भागवत महात्म्य , स्कंद पुराण, वैष्णव खंड का सार। भागवत महात्म्य का सार (स्कंद पुराण के अनुसार):,श्रीमद्भागवत की महिमा,भागवत कथा का प्रभाव:,भागवत श्रवण
भागवत महात्म्य , स्कंद पुराण, वैष्णव खंड का सार। यह चित्र अत्यधिक स्पष्टता और यथार्थता के साथ प्रस्तुत किया गया है, जिसमें वक्ता को ऋषि कुमार के रूप में दर्शाया गया है। |
स्कंद पुराण के वैष्णव खंड में भागवत महात्म्य का वर्णन किया गया है। यह श्रीमद्भागवत महापुराण की महिमा का गान करता है और इसे पढ़ने, सुनने और मनन करने से प्राप्त होने वाले लाभों का विस्तार से उल्लेख करता है। भागवत महात्म्य में यह बताया गया है कि श्रीमद्भागवत को पढ़ने और सुनने से मनुष्य अपने पापों से मुक्त होकर भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन हो जाता है और मोक्ष प्राप्त करता है।
भागवत महात्म्य का सार (स्कंद पुराण के अनुसार):
1. श्रीमद्भागवत की महिमा:
श्रीमद्भागवत को भगवान श्रीकृष्ण का साक्षात स्वरूप माना गया है। इसमें भगवान की दिव्य लीलाओं, भक्तों के चरित्र, और भक्ति मार्ग का विस्तृत वर्णन किया गया है।
श्लोक:
श्रीमद्भागवतः शास्त्रं यः पठेच्छृणुयादपि।
स मुक्तः सर्वपापेभ्यो वैकुण्ठं यांति निश्चितम्॥
अर्थ: "जो व्यक्ति श्रीमद्भागवत का पाठ करता है या इसे सुनता है, वह सभी पापों से मुक्त होकर भगवान विष्णु के वैकुण्ठ धाम को प्राप्त करता है।"
2. भागवत श्रवण से पापों का नाश:
श्रीमद्भागवत के श्रवण मात्र से जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं।
श्लोक:
यत्र यत्र रघुनाथ कीर्तनं
तत्र तत्र कृतमस्तकाञ्जलिम्।
पाणौ पाणौ जलदावृतं मृदुलं
भागवतः पापं विनश्यति तत्क्षणम्॥
अर्थ: "जहां-जहां श्रीमद्भागवत का पाठ और श्रवण होता है, वहां-वहां पाप उसी प्रकार समाप्त हो जाते हैं जैसे आग से जल जाता है।"
3. भागवत कथा का प्रभाव:
श्रीमद्भागवत का पाठ और कथा सुनने से मनुष्य के हृदय में भगवान की भक्ति जागृत होती है।
श्लोक:
सप्ताहं श्रीमद्भागवतं यः पठति श्रद्धयान्वितः।
स सर्वपापविनिर्मुक्तो याति विष्णोः परं पदम्॥
अर्थ: "जो व्यक्ति श्रद्धा और भक्ति से एक सप्ताह तक श्रीमद्भागवत का पाठ करता है, वह सभी पापों से मुक्त होकर भगवान विष्णु के परम धाम को प्राप्त करता है।"
4. भागवत श्रवण का फल:
भागवत का पाठ और श्रवण करने वाला व्यक्ति न केवल स्वयं को, बल्कि अपने पूर्वजों और वंशजों को भी पवित्र करता है।
श्लोक:
पुत्राणां च पितॄणां च मातॄणां च तथा स्त्रियः।
भागवतं श्रवणेनैव सर्वे मुच्यंते पातकैः॥
अर्थ: "भागवत श्रवण से व्यक्ति के माता-पिता, पूर्वज, और वंशज सभी पापों से मुक्त हो जाते हैं।"
5. भागवत श्रवण का सात दिवसीय नियम:
स्कंद पुराण में भागवत महात्म्य के अनुसार, भागवत का सात दिन में श्रवण और पाठ करना अत्यंत पुण्यदायक है। इसे "भागवत सप्ताह" कहा जाता है।
श्लोक:
सप्ताहेन तु यो राजन् पठेत्कथा मधुरं शुभम्।
तस्य पुण्यफलं देवैर्न गणितं च सर्वदा॥
अर्थ: "जो व्यक्ति सात दिनों तक श्रीमद्भागवत की कथा सुनता है, उसका पुण्यफल देवता भी नहीं माप सकते।"
6. भागवत महापुराण का स्वरूप:
स्कंद पुराण में श्रीमद्भागवत को श्रीकृष्ण का साक्षात रूप बताया गया है।
श्लोक:
श्रीमद्भागवतं नाम पुराणं ब्रह्मसंमितम्।
कृष्णेन स्वयं प्रोक्तं परमात्मान आत्मना॥
अर्थ: "श्रीमद्भागवत ब्रह्म स्वरूप है और स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने इसे अपनी वाणी से प्रकट किया है।"
7. कलियुग में भागवत का महत्व:
कलियुग में श्रीमद्भागवत सबसे श्रेष्ठ साधन है। यह धर्म, अर्थ, काम, और मोक्ष प्रदान करने वाला है।
श्लोक:
कलौ नास्त्येव नास्त्येव नास्त्येव गतिरन्यथा।
श्रीमद्भागवतं शास्त्रं भगवान्नारायणः स्वयम्॥
अर्थ: "कलियुग में भगवान श्रीकृष्ण का स्मरण और श्रीमद्भागवत का श्रवण ही जीवों के उद्धार का मार्ग है। इसके अलावा कोई उपाय नहीं।"
कथा का विशेष संदेश:
1. भक्ति का महत्व: श्रीमद्भागवत का श्रवण और पाठ करने से मनुष्य में भक्ति जागृत होती है, जो मोक्ष का साधन है।
2. पापों का नाश: भागवत कथा के श्रवण से जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं।
3. मोक्ष प्राप्ति: श्रीमद्भागवत के माध्यम से मनुष्य भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं में लीन होकर मोक्ष प्राप्त करता है।
4. कलियुग में सर्वोच्च ग्रंथ: कलियुग में श्रीमद्भागवत ही सबसे श्रेष्ठ साधन है, क्योंकि यह हर प्रकार के दोषों को समाप्त कर देता है।
निष्कर्ष:
स्कंद पुराण में वर्णित भागवत महात्म्य यह सिखाता है कि श्रीमद्भागवत केवल एक ग्रंथ नहीं है, बल्कि यह भगवान का साक्षात स्वरूप है। इसका श्रवण और पाठ मनुष्य को पवित्र करता है, पापों से मुक्त करता है और भगवान श्रीकृष्ण की शरण में ले जाकर मोक्ष प्रदान करता है। भागवत महात्म्य हमें भक्ति, वैराग्य, और आत्मज्ञान का मार्ग दिखाता है।
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