक्ति की प्रतीक हैं।इसी कारण इनकी वेशभूषा विधवाओं जैसी है।
- मंत्र - ॐ ह्रीं क्रीं श्रीं धूं धूं धूमावती ठ: ठ: फट स्वाहा।।
- सिद्धि का भाव-हानि पहुंचाने के लिए मस्तिष्क को नियंत्रण में लेना।
10. श्री छिन्नमस्ता देवी
- छिन्नमस्ता देवी भौतिक सुखों,शक्ति, ओज एवं पराकरण को प्रदान करने वाली देवी हैं।ये भावुकता की देवी भी हैं।इनकी पसन्द का रंग लाल है।इनकी आराधना कृष्ण पक्ष की रात्रि में की रात्रि में की जाती है।
- मंत्र -ॐ क्लीं ह्रीं एं वज्र वैरोचनीये हुं हुं फट स्वाहा।।
- सिद्धि का भाव-त्याग,तेज,सुख और मानसिक शांति।
11. श्री अम्बिका या दुर्गा
- इन्हें अम्बा, जगदम्बा,दुर्गा,शेरोवाली माता आदि कई नामों से पुकारा जाता है।इनके भी कई प्रतिरूपों के चित्र प्राप्त होते हैं।ये क्रांति की देवी हैं।वीरता एवं विवेकपूर्ण क्रोध इनका गुण है।ये प्रचंड शक्तिशाली हैं।जब भी आप किसी के अत्याचार से या भौतिक विपत्तियों से कठिनाई में पड़ जाएं,तो इनकी आराधना करें।ये तुरंत शक्ति प्रदान करती हैं।इनका प्रिय रंग लाल है।इनकी पूजा नवरात्रि के समय करनी चाहिए।
- मंत्र ॐ ह्रीं क्रीं श्रीं नमश्चण्डिकायै।।
- सिद्धिकाभाव-कांति,तेज,पराक्रम,आज का भाव।
- टिप्पणी - गुरु आज्ञा वा आदेश बिना बिल्कुल भी प्रारंभ ना करे ये आप के लिए घातक सिद्ध भी हो सकता है इस लिए गुरु के आदेश वा निगरानी में ये सिद्धि प्राप्त करे।